- फेडरेशन ने लगायी हुंकार, रेलवे के संसाधन पर आम यात्रियों से ज्यादा किराया वसूली बर्दास्त नहीं
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे में निजीकरण के खिलाफ ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन AIRF ने हल्लाबोल का ऐलान किया है. फेडरेशन से एफलियेट देश की सभी यूनियनों ने हर शाखा पर 23 अक्टूबर को जोरदार प्रदर्शन करने कर सरकार को अल्टीमेटम देने की योजना बनायी है. फेडरेशन के हल्ला बोल की तैयारियों के बीच रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बड़ा बयान जारी किया है. मीडिया में दिये अपने बयान में रेलमंत्री कहा है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा बल्कि रेलवे के अधुनिकीकरण के लिए निवेश बढ़ाने का प्रयास सरकार कर रही है. सरकार रेलवे का निजीकरण करने नहीं जा रही है. हमारा लक्ष्य रेलवे में बड़ी मात्रा में निवेश करना है, इसके लिए हम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर विचार कर रहे हैं. साथ ही हम विश्व की आधुनिकतम तकनीक को रेलवे से जोड़ेंगे. रेलमंत्री का यह बयान उन खबरों के बीच आया जिसमें कहा गया था कि रेल मंत्रालय ने 50 रेलवे स्टेशनों और 150 ट्रेनों के निजीकरण के लिए एक कमेटी बनाई है.
रेलवे का निजीकरण नहीं होगा बल्कि रेलवे के अधुनिकीकरण के लिए निवेश बढ़ाने का प्रयास सरकार कर रही है. सरकार रेलवे का निजीकरण करने नहीं जा रही है. हमारा लक्ष्य रेलवे में बड़ी मात्रा में निवेश करना है, इसके लिए हम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर विचार कर रहे हैं. साथ ही हम विश्व की आधुनिकतम तकनीक को रेलवे से जोड़ेंगे.
पीयूष गोयल, रेलमंत्री
निजीकरण को लेकर नीति आयोग ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को एक खत भी लिखा. इस खत में 400 रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तर का बनाए जाने को लेकर जिक्र है. इस कमेटी में नीति आयोग के सीईओ, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री आफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के सेक्रेटरी और फाइनेंशियल कमिश्नर (रेलवे) शामिल हैं. नीति आयोग के गोपनीय पत्र के मीडिया मे लीक होने के बाद से रेलवे से जुड़े फेडरेशन की नींद उड़ चुकी है. रेलवे के संसाधनों पर पहली निजी ट्रेन तेजस चलाने से पहले रेलवे अथवा सरकार ने फेडरेशनों को भी विश्वासन में लेना जरूरी नहीं समझा था, लेकिन वर्तमान विरोध के बीच रेल मंत्री को सामने आकर बयान जारी करना पड़ा है.
केंद्र सरकार रेलवे को निजी हाथों में बेचने के लिए कर रही साजिश
इधर, कटनी में वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ द्वारा आयोजित विरोध पखवाड़ा में रेलवे के निजीकरण का कड़ा विरोध दर्ज कराया गया. विरोध प्रदर्शन के दौरान वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि देश की सरकार रेलवे को निजी हाथों में बेचने की साजिश कर रही है. विरोध प्रदर्शन के दौरान मंडल अध्यक्ष एसएन शुक्ला ने कहा कि देश की जनता की मेहनत की कमाई से दिए गए टेक्स और रेल कर्मचारियो की कड़ी मेहनत से भारतीय रेल संरक्षा और सुरक्षा के साथ सबसे सस्ता किराया लेकर इस देश की जनता को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने का कार्य करती है. लेकिन वह दिन दूर नहीं जब कर्मचारियो के साथ-साथ इस देश की जनता को भी भारतीय रेल मे यात्रा करना आसान नहीं होगा. इसका उदाहरण अभी हाल में तेजस ट्रेन जो निजी हाथों द्वारा चलाई जा रही है उससे समझा जा सकता है. तेजस ट्रेन का किराया इस देश का आम नागरिक वहन नहीं कर सकती है और इस ट्रेन में रेल कर्मचारियों को कोई भी सुविधा नहीं दी गई है. विरोध प्रदर्शन के दौरान एमके यादव ने लेागों का आहवान किया कि वह एकजुट होकर रेल को निजी हाथों में बेचने की साजिश से बचाये.
