- रेलवे मेंस यूनियन और ओबीसी एसोसिएशन ने खोली व्यवस्था की पोल
- मांगपत्र सौंपकर सीएमडी से व्यवस्था में सुधार करने का किया अनुरोध
JAMSHEDPUR. दक्षिण पूर्व रेलवे की प्रधान मुख्य चिकित्सा निदेशक का प्रभार लेने के बाद डॉ अंजना मल्होत्रा ने पहली बार बुधवार 4 अक्टूबर को कई स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण कर व्यवस्थागत कमियों की जानकारी लिया. टाटानगर पहुंचे डॉ अंजना मल्होत्रा के सामने यूनियन नेताओं ने चक्रधरपुर रेलमंडल के बड़े अस्पताल में शामिल टाटानगर में समस्याओं का पिटारा खोलकर रख दिया.
डॉक्टरों की कमी से शुरू हुई शिकायत, विशेषज्ञ डॉक्टर के नहीं होने, जांच लैब की सुविधा बंद करने, गंभीर मरीजों को सिर्फ अनुमान के आधार पर रेफर नहीं कर रोककर रखने के गंभीर आरोपों तक पहुंच गयी. ओबीसी रेलवे ईप्लाइज एसोसिएशन के अलावा रेलवे मेंस यूनियन के नेताओं ने 17000 उम्मीद कार्ड होल्डर की जिम्मेदारी वाले टाटानगर रेलवे अस्पताल में डॉक्टरों की कमी पर गंभीर विषय बताते हुए तत्काल नये स्थायी डॉक्टरों की बहाली करने की मांग की.
ओबीसी रेलवे ईप्लाइज एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल सचिव मुद्रिका प्रसाद के नेतृत्व में पीसीएमडी डाॅ अंजना से मिला और मांगों को रखा. प्रतिनिधिमंडल में कार्यकारी अध्यक्ष अर्जुन साहू, सहायक सचिव राजीव कुमार,संजीव कुमार,बिजेंद्र कुमार आदि शामिल थे. वहीं रेलवे मेंस यूनियन का प्रतिनिधिमंडल मंडल संयोजक एमके सिंह की अगुवाई में सीएमडी से मिला और मांग पत्र सौंपा.उनके साथ जोनल केंद्रीय पदाधिकारी शिवजी शर्मा, जवाहरलाल, कार्तिक शर्मा आदि उपस्थित थे.
17000 उम्मीद कार्ड होल्डर वाले अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं
यूनियन नेताओं ने सीएमडी डॉ अंजना मल्होत्रा को बताया कि चक्रधरपुर मंडल रेलवे अस्पताल में कुल 13700 उम्मीद कार्ड होल्डर है इसमें टाटानगर रेलवे अस्पताल में 17000 उम्मीद कार्ड होल्डर है. यहां जोन के रेलकर्मचारी के परिजन भी रहते है लेकिन सुविधा के नाम पर स्वीकृत 9 डॉक्टर एवं एक CMS की जगह सिर्फ 3 डॉक्टर एवं एक ACMS हैं.
इस कारण रेलकर्मियों को सही सुविधा नहीं मिल पा रही है. एक फिजिशियन के अलावा कार्डियो, शिषु रोग, ENT, गायनिक, सर्जन आदि के अलावा नर्स एवं अन्य खाली पदों को भी भरने की मांग की गयी. एसोसिएशन विशेषज्ञ डॉक्टर रेफरल अस्पताल में भी उम्मीदकार्ड से CGHS रेट पर ओपीडी सुविधा दिलाने की मांग रखी.
यूनियन ने बताया कि टाटानगर रेलवे अस्पताल में अपना लैब था जिसे बन्द कर दिया गया है. यहां की मशीन जंग खा रही है. रेलवे अस्पताल के लैब को नये तरीके से नए उपकरणों के साथ मोडिफाइड करने की मांग रखी गयी. TB एवं संक्रमण वाले मरीजो के लिए छह बेड का केबिन, नवजात बच्चों के लिए नर्सरी, ICU का निर्माण की मांग भी की गयी.
रेलवे के दोनों यूनियनों ने टाटानगर अस्पताल डॉ राजू मोहन्ता की स्थायी पोस्टिंग टाटानगर में करने की मांग उठायी. रेलवे मेंस यूनियन और ओबीसी एसोसिएशन की ओर से दिये गये ज्ञापन में बताया गया कि डॉ महंता तीन दिन आद्रा और तीन दिन टाटा में रहते है. इससे टाटा में ओपीडी एवं इनडोर सुविधा में परेशानी आती है. इन्हें स्थायी रूप से टाटा में पदस्थापित किया जाये.
ओबीसी एसोसिएशन ने बताया है कि CT स्केन, MRI, अल्ट्रासाउंड उपलब्ध नहीं होने के बावजूद गम्भीर मरीजो को सिर्फ अनुभव के आधार पर रोककर रखा जाता है. गंभीर अवस्था में उन्हें रेफर किया जाता है जो मरीजो के जान को जोखिम में डालने वाला कदम है.
वहीं रेलवे मेंस यूनियन ने 17000 पंजीकृत कर्मचारी वाले अस्पताल में मेडिसीन (MD) डॉक्टर के नहीं रहने पर सवाल उठाया. टाटानगर रेलवे
अस्पताल में सफाई कर्मियों के सरप्लास होने के बाद करीब 20 से 25 कर्मचारी ही कार्यरत है. इससे रेलवे कॉलोनी में सफाई की व्यवस्था दयनीय हो गई है, तीन वर्ष पूर्व आउट सोर्सिंग पर सफाई करायी जा रही थी. जो वर्तमान में बंद है.