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रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेता

रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेता

रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली

रेलवे में निजीकरण और निगमीकरण की तेज होती हवा के बीच 23 अक्टूबर बुधवार को देश ब्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया. कई स्थानों पर रेलकर्मियों ने प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया तो कई जगह काला बिल्ला लगाकर अर्थी जुलूस निकाला गया. ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन AIRF के आह्वान पर संबंधित इकाईयों ने जोनल, मंडल और विभिन्न स्टेशनों पर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया. इसमें केंद्र सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की गयी. हालांकि विरोध प्रदर्शन में दोनों फेडरेशन के बड़े नेता नजर नहीं आये लेकिन दोनों फेडरेशन से जुड़े यूनियनों ने अपने-अपने जोन मंडल में प्रदर्शन कर विरोध की खानापूर्ति जरूर की.

जबलपुर : सरकार निजीकरण के माध्यम से रेलवे को बेचने का प्रयास कर रही

जबलपुर में निजीकरण के खिलाफ उग्र प्रदर्शन रेल कर्मचारियों ने सड़क पर उतरकर किया. कर्मचारियों ने रेल रोको आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि वो किसी भी हालत में रेलवे का निजीकरण नहीं होने देंगे. 150 ट्रेनों और 50 स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्प्लाईज़ यूनियन के बैनर तले एक हज़ार से अधिक कर्मचारियों ने अर्थी जुलूस निकालकर केन्द्र सरकार के खिलाफ भड़ास निकाली. वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्प्लाईज़ यूनियन नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार निजीकरण के माध्यम से रेलवे को बेचने का प्रयास कर रही है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा. पहले एक ट्रेन और अब 150 ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने से यात्रियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. एक ओर जहां रेल सफर महंगा होगा, वहीं रेलकर्मियों के भविष्य पर भी संकट के बादल गहराएंगे. कर्मचारियों का कहना था कि भारतीय रेल में साढ़े 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं, जो रेल सेवाओं को संचालित करने में सक्षम हैं. रेल कर्मचारियों ने चेताया कि अगर सरकार नहीं मानती है तो रेल रोको आंदोलन करने के लिए उन्हें बाध्य होना पड़ेगा. पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्यालय में आयोजित यह जुलूस जबलपुर स्टेशन से शुरू होकर महाप्रबंधक कार्यालय तक पहुंचा. यहां पत्र सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया.

बरकाकाना : सरकार अपने निर्णय पर करे पुनर्विचार वरना गंभीर परिणाम : मनोज पांडेय

रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेताउधर, झारखंड के बरकाकाना में ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाईज यूनियन IREF व ऐक्टू धनबाद मंडल में भी रेलवे के निजीकरण के खिलाफ विरोध के स्वर सुनायी पड़े. यहां आयोजित सम्मेलन में नेताओं ने सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की चेतावनी दी. नेताओं ने रेलवे में निजीकरण के गंभीर परिणाम भुगतने की बात कही. कार्यक्रम में IREF के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड मनोज पांडेय, एलारसा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड एम एन प्रसाद, फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड अमरीक सिंह, आल इंडिया गार्ड काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड बीआर सिंह, डीएलडब्ल्यू रेल मजदूर यूनियन वाराणसी के महामंत्री एवं Front Against NPS in Railway के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्रपाल, धनबाद मंडल के मंडल सचिव कामरेड अशोक राउत, RKTA के जरनल सचिव राजेश कुमार ECRU के महासचिव एस पी साहू, एस पी सिंह, अवधेश गुप्ता, बैजनाथ मिस्त्री सहित रेलवे के लोको पायलट गार्ड ट्रैकमेन्टेनर स्टेशनमास्टर चेकिग स्टाफ उपस्थित थे.

