- अगस्त 2019 में रेलवे बोर्ड ने जारी की थी अधिसूचना, टल गया था कार्यक्रम
- 11 साल बाद फिर से चुनाव की अधिसूचना से रेलवे यूनियनों में हलचल तेज
railway union elections .रेलवे में यूनियनों की मान्यता के लिए प्रस्तावित चुनावों की घोषणा बोर्ड ने कर दी है. 01 फरवरी 2024 को जारी आदेश में सभी जोनों समेत मेट्रो रेलवे में सेक्रेड बैलेट चुनाव को लेकर दिशा-निर्देश दिया है. चुनाव की तिथियों की घोषणा रेलवे बोर्ड बाद में जारी करेगा. हालांकि जुलाई-2024 में संभावित चुनाव को लेकर सभी जोनों को अपने-अपने स्तर पर तैयारी करने का निर्देश दिया गया है. चुनाव के सूचना जारी होने के साथ ही यूनियनों में मान्यता के लिए कर्मचारियों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की कवायद तेज हो गयी है.
रेलवे में यूनियन की मान्यता के लिए पहली बार चुनाव मई 2007 में कराये गये थे. इसमें एआईआरएफ (ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन) की नार्दन रेलवे मेंस यूनियन नियम अनुसार 35 फीसदी वोट लेकर सत्ता में आई थी. जबकि एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे) की उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन बड़े मार्जन से निश्चित फीसदी वोट पूरा ना होने के कारण सत्ता से बाहर हो गई थी.
दूसरी बार 2013 में हुए चुनाव में दोनों यूनियनों को 35 फीसदी वोट हासिल होने के कारण मान्यता मिल गयी. रेलवे में एआईआरएफ को 17 जोनों में से 14 जोनों में विजय मिली थी. जबकि एनएफआईआर को 17 में से सिर्फ 10 जोन में ही जीत हासिल हुई थी. तीसरी बार 2019 में चुनाव प्रस्तावित था. इसके लिए अधिसूचना जारी की गयी थी लेकिन पहले लोस चुनाव फिर कोरोना के कारण यह टलता गया. 05 साल बाद एक बार फिर से रेलवे बोर्ड से चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद सक्रियता दिखने लगी है.
अब दोनों फेडरेशन से जुड़ी यूनियनें फिर से अपनी मान्यता को लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगी. चुनाव की घोषणा होने के दो माह पूर्व दोनों फेडरेशनों की मान्यता खत्म हो जाएगी. ऐसा दो माह पूर्व आचार संहिता लग जाने के कारण होगा.
आचार संहिता लागू होने से पूर्व ही अलग-अलग जोन में दोनों फेडरेशन से जुड़ी यूनियनें कर्मचारियों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए जनसंपर्क अभियान तेज कर चुकी है. किसी भी जोन में कर्मचारियों की कुल संख्या के 35 प्रतिशत वोट पाने पर यूनियन को ही जोन में मान्यता देने का प्रावधान है. इस बार चुनाव में एआईआरएफ (ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन) और एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे) के अलावा अन्य यूनियनें भी उतरने को ताल ठोंक रही है. इस कारण रेलकर्मियों को जहां एक ओर अपनी मनपसंद यूनियन चुनने का मौका होगा वहीं दूसरी ओर दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशन के लिए अपना दुर्ग बचा पाने की कठित चुनौती भी होंगी.
इसके अलावा देश भर में विभागवार कई यूनियनों ने अपने-अपने स्तर पर कर्मचारियों को संगठित करना शुरू कर दिया है. हर यूनियन अपनी-अपनी मान्यता के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इन यूनियनों में एआईआरएफ और एनएफआईआर के प्रति अपने-अपने विभागों की समस्याओं को बेहतर तरीके से रेल प्रशासन के समक्ष नहीं उठा पाने के लिए नाराजगी है. इसमें रेलवे ट्रैकमेन यूनियन, एसएंडटी यूनियन समेत कई अन्य यूनियनें शामिल है.
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