- कुड़मी आंदोलन से हाइजैक रेलसेवा के बहाल होने पर संशय बरकरार, रेलवे अधिकारी मौन
- हावड़ा-टाटा और टाटा-पुरुलिया के बीच पांच दिनों से बाधित है रेल सेवा, हजारों यात्री परेशान
KHARAGPUR. कुड़मी को आदिवासी का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन के पांचवे दिन अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी है. केबिनेट सेक्रेटरी और अनुमंडल पदाधिकारी से वार्ता के बाद एक गुट के नेताओं ने आंदोलन को वापस लेने पर सहमति जता दी थी. हालांकि जब वह प्रस्ताव लेकर प्रदर्शनकारियों के पास पहुंचे तो उसे खारिज कर दिया गया और विभिन्न गुटों के नेता आंदोलन जारी रखने पर अड़े गये. इस तरह पश्चिम बंगाल के खेमाशुली में आंदोलन जारी रखा गया है.
देर रात तक रेलवे लाइन और एनएच पर आंदोलनकारी जमे हुए थे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा था. वार्ता के बाद भी आंदोलन नहीं खत्म करने की स्थिति ने एक ओर जहां वार्ता करने वाले नेताओं की स्थिति को हास्यास्पद बना दिया है वहीं आंदोलन की दिशा को लेकर भी सवाल उठाये जाने लगे हैं. बंगाल में अहम त्योहारों में एक दुर्गा पूजा को लेकर बड़ी संख्या में लोग बंगाल जाने के लिए विभिन्न् स्टेशनों से तैयारी कर रहे हैं तो पूजा में बड़ी संख्या लोग-कारीगर बंगाल से झारखंड व दूसरे राज्यों में कारोबार के लिए जाते हैं. ऐसे लोगों के सामने विषम स्थिति पैदा हो गयी है.
उधर, रेल प्रशासन आंदोलनकारियों के अगले निर्णय का इंतजार कर रहा हैं. इस तरह आंदोलन दो गुटों में बंटा नजर आने लगा है. एक गुट आंदोलन खत्म करने को तैयार है तो दूसरा गुट अब भी मोर्चा संभालने हुआ है. सबसे खराब स्थिति उन यात्रियों की है जो पांच दिनों से हाईजैक की स्थिति में विभिन्न स्टेशनों पर फंसे हुए है. हालांकि रेलवे द्वारा कुछ ट्रेनों को डायवर्ट कर चलाने का निर्णय लेने से राहत जरूर मिली है लेकिन इसका बड़ा फायदा बड़े वर्ग को नहीं मिल सका है.
रेल यात्रियों ने आंदोलन से हुई परेशानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को समान रूप से दोषी ठहराते हुए इसे दो हजार लोगों द्वारा 20 लाख यात्रियों को हाईजैक कर रखने वाला कदम बताया है. यात्रियों ने सवाल किया कि अगर ऐसा होता रहा तो सरकार का सिस्टम हमेशा ध्वस्त होता रहेगा और विभिन्न मांगों को लेकर रेलवे और राष्ट के परिवहन सिस्टम को जाम कर लोग मनमानी करते रहेंगे.
बहरहाल रेल यात्रियों ने आंदोलन से हुई परेशानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को समान रूप से दोषी ठहराते हुए इसे दो हजार लोगों द्वारा 20 लाख यात्रियों को हाईजैक कर रखने वाला कदम बताया है. यात्रियों ने सवाल किया कि अगर ऐसा होता रहा तो सरकार का सिस्टम हमेशा ध्वस्त होता रहेगा और विभिन्न मांगों को लेकर रेलवे और राष्ट के परिवहन सिस्टम को जाम कर लोग मनमानी करते रहेंगे. यहां जायज और नजायज का सवाल ही खत्म हो जायेगा क्योंकि तब हर कोई अपनी मांग मनवाने के लिए सरकारी सिस्टम को हाईजैक कर लेगा और लाखों लोग परेशान होते रहेंगे.
हावड़ा-मुंबई मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह बाधित है. मंगलवार 20 सितंबर की सुबह 5:35 बजे चल रहा आंदोलन शनिवार तक जारी है. रेलवे अब तक 232 ट्रेनों को रद्द कर चुकी है जिससे उसे करोड़ों का नुकसान होने की खबर है. हावड़ा-टाटा और टाटा-पुरुलिया के बीच पांच दिनों से बाधित रेल सेवा के कारण हजारों यात्री परेशान हैं.
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