- 6 जुलाई 2024 को कार्य में लापरवाही बताकर ESM निशिथ मुजुमदार को कर दिया गया था सेवा मुक्त
KOLKATTA. पूर्व रेलवे का मालदा डिवीजन बीते एक सप्ताह में अफसरों की मनमानी, गैरजिम्मेदार कार्यप्रणाली, सेवा के प्रति लापरवाही समेत कई अहम घटनाओं का गवाह बना है. यहां 6 जुलाई 2024 को सिग्नल टेक्नीशियन निशिथ मुजुमदार को ‘REMOVAL FROM SERVICE‘ सेवा मुक्त किये जाने का मामला ऐसा गमराया कि उसकी गूंज रेलवे बोर्ड तक सुनी गयी. नतीजा रहा कि चार दिन बाद ही सामान्य चेतावनी के साथ टेक्नीशियन को सेवा में वापसी का आदेश जारी करना पड़ा.
हां, इस बीच डीआरएम मालदा विकास चौबे को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड में डेपुटेशन पर भेजे जाने का आदेश जारी हो गया. इससे यह पूरा मामला हाई प्रोफाइल बन गया है.
अब ESM को “रिमूव फ्रार्म सर्विस” का आदेश जारी करने वाले DSTE विजेंद्र कुमार यादव की भूमिका और अपनाये गये नियमों को लेकर अधिकारियों के बीच ही चर्चा शुरू हो गयी है. चर्चा यह भी है कि यह आदेश दबाव में दिया गया था. हालांकि इस मामले को वरीय अधिकारियों तक पहुंचाने में IRSTMU इंडियन रेलवे सिग्नल एंड मेंटेनेंस यूनियन ने अहम भूमिका निभायी.
मालदा में पॉइंट फेल्योर के केस में Rule 14(ii) of Railway Servants (Discipline & Appeal) Rules 1968 Remove from service के तहत Nishith Majumder, Technician Gr. 3 पर कार्रवाई की गयी थी. IRSTMU का दावा है कि यह कार्रवाई SOP तथा सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत की गयी है.
बताया जाता है कि 25 मिनट के फ्लयोर के लिए मात्र 7 घंटे में ही बिना किसी स्पष्टीकरण व जांच प्रक्रिया के ही निशिथ मुजुमदार को रिमूव फ्रार्म सर्विस का पत्र थमा दिया गया था. नियम 14.ii के तहत सेवा मुक्त किये जाने के इस मामले में SOP का अनुपालन नहीं सुनिश्चित किया गया. IRSTMU के अध्यक्ष नवीन कुमार की माने तो प्वाइंट के फेलियर के कई कारक है. इसमें सिर्फ ESM -III को उतरदाई नहीं माना जा सकता.
रेलवे बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीराम पटेल एवं सत्यवतीर सिंह के मामले में गृह मंत्रालय के निर्देश के पालन का जो दिशा-निर्देश दिया उसे भी ध्यान में नहीं रखा गया. नवीन कुमार ने सीधे निष्कासन की निंदा करते हुए कर्मचारी की तत्काल बहाल करने की मांग सीनियर डीएसटीई आदित्य अंबर, पीसीएसटी, पूर्व रेलवे भुवनेश कुमार अग्रवाल से करते हुए तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध था.
निशिथ मुजुमदार के मामले में जिस तरह से रेलवे ने यू र्टन लिया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि दाल में कहीं न कहीं तो काला था. लिहाजा मामले में DSTE/Malda विजेंद्र कुमार यादव और Sr DSTE/Malda आदित्य अंबर की भी जिम्मेदारी तय करने की मांग शुरू हो गयी है.
इन घटनाओं के बीच ही आईआरटीएस अधिकारी व डीआरएम विकास चौबे को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड, नई दिल्ली में पांच साल के लिए डेपुटेशन पर भेजने का आदेश जारी हो गया है. बताया जाता है कि उन्हें नयी जिम्मेदारी दी जा रही है. वह डायरेक्टर, ट्रांसपोर्ट- सेफ्टी-मार्केटिंग देखेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि वह डीआरएम का कार्यकाल पूरा करने के बाद नए पद पर ज्वाइन करेंगे. उनका सितंबर में कार्यकाल पूरा हो रहा है.
किसी भी परिस्थिति हो कोई भी काम हो IRSTMU की टीम कर्मचारियों के साथ खड़ी है. संगठन मजबूत नहीं हो तो कोई भी हमारी बात सुनने वाला नहीं है. संगठन की जरूरत किसी को कभी भी पड़ सकती है. संगठन की मजबूती एकजुटता में है. जरूरी है IRSTMU का साथ देने और मजबूत करने की.
नवीन कुमार, अध्यक्ष, IRSTMU
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