- स्टेशन कैंटीन में लगी आग के मामले में रेलवे प्रशासन की कार्रवाई पर उठाये गये सवाल, स्टेशन डायरेक्टर भी जांच टीम में
ग्वालियर से शैलेश. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर पर स्थित कैंटीन में लगी आग रेलवे संरक्षा की बड़ी चूक बतायी जा रही है. 26 अप्रैल को लगी आग से लाखों का नुकसान तो हुआ बड़ा हादसा की संभावना भी टल गयी लेकिन अब रेल प्रशासन इसके वास्तवित कारणों की तह में जाने और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की जगह छोटे कर्मचारी व अधिकारियों को ही निशाना बना रहा है. कैंटीन की आग की तपिश से अब तक जिम्मेदार और आला अधिकारी दूर है. इसे लेकर सवाल भी उठाये जाने लगे है. पूर्व में दो कर्मचारियों को निलंबित करने के बाद प्रभारी डिवीजनल कॉमर्शियल इंस्पेक्टर (डीसीआई) एके सिन्हा को निलंबित कर दिया गया है. सिन्हा डीसीआई वायके मीणा के अवकाश पर रहने के कारण प्रभार पर थे.
स्टेशन एरिया में जांच व निगरानी के साथ मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी स्टेशन निदेशक दीपक चौबे की थी. लेकिन वह स्टेशन में बैठने की जगह तानसेन रोड पर स्थित एरिया मैनेजर कार्यालय में बैठते हैं. स्टेशन की कैंटीन में क्या चल रहा है? इसकी जिम्मेदार अफसरों ने जांच नहीं की? यदि जांच की होती तो कैंटीन में इस तरह 13 सिलेंडर नहीं रखे मिलते.
स्टेशन कैंटीन में सिलेंडर के पाइप से गैस लीकेज होकर फैली आग की आंच अब तक स्टेशन डायरेक्टर दीपक चौबे तक नहीं पहुंची है. ग्वालियर उप-स्टेशन अधीक्षक वाणिज्य पद से सेवानिवृत्त अशोक मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में रेलवे की जांच को गलत दिशा में ले जाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि स्टेशन एरिया में जांच व निगरानी के साथ मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी स्टेशन निदेशक दीपक चौबे की थी. लेकिन वह स्टेशन में बैठने की जगह तानसेन रोड पर स्थित एरिया मैनेजर कार्यालय में बैठते हैं. स्टेशन की कैंटीन में क्या चल रहा है? इसकी जिम्मेदार अफसरों ने जांच नहीं की? यदि जांच की होती तो कैंटीन में इस तरह 13 सिलेंडर नहीं रखे मिलते. जाहिर से ही बात है रेल प्रशासन जिम्मेदार अफसरों को बचा रहा है. जांच कमेटी में स्टेशन निदेशक को शामिल किए जाने पर श्री मिश्रा ने सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि वह इस मामले में रेलवे बोर्ड तक ले जायेंगे. साथ ही कैंटीन में लगी आग की जांच को बोर्ड स्तर पर कराने की मांग करेंगे ताकि सच सामने आ सके. उनका दावा है कि कैंटीन में रखे 13 सिलेंडर यदि फट जाते तो इससे स्टेशन में बड़ा हादसा हो सकता था.
इधर इस मामले की जांच कर रही कमेटी ने 29 अप्रैल यानि सोमवार की देर रात तक कर्मचारियों का बयान दर्ज किया. प्रभारी डीसीआई से पहले रविवार को जांच कमेटी की अनुशंसा पर मुख्य खानपान निरीक्षक अनुज श्रीवास्तव तथा वरिष्ठ खंड अभियंता विद्युत निरंजन झा को भी निलंबित किया जा चुका है. हालांकि रेलवे के आधा अधिकारी यह कह रहे है कि इस मामले में जो भी जिम्मेदार अफसर होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी लेकिन स्टेशन निदेशक को जांच कमेटी में शामिल करने पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. स्टेशन निदेशक पर ही स्टेशन पर संचालित सभी प्रक्रिया की जिम्मेदारी होती है और किसी भी गतिविधि में उसकी कार्यप्रणाली की जांच भी अहम हो जाती है. लेकिन ग्वालियर कैंटीन में लगी आग के बाद स्टेशन निदेशक दीपक चौबे को ही जांच टीम में शामिल कर दिया गया. बताते चले कि अपर मंडल रेल प्रबंधक संजय सिंह नेगी द्वारा जांच समिति का गठन किया गया है. इसमें स्टेशन निदेशक दीपक चौबे, सहायक अभियंता, मंडल विद्युत अभियंता, सहायक सुरक्षा आयुक्त, सहायक मंडल संरक्षा अधिकारी व मंडल वाणिज्य प्रबंधक नीरज भटनागर सहित 6 सदस्यीय दल शामिल है.