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टाटानगर रेलवे कॉलोनी में दबंग टीटू शर्मा को मिला करनी का फल, रेलवे की भी खुली पोल

टाटानगर रेलवे कॉलोनी में दबंग टीटू शर्मा को मिला करनी का फल, रेलवे की भी खुली पोल
  • टीटू के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाकर रेलवे को वाहवाही के  साथ करना पड़ रहा तीखे सवालों का सामना

चक्रधरपुर. रेल सुरक्षा बल आरपीएफ ने टाटानगर के रेलवे मेडिकल कॉलोनी में दबंग की पहचान रखने वाले और कई संगीन आपराधिक मामलों में आरोपी टीटू शर्मा के अवैध तरीके से बनाये गये मकान समेत अन्य निर्माण पर बुलडोजर चलाकर रेलकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों में भी सनसनी पैदा कर दी है. रेलवे के कंडम घोषित दो क्वार्टरों को अपने पैसे से आलीभवन भवन का रूप दे देने वाले टीटू शर्मा के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने करीब दो दशक (20 साल) से ज्यादा समय से यह अवैध कब्जा कर रखा था पर रेल प्रशासन की ओर से एक बार भी उसके खिलाफ कार्रवाई की खानापूर्ति तक करने की रश्म आदायगी भी नहीं दिखायी गयी थी.

आम धारणा यही है कि यदि आरपीएफ के चक्रधरपुर मंडल के कमांडेंट ओंकार सिंह ने अगर व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर कानून का शासन दिखाने का संकल्प नहीं लिया होता तो टीटू शर्मा के खिलाफ इस तरह की अभूतपूर्ण कार्रवाई शायद ही हो पाती. जानकार यह भी बताते है कि दबंग टीटू शर्मा के मनबढ़ू समर्थकों ने यदि होली के ठीक पहले हुड़दंग के दौरान आरपीएफ एएसआई व जवानों से पंगा नहीं लिया होता तो उनके सरगना यानी टीटू शर्मा पर लाखों रुपये की चोट और नये आपराधिक मामले का डंडा नहीं चला होता.

टाटानगर रेलवे कॉलोनी में दबंग टीटू शर्मा को मिला करनी का फल, रेलवे की भी खुली पोल

आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट ओंकार सिंह, चक्रधरपुर

आरपीएफ के चक्रधरपुर मंडल के कमांडेंट ओंकार सिंह ने अगर व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर कानून का शासन दिखाने का संकल्प नहीं लिया होता तो टीटू शर्मा के खिलाफ इस तरह की अभूतपूर्ण कार्रवाई शायद ही हो पाती. जानकार यह भी बताते है कि दबंग टीटू शर्मा के मनबढ़ू समर्थकों ने यदि होली के ठीक पहले हुड़दंग के दौरान आरपीएफ एएसआई व जवानों से पंगा नहीं लिया होता तो उनके सरगना यानी टीटू शर्मा पर लाखों रुपये की चोट और नये आपराधिक मामले का डंडा नहीं चला होता.

हुआ यह था कि होली के एक दिन पहले मेडिकल कॉलोनी से गुजरते वक्त आरपीएफ अधिकारी व जवानों ने टीटू के लड़कों से कम आवाज में साउंड बाक्स बजाने को कहा था. इस पर उन युवकों ने आरपीएफ की बात सुनने या मामने की जगह रेलवे सुरक्षा बल से ही पंगा ले लिया और पहले दिन अधिकारी व जवानों को बेइज्जती कर वहां लौटने को मजबूर कर दिया था. जब आरपीएफ जवानों की कथित पिटाई और बेइज्जती की यह सूचना नमक-मिर्च के लपेटे के साथ चक्रधरपुर मंडल मुख्यालय पहुंची तभी तय हो गया कि अपने बिगड़ैल लड़कों की करनी का फल टीटू को भोगना पड़ सकता है.

