- डीजी अरुण कुमार की अवैध वसूली को लेकर सख्ती का दिख रहा असर
- भ्रष्टाचार के मामले में धनबाद में अब तक की सबसे तेज कार्रवाई
रेलहंट ब्यूरो धनबाद
रेल मंडल के सीनियर आरपीएफ कमांडेंट विनोद कुमार पर कार्रवाई के बाद चर्चा में आये धनबाद सेक्शन में स्टेशन पर सब्जी विक्रेता से अवैध वसूली करने के आरोप में आरपीएफ के जवान राजेश कुमार तिवारी पहले निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया गया है. यह कार्रवाई वायरल हो रहे वीडियो के आधार पर की गयी है जिसमें आरपीएफ का जवान आरके तिवारी स्टेशन पर महिला सब्जी विक्रेता से वसूली करते दिख रहा. वीडियो में यह स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि जवान प्लेटफार्म पर महिला सब्जी विक्रेता से रुपये लेकर जेब में डाल रहा और फिर आगे बढ़ जाता है. महिला डेली पैसेंजरों में शामिल है जो रोजी-रोटी के लिए दूर दराज से सब्जी लाकर धनबाद में बेचती है. माना जा रहा है कि यह वीडियो किसी ने प्लेटफार्म खड़ी ट्रेन से लिया है कई जगह भेज दिया.
हालांकि स्टेशन पर इंटीग्र्रेटेड सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है लेकिन यह अवैध वसूली रोक पाने में विफल रहे हैं. इससे पूर्व डीजी ने चार माह पूर्व ही अनियमितता के आरोप में तत्कालीन सीनियर कमांडेंट को निलंबित कर दिया था. हालांकि कमांडेंट पर की गयी कार्रवाई के तकनीकी बिंदुओं पर सवाल उठाया गया था लेकिन तब यह बात सामने आयी थी कि डीजी ने अवैध धंधों को लेकर सख्ती दिखाते हुए महकमे में एक नयी लकीर खींचने का प्रयास किया है जो बेहतर कदम है.
बताया जाता है कि वायरल वीडियो पूर्व मध्य रेलवे के ट्वीटर एकाउंट पर भी भेजा गया. इसके बाद आरपीएफ जवान आरके तिवारी को निलंबित कर दिया गया था. इसके साथ ही विभागीय जांच शुरू कर दी गयी थी. यह जवान स्टेशन ड्यूटी में 26 से 29 जून तक था. इसके बाद 30 जून व एक जुलाई को उसकी ड्यूटी कही और लगा दी गयी लेकिन वह वसूली के लिए स्टेशन चला आया और अवैध वसूली करते वीडियो में कैद हो गया.
आरपीएफ जवान के खिलाफ जारी वीडियो को एक जुलाई को सिक्युरिटी कंट्रोल को भी ट्वीट किया गया था. इसके बाद इस पर जांच रिजर्व कंपनी के इंस्पेक्टर ने की. अपनी जांच रिपोर्ट में इंस्पेक्टर ने प्रथम दृष्टया अवैध वसूली के साक्ष्य को सही मानते हुए कार्रवाई की रिपोर्ट सीनियर कमांडेट को दी. इसके बाद सीनियर कमांडेंट हेमंत कुमार ने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कांटेबल राजेश कुमार तिवारी को तीन जुलाई को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया. यह पहला मौका है जब भ्रष्टाचार के किसी मामले में घटना की शिकायत के एक सप्ताह के भीतर ही जांच प्रक्रिया को पूरी करते हुए किसी जवान को बर्खास्त कर दिया हो. हालांकि जवान 30 दिन में कार्रवाई के खिलाफ डीआइजी सह मुख्य सुरक्षा आयुक्त को अपील कर सकता है.