बीमार हो या बेरोजगार , सब को मंजिल तक पहुंचाती हूं ,
मगर पत्थर – आग भी सबसे पहले पाती हूं ,
मैं रेलवे हूं , सब कुछ सह जाती हूं
आक्रोश – आंदोलन का पहला शिकार मुझे ही बनना है ,
नियति इसे मान लिया
सब मेरे हैं , पर कोई नहीं मेरा
इस सच्चाई को जान लिया .
रोती हूं , कलपती हूं , पर कुछ कह नहीं पाती हूं ,
मैं रेलवे हूं , सब कुछ सह जाती हूं …!!
तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
9434453934, 9635221463