- 30 हजार करोड़ के निवेश से नवीन तकनीक को अपनाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार का दावा
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे के निजीकरण एजेंडे के बीच रेलमंत्री पीयूष गोयल ने दोहराया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि प्राइवेट ट्रेन के संचालन का यह मतलब नहीं निकला जाना चाहिए कि रेलवे का निजीकरण होगा. निजी ट्रेनों के परिचालन से वर्तमान टे्रनों के संचालन पर कोई असर नहीं पकड़ने की बात रेलमंत्री ने कही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही ट्रेनें पूर्व की तरह चलती रहेंगी. रेलमंत्री के बार-बार बयान देने के पीछे निजीकरण और निगमीकरण को लेकर चल ही उन चर्चाओं का आधार है जिसे लेकर रेलकर्मी, रेलवे यूनियन नेता और आम राजनीतिक भी सरकार की बातों का विश्वास करने तैयार नहीं है. कुल मिलाकर यह संकट विश्वास का उत्पन्न हो गया है जिसकी खाई को पाटने के लिए रेलमंत्री को बार-बार बयान जारी कर यह बताना पड़ रहा है कि सकरार रेलवे का निजीकरण नहीं करने जा रही है.
देश की 109 मार्गों को ट्रेनों का परिचालन शुरू करने के लिए रेलवे ने निजी इकाईयों को आफर दिया है. रेलवे इन मार्गों के विकास पर निजी इकाईयों से 30 हजार करोड़ का निवेश कराने की तैयारी है, जिसे लेकर आशंकाओं ने जन्म लिया है. इसके बाद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा है कि ‘रेलवे का किसी भी प्रकार से निजीकरण नहीं किया जा रहा है. वर्तमान में चल रही रेलवे की सभी सेवायें वैसे ही चलेंगी. निजी भागीदारी से 109 रूट पर 151 अतिरिक्त आधुनिक ट्रेनें चलाई जायेंगी. जिनका कोई प्रभाव रेलवे की ट्रेनों पर नही पड़ेगा, बल्कि ट्रेनों के आने से रोजगार का सृजन होगा.’
‘रेलवे का किसी भी प्रकार से निजीकरण नहीं किया जा रहा है. वर्तमान में चल रही रेलवे की सभी सेवायें वैसे ही चलेंगी. निजी भागीदारी से 109 रूट पर 151 अतिरिक्त आधुनिक ट्रेनें चलाई जायेंगी. जिनका कोई प्रभाव रेलवे की ट्रेनों पर नही पड़ेगा, बल्कि ट्रेनों के आने से रोजगार का सृजन होगा.’
पीयूष गोयल, रेलमंत्री
नयी योजना के तहत कुछ मार्गों पर 44 सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को दौड़ाने की तैयारी है. 16 कोच वाली इन ट्रेनों की रफ्तार 160 किलो मीटर/ घंटा तक होगी. रेलवे का तर्क है कि सर्वाधिक डिमांड वाले मार्ग पर ट्रेनों के परिचालन से वर्तमान ट्रेनों और टिकटों पर कोई प्रभाव नहीं होगा जबकि रेलवे को नवीन तकनीक मिलेगी और उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा. रेलवे ने इन मार्गों पर किराया तय करने का अधिकार भी निजी कंपनियों को दे दिया है. इसका मतलब साफ है कि राजस्व बढ़ाने के लिए निजी पार्टियां अलग-अलग तरीकों को आजमायेंगी जिसका असर आम यात्रियों पर भी पड़ सकता है. इसी आशंका को लेकर रेलवे के फेडरेशन सरकार की योजना पर आपत्ति जता रहे है. फेडरेशनों का तर्क है कि जब रेलकर्मचारी कई अहम ट्रेनों का परिचालन कर रहे है तो निजी पार्टियों को इस यह जिम्मेदारी क्यों दी जा रही?