- अपशब्दों की बौछार, सोशल मीडिया पर किया जा रहा वायरल, अकाउंट के फेक होने की संभावना
कोलकाता. टिवटर पर आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार की लातन-मलानत की जा रही है. टिवटर पोस्ट पर आरपीएफ डीजी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने वाला कौन है यह अब तक खुलासा नहीं हो पाया है. ट्वीटर हैंडल ID-@VinodKumar570 के नाम से संचालित टिवटर अकाउंट में आरपीएफ के डीजी के अलावा एसइआर के पीसीएससी(प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त) के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है. सोशल मीडिया पर यह टवीट वायरल किया गया है. टवीट को कई पदाधिकारियों को भी शेयर किया गया है.स्क्रीन शॉट की जांच के यह पता चलता है कि अब तक वह ट्वीटर हैंडल मौजूद है.
टिवटर पर यह टिप्पणी तीन दिन पहले की गयी है. अब तक आरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि टिवटर अकाउंट फेक बनाकर आरपीएफ के विवादास्पत मुद्दों को उठाया जा रहा है. फिलहाल तथाकथित विनोद कुमार ने मदन गिरी का मुद्दा उठाया है. अकाउंट और वायरल हो रही तथ्यों की जांच तो पुलिस ही कर सकती है लेकिन अब तक इस अकाउंट से उठाये गये तमाम बिंदुओं में आरपीएफ की कार्यप्रणाली और आला अधिकारियों के प्रति जवान-अधिकारियेां के आक्रोश की झलक दिखायी पड़ रही है. ट्वीटर के स्क्रीन शाट को संकेत बनाकर कई लोगों ने ट्वीट कर तथाकथित आउंट होल्डर पर एफआईआर करने की सलाह भी दी है लेकिन अब तक संबधित अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
बताया जाता है कि पिछले साल घटी एक घटना में मेघालय चुनाव ड्यूटी में भेजे गए आरपीएफ के सहायक कमांडेंट एमसी त्यागी की आरपीएसएफ के जवान द्वारा एके-47 से गोली मारकर हत्या के बाद आरपीएसएफ के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त जया वर्मा ने एडवाइजरी जारी कर देशभर के सभी आरपीएसएफ बटालियनों के कमांडिंग अफसरों के कहा गया है कि वह अपनी-अपनी बटालियन में यह सुनिश्चित करें कि कोई भी अधिकारी (सीनियर व जूनियर), थानों में तैनात इंस्पेक्टर अथवा सब इंस्पेक्टर किसी जवान के साथ बदसलूकी न करे. यदि जवानों की कोई समस्या है तो उसकी बात सुनकर समस्या का हल निकालें. इस एडवाइजरी को पूरी तरह से कांफिडेंशियल रखा गया. वर्मा ने चेतावनी दी थी कि जिस अधिकारी ने जवानों के साथ बदसलूकी की उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद ऐसा प्रतीत होने लगा था कि अब जवानों की मानसिक व शारीरिक रूप से बेवजह परेशान नहीं किया जायेगा और अधिकारी उनकी बातों को सुनकर निदान निकालेंगे.
यह सच में मदन गिरि को न्याय दिलाने का प्रयास है अथवा किसी ने अपना हित साधने के लिए फर्जी अकाउंट बनाकर डीजी और पीसीएससी को गाली देकर सीधे-सीधे आला अधिकारियों को निशाने पर मदन गिरि को लाकर खड़ा कर दिया है
टिवटर पर जो नाम मदन गिरि का लिखा जा रहा है वह चक्रधरपुर रेलमंडल में प्रधान आरक्षक हैं .उसके खिलाफ बीते माह चक्रधरपुर रेलमंडल के आरपीएफ एएससी ने 1987 के नियम 158 के तहत आरोप पत्र दिया है. जिसमें वर्तमान वेतनमान के नौ स्तर नीचे और वह भी अगले दस वर्षों तक के लिए अस्थायी बंद यानि अगले 10 वर्षों तक आज जो वेतन नौ स्तर घटाकर तय किया जायेगा वही अगले 10 सालों तक वह उठायेगा. टिवटर पर टिप्पणी करने वाले तथाकथित विनोद कुमार ने मदन गिरि के मामले में चक्रधरपुर रेलमंडल के सीनियर डीएससी को निष्पक्षता से जांच करने का अनुरोध किया है.
इस तरह डीजी और पीसीएससी के खिलाफ की गयी टिप्पणी के द्वारा इस पूरे मामले का इशारा चक्रधरपुर रेल मंडल के मदन गिरि के केस की ओर करने का प्रयास किया गया है. यह सच में मदन गिरि को न्याय दिलाने का प्रयास है अथवा किसी ने अपना हित साधने के लिए फर्जी अकाउंट बनाकर डीजी और पीसीएससी को गाली देकर सीधे-सीधे आला अधिकारियों को निशाने पर मदन गिरि को लाकर खड़ा कर दिया है. दोनों ही मामले में इस टवीट की जांच कराकर सच को सामने लाने की बात आरपीएफ के अधिकारी व जवान कर रहे है ताकि वास्तविक स्थित सामने आ सके.
विभाग पर फर्जी नाम व पता से हमला करना गंभीर बात है और इसे गंभीरता से नहीं लेकर विभागीय अधिकारियों क्या संकेत देना चाहते है यह बात समझ से परे हे. इससे यह साबित होता है कि आरपीएफ में सब ठीक नहीं चल रहा. महिला कांस्टेबल के साथ छेड़छाड़ के आरोपी सियालदह कंट्रोल में तैनात आरपीएफ इंस्पेक्टर अरुप मंडल को अदालत ने जेल भेज दिया है. यह मामला भी काफी सुर्खियों में रहा है.