मैनपुरी : अंधाधुंध निगमीकरण और निजीकरण पर रोक लगे : सुनील यादव

रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेतामैनपुरी में नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के सदस्यों ने बुधवार को कार्य का बहिष्कार किया. काली पट्टी बांधकर रेलवे स्टेशन पर 21 सूत्रीय मांगों को पूरा कराने के लिए प्रदर्शन किया. इसके बाद रेल मंत्री को संबोधित ज्ञापन स्टेशन अधीक्षक को दिया. यूनियन के शाखा मंत्री सुनील कुमार यादव ने कहा कि रेल मंत्रालय की ओर से जारी 100 दिन के कार्य योजना से इंडियन रेलवे रोलिंग स्टाक कंपनी बनाने के प्रस्ताव को वापस लिया जाए. कुछ महत्वपूर्ण गाड़ियों को निजी क्षेत्र में चलाने के प्रस्ताव को वापस लेते हुए अंधाधुंध निगमीकरण और निजीकरण पर रोक लगाई जाये. उत्पादकता आधारित बोनस का बढ़ाकर भुगतान किया जाए. ग्रुप सी सुपरवाइजरों को ग्रुप बी राजपत्रित का दर्जा शीघ्र दिया जाए. कुंवरपाल ने कहा ट्रैकमैनों की ड्यूटी आठ घंटे से ज्यादा होने पर ओवर टाइम का भुगतान किया जाए. टिकट चेकिंग स्टाफ के रेस्ट हाउसों को वातानुकूलित किया जाए. इस मौके पर आलोक, मृत्युंजय श्रीवास्तव, सुनील कुमार, दीप प्रकाश, राधेश्याम, शीशराम, श्रीनिवास तिवारी, निर्मल यादव, पंकज रोशन, मुकेश यादव, शंकर लाल, शैलेंद्र कुमार, सुधीश बाबू, कुलदीप मौजूद रहे.

कोलकाता : निजीकरण रेलवे के खतरे का संकेत : जहांगीर

रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेतादक्षिण पूर्व रेलवे के जोनल मुख्यालय कोलकाता में मेंस तृणमूल कांग्रेस ने रैली निकाल कर धरना प्रदर्शन किया. केंद्रीय संयुक्त महामंत्री सह महासचिव जहांगीर हक ने कहा कि निजीकरण को बढ़ावा देना रेलवे के लिए खतरा का संकेत है. निजीकरण को बंद करने के लिए सभी यूनियन को संगठित होकर आंदोलन करना होगा. कहा कि लारजेस स्कीम के तहत आश्रित बच्चों को नौकरी उनके हक के तहत मिलना चाहिए. मौके पर अनवर हुसैन, एमडी कमाल, अमित शर्मा, अमर यादव, दिलीप महतो, रेलवे ट्रैकमेंटेनर यूनियन के राष्ट्रीय सहायक महामंत्री चांद मोहम्मद, रामध्यान, सीयाराम, जगन्नाथ, अशोक मौजूद थे.

टाटानगर : सरकार ने रवैया नहीं बदला तो मेंस यूनियन करेगी चक्का जाम : शिवजी शर्मा

रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेतावहीं चक्रधरपुर रेलमंडल और टाटानगर में आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के आह्वान पर निजीकरण के खिलाफ विरोध दिवस मनाया गया. टाटानगर समेत चक्रधरपुर मंडल के सभी शाखाओं में सुबह से ही सभी रेलवे कर्मचारियों ने काला बिल्ला लगा कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपने-अपने कार्य स्थल पर सभी साथियों के साथ विरोध दर्ज कराया. टाटानगर में संध्या चार बजे से टाटानगर क्षेत्रिय प्रबंधक कार्यालय के सामने आम सभा कर मेंस यूनियन के उपाध्यक्ष शिवजी शर्मा मंडल संयोजक जवाहरलाल ने सरकार के खिलाफ अपनी बात रखते हुए सरकार के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी. शिवजी शर्मा ने कहा कि सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो मेंस यूनियन रेल का चक्का बंद भी कर सकतीं हैं. सरकार रेलवे कर्मचारियों तथा रेल की नौकरी के आशा में बैठे नवजवान लड़कों के साथ अन्याय कर रही हैं मंडल संयोजक जवाहरलाल ने कहा कि अब सरकार के साथ आर पार की लड़ाई का समय आ गया है अतः सभी कर्मचारियों को इस लड़ाई में एक मंच पर आकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करना होगा.

रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण का देशव्यापी विरोध, प्रदर्शन से दूर रहे बड़े नेता

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