- बीते एक साल में एक दर्जन से अधिक रेल दुर्घटनाओं का गवाह रहा है चक्रधरपुर रेलमंडल
- जीएम के दौरे में नाकामियों पर पर्दा डालने में जुटा रहा इंजीनियरिंग विभाग, होता रहा बेपर्द
राउरकेला से चरणजीत सिंह
दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी का चक्रधरपुर डिवीजन में हो रहा दौरा रेलवे के सामने खड़ी कई चुनौतियों को सामने ला रहा है. इसमें सबसे बड़ी चुनौती सेफ्टी की मानी जा रही है. सेफ्टी ऐसा क्षेत्र है जिसे मु्कम्मल रखने के लिए रेलवे हमेशा अलर्ट रहता है और करोड़ों रुपये हर साल इस मद में खर्च किये जाते है. इसके बाद भी सेफ्टी से जुड़ी ऐसी चूक अक्सर सामने आ ही जाती है. रेलवे जीएम के दौरे से ठीक पहले करमपदा स्टेशन के पास शुक्रवार सुबह 7.30 बजे टावर वैगन बेपटरी हो गया. इसी मार्ग से महाप्रबंधक अपने सैलून से करमपदा होते हुए किरीबुरू स्टेशन का निरीक्षण करने जाने वाली थी.
इस अप्रत्याशित घटना के बाद जीएम का किरीबुरू दौरा स्थगित करना पड़ा. जीएम दुर्घटना के बाद रेंगड़ा स्टेशन से बरसुआं स्टेशन की ओर रवाना हुई और स्टेशनों के निरीक्षण का कार्यक्रम दो घंटा विलंब हो गया. ऐसा नहीं है कि रेलवे वैगन के बेपटरी होने की साल दो साल में यह पहली घटना रही है. बीते एक साल में चक्रधरपुर रेलमंडल में छोटी-बड़ी लगभग एक दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं हुई है. इसमें मालगाड़ी के कई वैगन क्षतिग्रस्त होने के साथ ही करोड़ों का नुकसान होने की बात भी सामने आयी है. सेफ्टी की इस चूक पर अब तक न तो कोई बड़ी कार्रवाई सामने आयी न ही दुर्घटनाओं के कारणों का ही अब तक खुलासा किया गया.
रेल महाप्रबंधक जोशी की अगुवाई में ऐसी ही चूकों से निबटना जोन के लिए अब बड़ा चैलेंज बन गया है. यह सब वैसे में हो रहा है जब रेलवे के लिए सेफ्टी की बड़ी अहमितयत है. इसे इस बात से समझा जा सकता है कि सेफ्टी को लेकर इस विभाग में पेशेवर इंजीनियरों के साथ दक्ष कर्मचरियों की बड़ी संख्या में तैनाती की जाती है और उन्हें तमाम संसाधन भी मुहैया कराये जाते है. हर साल इस विभाग का बजट भी बढ़ जाता है. इस साल जोन के बजट में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है इसमें बड़ा हिस्सा सेफ्टी से जुड़े कार्य करने के लिए रखा गया है.
बंडामुंडा में सड़क पर हो गया कीचड़, बुरे फंसे इंजीनियर
चक्रधरपुर रेलमंडल में जीएम अर्चना जोशी के इस दौरे में शुरू से ही नाकामियों पर पर्दा डालने में इंजीनियरिंग विभाग के लोग जुटे रहे लेकिन हर जगह उनकी चूक का खुलासा होता गया. जीएम के आगमन को लेकर बंडामुंडा के आरपीएफ बैरेक से इलेक्ट्रिक लोको शेड तक तीन किलोमीटर के रास्ते को इंजीनियरिंग विभाग के लोगों ने किसी तरह मरम्मत कर चलने लायक बनाया था.
इसी मार्ग से जीएम को गुजरना प्रस्तावित था. हालांकि अचानक शुरू हुई बारिश ने मिट्टी डालकर गड्ढों को भरी गयी सड़क को कीचड़ में तब्दील कर दिया. सुबह यह देखकर रेलवे इंजीनियरों की हालत बिगड़ गयी. हालांकि आनन-फानन में क्वारी डस्ट डलवाकर फिर से हकीकत पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया. जीएम बंडामुंडा पहुंची, तो सडकों की हालत से उन्हें भी निराशा हुई. बड़ाजामदा के लोगों का कहना था कि वर्षों में सड़क की मरम्मत की मांग को अनसुना किया गया.