टाटानगर रेलवे कॉलोनी में दबंग टीटू शर्मा को मिला करनी का फल, रेलवे की भी खुली पोलअंदेशा सही निकला, आनन-फानन में आरपीएफ ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की और यूपी के बुलडोजर राज का अश्क टाटानगर मेडिकल कॉलोनी में भी दिखायी पड़ गया. ना खाता न बही पहले कार्रवाई की तर्ज पर आनन-फानन में पहले अवैध निर्माण के सामानों को जब्त किया गया फिर अगले ही दिन. बुलडोजर चलाकर टीटू के टाटानगर में बनाये गये साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया गया. लेकिन खबर सिर्फ इतनी भर नहीं है. टीटू को अपनी करनी का फल भुगतना पड़ा, किसी भी अवैध दखल या गैरकानूनी कार्य में देर-सबेर ऐसे परिणाम आरोपी को मिलते ही हैं लेकिन पूरे घटनाक्रम का दिलचस्प पहलू यह है कि अवैध दखल निर्माण पर कार्रवाई कर रेलवे प्रशासन ने अपनी धोती भी सरेआम खुलवा ली है.

READ MORE : टाटानगर : म्यूजिक बंद कराने गये आरपीएफ जवानों को पीटा, एक दर्जन को उठाया

एक ओर लोग जहां रेलकर्मियों से लेकर आम जन तक दबंग टीटू शर्मा के अवैध कब्जे पर हुए इस बुलडोजर प्रहार कि हिम्मत दिलाने के लिए दिलेर आरपीएफ कमांडेंट ओंकार सिंह के निर्णय क्षमता की सराहन करते नहीं थकते तो रेल प्रशासन के पिछले दो दशक की (20 साल) की सुस्ती पर भी चटकारे लेकर सवाल उठा रहे हैं. इससे रेलवे की भी पोल खुल रही है.

रेल महकमे में सवार तैर रहा कि किसी क्वार्टर के आधिकारिक तौर पर कंडम घोषित होने की जानकारी टीटू शर्मा को कैसे मिली ? और उन क्वार्टरों पर अवैध कब्जा कर जब उसने घर बनाना शुरू किया तो तब रेलवे का बुलडोजर किसी सुरंग में जंग खा रहा था ? टीटू के अवैध कब्जे पर प्रहार के लिए रेलवे ने तब क्यों नहीं कार्रवाई की या बाद के लगभग 20 साल तब रेलवे क्यों और कैसे आंखें मुंदें रह गयी?

सवाल यह भी उठ रहा है कि किसी अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए रेलवे इंजीनियरिंग विभाग की ओर से मान्य प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया. नोटिस करने से लेकर अन्य पहलूओं पर गौर क्यों नहीं किया गया. स्थानीय पुलिस को सूचना देने की जरूरी औपचारिकता को क्यों शिथिल किया गया? करीब दो दशक तक रेलवे संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाला विभाग सोया क्यों रहा.

क्या अब वैसे रेलवे अधिकारी व कर्मचारी चिह्नित कर कार्रवाई के दायरे में लाये जायेंगे जिनके कार्यकाल में टीटू शर्मा ने अवैध कब्जा कर आलीशान मकान बनवाया और वर्षों तक रेलवे संपति पर एैश काटता रहा. सबसे बड़ा सवाल यह तैर रहा है कि ओंकार बाबू का यह बुलडोजर रेलवे संपत्ति पर हुए तमाम अवैध कब्जों पर आगे भी प्रहार करता रहेगा या सिर्फ टीटू शर्मा को औकात में लाने का उपक्रम कर बुलडोजर अपने स्टैंड में खड़ा हो जायेगा ?

अगली कड़ी का करें इंतजार : टीटू के ठिकानों पर चला बुलडोजर, मेन रोड के दुकानों व क्वार्टर कब्जा करने वालों में मचा हड़कंप …

 

 

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