कटनी में प्रदर्शन के दौरान पदाधिकारी केसी रजक ने कहा कि भारतीय रेल सिर्फ लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने का साधन ही नहीं है बल्कि इस देश की जीवन रेखा है. इस देश के युवायों को सबसे ज्यादा रोजगार देने का संस्थान है इसलिए हम सब लोग रेलवे को निजी हाथों में बेचने से बचाना होगा. अशोक कुमार पाठक ने कहा कि हम सब लोग इस आंदोलन को तेज करेंगे. उन्होंने देश के युवायों से आव्हान किया कि आप लोग आंगे आएं और इस आंदोलन को सिर्फ रेल कर्मचारी का ही आंदोलन ही नहीं, बल्कि जन आंदोलन बनाएं, तभी रेलवे बचेगा और रेलवे बचेगा तो ही देश बचेगा. विरोध प्रदर्शन के दौरान अफसर हुसैन, पीके दास, एजाज खान, नीरज चंद्रा, सीताराम, संतोष यादव, सुरेन्द्र सिंह, एसडी तिवारी, रतन निषाद, चंचंद्रकांत मोर्या, मुकेश पटैल सहित अन्य रेल कर्मचारी उपस्थित रहे.
सरकार और रेलवे निजी कंपनियों से पटरी बिछवाएं, उसका विरोध नहीं करेंगे, लेकिन पूरे संसाधन रेलवे के और उस पर आम यात्रियों से निजी कंपनियां कई गुना ज्यादा किराया वसूले, ऐसी नीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे. 23 अक्टूबर को देश व्यापी आंदोलन किया जायेगा.
मुकेश गालव, राष्ट्रीय सहायक महामंत्री, एआईआरएफ
भोपाल : जबलपुर जोन से होकर नहीं गुजरने देंगे एक भी निजी ट्रेन
उधर भोपाल मंडल व जबलपुर जोन से होकर एक भी निजी ट्रेन को नहीं गुजरने देने की चेतावनी एआईआरएफ ने दी है. ट्रेनों के निजीकरण के खिलाफ शनिवार 19 अक्टूबर को ऑल इंडिया रेलवे मेन फेडरेशन (एआईआरएफ) के राष्ट्रीय सहायक महामंत्री मुकेश गालव ने भोपाल में जनसभा को संबोधित किया. रेलवे के निजीकरण को लेकर आंदोलन करने की रणनीति तैयार करने वह भोपाल पहुंचे थे. उन्होंने वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले सैकड़ों रेलकर्मियों से निजीकरण को लेकर बातचीत की. इसके बाद भोपाल व पूरे जोन में 23 अक्टूबर को परिवार के साथ आंदोलन करने की घोषणा की. मुकेश गालव ने कहा कि सरकार और रेलवे निजी कंपनियों से पटरी बिछवाएं, उसका विरोध नहीं करेंगे, लेकिन पूरे संसाधन रेलवे के और उस पर आम यात्रियों से निजी कंपनियां कई गुना ज्यादा किराया वसूले, ऐसी नीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे. सरकार इसी नीति को अमल में लाने की तैयारी कर रही है. मुकेश गालव के साथ यूनियन के जोनल अध्यक्ष रवि जायसवाल, मंडल अध्यक्ष टीके गौतम, दिनेश त्रिपाठी, सतीष सिंह चौहान आदि मौजूद थे.
निजीकरण के विरोध में इटारसी में सरकारी आदेश की प्रतियां जलायी
रेलवे के निगमीकरण और प्राइवेटीकरण के विरोध में शुक्रवार को वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के बैनर तले रेलकर्मियों ने टीआरएस शेड, पीडब्ल्यूआई यार्ड, सीएनडब्ल्यू यार्ड, डीजल शेड अाैर एसी शेड में विरोध प्रदर्शन किया. मंडल उपाध्यक्ष जावेद खान ने कहा सरकार लगातार रेलवे को निगमीकरण और प्राइवेटीकरण की और ले जा रही है. इसका विरोध रेल कर्मचारी जोन और मंडल स्तर पर कर रहे हैं. शुक्रवार को वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन ने रेलवे के विभिन्न संस्थानों में प्रदर्शन कर विरोध जताया. डीजल शेड में विरोध प्रदर्शन करते हुए यूनियन पदाधिकारियों ने 150 ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपे जाने के सरकार द्वारा जारी आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध किया. विरोध प्रदर्शन में मण्डल कार्यकारी अध्यक्ष केके शुक्ला सहित अन्य रेलकर्मी मौजूद थे. रेलवे के निजीकरण के विरोध में 16 अक्टूबर से वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ का विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है. संघ प्रवक्ता जगदीश जुनानिया ने कहा 16 अक्टूबर से जोन व मंडल स्तर पर जबलपुर, भोपाल सहित अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया है.
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