- दिल्ली-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई रेलवे ट्रैक को भी कवच सिस्टम से लैस करने की योजना
- 10 हजार रेल इंजन में दुर्घटना रोधी सिस्टम को अगले दो साल में लगाये जायेंगे
NEW DELHI. मानवीय भूल की वजह से हो रहे ट्रेन हादसों को रोकने के लिए रेलवे ने कवच सिस्टम से लैस करने में तेजी दिखायेगा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया है कि अगले साल मार्च तक दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट को कवच सिस्टम से लैस कर लिया जाएगा. इसके साथ ही रेलवे बोर्ड दिल्ली-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई रेलवे ट्रैक को भी कवच सिस्टम से लैस करेगा.
आधुनिक तकनीक से लैस यह सिस्टम हर मौसम व भौगोलिक स्थिति में काम करेगा, यानि कश्मीर से कन्याकुमारी तक के मौसम में कवच ट्रेनों की टक्कर को रोकेगा. रेल मंत्री ने कहा कि हर साल कवच-4.0 अब 5.5 हजार किलोमीटर रूट ट्रैक पर लगेगा. अगले तीन साल में 9 हजार किलोमीटर ट्रैक को इस सिस्टम से लैस कर लिया जाएगा. 10 हजार रेल इंजन में इस सिस्टम को अगले दो साल में लगा जाएगा.
अगले 10 साल में कुल 70 हजार किलोमीटर के नेटवर्क और 20 हजार इंजन पर कवच लगाया जाएगा. इसके लिए सभी 8,000 रेलवे स्टेशनों का ड्रोन और लेडार से सर्वे किया जा रहा है. वैष्णव ने बताया कि स्टेशन पर कवच लगाना सबसे बड़ी चुनौती का काम होता है.
तीन कंपनियों को दी मंजूरी, दो और लाइन में
रेल मंत्री ने बताया कि कवच 4.0 जंगल, ऊंचे पहाड़ और रेगिस्तान में भी काम करेगा. फिलहाल तीन कंपनियों को इसे लगाने की मंजूरी दी गई है. जल्द ही दो और कंपनी को जिम्मेदारी दी जाएगी. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्ग की दूरी करीब 3,000 किलोमीटर है तो मुंबई-चेन्नई मार्ग करीब 3,300 किलोमीटर लंबा है.
ट्रैक मेंटेनेंस के लिए अल्ट्रासाउंड फ्लो डिटेक्शन तकनीक में बदलाव
रेल मंत्री ने मीडिया को बताया कि ट्रैक मेंटेनेंस के लिए अल्ट्रासाउंड फ्लो डिटेक्शन तकनीक में भी बदलाव किया गया है. अब ट्रैक सुरक्षित है या नहीं, पता लगाने के लिए मल्टिपल बीम वाली तकनीक अपनाई गई है. फिलहाल 100 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन चल रही है इसे बढ़ाकर 130 और 160 किमी प्रति घंटा चलने लायक पटरी को बनाया जाएगा.
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