- रेलवे बोर्ड की किसी भी गाइड लाइन को नहीं मानता दानापुर का अभियंत्रण विभाग
- तबादला आदेश जारी होने के बाद ताबड़तोड़ बनाये बिल-बाउचर जांच के दायरे में
- संवेदनशील पदों पर तबादले के नियमों के अनुपालन में भी किया गया घालमेल
PATNA. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से यह माना कि व्यवस्था में चल रहा भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है. इसे रोकने के लिए सीवीसी की गाइडलाइन के अनुसार रेलवे बोर्ड ने भी संवेदनशील पदों पर तबादलों को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किये लेकिन इनका अनुपालन कराने वालों के मौन ने पूरी व्यवस्था का बंटाधार कर दिया.
हम बात कर रहे हैं पूर्व मध्य रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की जहां नियमों को तोड़मरोड़कर अपने अनुसार संचालित करने की मनमानी ने पूरे सिस्टम को बेपटरी कर दिया है, अगर यह कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. अभियंत्रण विभाग बेपटरी क्यूं हुआ और कैसे हुआ यह जानने के लिए ज्यादा माथापच्ची की जरूरत नहीं है, जब बजट सभी विभागों से ज्यादा हो तो स्वाभाविक रूप से अनियमितता लूटने की होड़ ने सिस्टम को बेपटरी तो किया ही है, बेपर्दा भी कर दिया है.
03.10.2024 को अभियंत्रण विभाग, दानापुर द्वारा जारी तबादला आदेश E/ENGG/JE/SSE/ARRANGEMENT/24/833 इन दिनों विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस आदेश के अनुसार पटना जंक्शन पर पदस्थापित सौरभ कुमार गिरि दानापुर में ज्वायन कर लेते हैं और लगभग 10 वर्षों से दानापुर में पदस्थापित कपिल कुमार पटना जंक्शन पर योगदान दे देते हैं. वहीं पाटलिपुत्र स्टेशन पर पदस्थापित विपिन कुमार सिंह अपना योगदान पटना जंक्शन पर दे देते हैं लेकिन पटना जंक्शन पर पदस्थापित संजय कुमार का इंतजार तीन माह बाद भी पाटलिपुत्र का वरीय प्रशाखा अभियंता (कार्य) का कार्यालय अभी तक कर रहा है.
यह सोचने वाली बात है कि पटना जंक्शन से पाटलिपुत्र की दूरी 10 किलोमीटर भी नहीं हैं तो संजय कुमार कहां भटक गए, तो सच्चाई तो यह है कि संजय कुमार भटक नहीं गए, पटना जंक्शन पर ही अटक गए हैं और इसके पीछे कारण है यहां चल रहा ” गोलमाल का खेल”. जिसे हवा दे रहा हैं बाबा भोले के नामधारी एक अफसर. जिनकी निगहबानी में तबादला आदेश जारी होने के बाद भी संजय कुमार लगातार बिल-बाउचर बना रहे हैं. यहां चर्चा है कि इस तीन माह की अवधि में पांच करोड़ से अधिक के विपत्र बनाए गए हैं जो काम अब भी जारी हैं. यह जांच का विषय है. तबादले के बाद भी इन्होंने नये स्थान पर योगदान क्यों नहीं दिया? वह यहां बिल-बाउचर कैसे बना रहे हैं?
जोन से लेकर डिवीजन तक इस बात की चर्चा हो रही है कि दानापुर मंडल के वरीय मंडल अभियंता (मुख्यालय) को पदोन्नति के बाद भी यहीं बनाये रखा गया. ये पदोन्नति के पूर्व दानापुर में मंडल अभियंता मुख्यालय के पद पर थे. सवाल यह उठाया जा रहा है कि जब पटना जंक्शन पर दो-दो वरीय प्रशाखा अभियंता कार्यरत हैं तो पाटलिपुत्र का वरीय प्रशाखा अभियंता (कार्य) का कार्यालय इंचार्ज विहीन क्यों चल रहा है ? बिल-बाउचर के इस खेल में पटना जंक्शन पर पदस्थापित सहायक अभियंता (कार्य) पीके की भूमिका भी संदेहास्पद है जो पिछले तीन साल से पटना जंक्शन पर ही पदस्थापित हैं. अब विभागीय लोग ही यह सवाल उठा रहे कि तबादला आदेश जारी होने के बाद इतना विपत्र कैसे बना ? क्या यह सिस्टम के बेपटरी का प्रमाण नहीं है?
चार-चार वरीय प्रशाखा अभियंता लेकिन एक कनीय को बना दिया इंचार्ज
दानापुर रेलमंडल के अभियंत्रण विभाग में आदेश संख्या E/ENGG/ARRANGEMENTS/TRANSFER/SSE/JE/963, dated 11.12.2024 को लेकर भी चर्चा तेज है. इस आदेश में वर्षों से दानापुर में ही पदस्थापित वरीय प्रशाखा अभियंता (रेल पथ) राकेश कुमार का तबादला ट्रैक डिपो दानापुर में कर दिया गया जबकि लगभग 15 सालों से ही दानापुर में जमे कनीय अभियंता ( रेल पथ) मुकेश कुमार सिंह को दानापुर का इंचार्ज बनाने का आदेश जारी किया गया है. यहा गौरतलब है कि चार-चार वरीय प्रशाखा अभियंता (रेल पथ) इंचार्ज बनने का सपना पाले अब भी अपनी पारी का इंतजार कर रहे है. इस आदेश के बाद ये लोग अपनी किस्मत को कोस रहे हैं. बड़ा सवाल यह है कि चार-चार वरीय प्रशाखा अभियंता के रहते एक कनीय अभियंता को इंचार्ज बना देना किस वरीयता के सिस्टम का अनुपालन है ?
यहां अवकाश प्राप्त करने के करीब पहुंच चुके प्रमुख मुख्य अभियंता अभियंत्रण इस पूरे सुनियोजित ” लूट तांडव” पर धृतराष्ट्र बने हुए है तो सतर्कता विभाग भीष्म पितामह की भूमिका में “सतर्कता पखवाड़ा”मनाकर अपनी उपस्थिति का अहसास करा रहा है.