- सिगनल और टेलीकाम कर्मचारियों में निराशा, असंतोष के उठ रहे स्वर : मेंटेनर्स यूनियन
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
कोरोना की महामारी में रेलवे परिचालन के मोर्चे पर डटे सिगनल और टेलीकाम विभाग के कर्मचारियों में रिस्क व हार्डशिप अलाउंस को लेकर कोई निर्णय नहीं आने पर निराशा और असंतोष उत्पन्न होने लगा है. कोरोना को लेकर सरकार ने पहले ही कुछ भत्तों पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है. हालांकि सिगनल और टेलीकाम कर्मचारियों की चिन्ताएं अलग ही हैं.
सांतवें पे कमिशन की रिपोर्ट के बाद से ही लगातार संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के लिए रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस की मांग को इंडियन रेलवे एस एडं टी मैंटेनरर्स यूनियन अलग-अलग मंचों तथा मोर्चा पर उठाती आ रही है. इसी मांग को लेकर यूनियन के आह्वान पर 9 फरवरी 2019 को संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों ने पूरे देश में रेलवे में रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस की मांग रखते हुए “काला दिवस” मनाया था. इसके बाद बाद 11 फरवरी, 2019 को रेलवे बोर्ड ने एक ईडी की कमिटी गठित की. दिलचस्प बात यह है कि डेढ़ साल बाद भी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है. कोरोना महामारी की वज़ह से रिपोर्ट में और विलंब की आशंका जतायी जा रही है. इसी बीच केन्द्र सरकार ने मंहगाई भत्ते को डेढ़ साल तक फ्रिज कर दिया है जिसके बाद कर्मचारियों में और भी निराशा आ गई है.
संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों की लंबित मांग को पूरा नहीं किये जाने के लिए एस एडं टी मैंटेनरर्स यूनियन ने मान्यता प्राप्त यूनियनों के रिटायर्ड नेताओं को सीधे तौर पर जवाबदार ठहराया है. एसएडंटी मैंटेनरर्स यूनियन के महासचिव आलोक चन्द्र प्रकाश ने रेलहंट से बातचीत में कहा कि रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों की एक वाजिब माँग है परन्तु संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के साथ हमेशा ही राजनीति होती रही है जिसका खामियाजा संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी लंबे समय से उठा रहे हैं.
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने बताया कि संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस मिलने में देरी होने से कर्मचारियों में काफी निराशा आ चुकी है तथा एस एडं टी कर्मचारियों के मन में एक असंतोष की भावना जन्म ले चुकी है. इसलिए उन्होंने माँग रखी कि अब एस एडं टी कर्मचारियों को रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस मिलने में देरी नहीं होनी चाहिए.
एस एडं टी मैंटेनरर्स यूनियन के राष्ट्रीय सहसचिव रेवती रमण ने रेल प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि सिगनल और टेलीकाम विभाग के कर्मचारी “आपातकाल की सेवाएं” देते हैं परन्तु आज तक हम सिगनल और टेलीकाम कर्मचारियों की सुध नहीं ली गई है जबकि लगातार हमारे कई साथी कार्य के दौरान मारे जा चुके हैं जबकि रेलवे के आंकड़ों के अनुसार हर साल दो दर्जन से अधिक सिगनल और टेलीकाम कर्मचारी कार्य के दौरान मारे जाते हैं आखिर क्यों नहीं हमारी समस्याओं के प्रति रेल प्रशासन संवेदनशील है?
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