- रेलवे का खाना बना जहर ! 109 यात्रियों की बिगड़ी तबीयत, सबक लेने को तैयार नहीं रेलवे अधिकारी
- दोनों स्टेशनों पर अवैध वेंडर की धमा-चौकड़ी रोकने को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है रेल प्रशासन
ROURKELA. यशवंतपुर-गोरखपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में अंडा-करी व अंडा बिरयानी खाकर 100 से अधिक यात्रियों की तबीयत खराब होने की खबर जिनती चिंताजनक है उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी. घटना गुरुवार 25 अप्रैल 2024 की शाम की है जो देश के सभी अखबारों की सुर्खियां तक बनी. रेलवे ने यात्रियों का इलाज किया और संतोष की बात यह रही कि किसी भी यात्री की तबीयत अधिक खराब नहीं हुई और सभी सकूशल अपने घर पहुंच गये. अब सवाल यह उठता है कि चक्रधरपुर रेल मंडल प्रशासन क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है ?
रेलमंडल के दो बड़े स्टेशन टाटानगर और राउरकेला में अवैध वेंडरों की बाढ़ सी आ गयी है. चार लाइसेंसी के नाम पर दर्जनों की संख्या में अवैध वेंडर स्टेशन पर खाने-पीने की सामग्री ऊंची कीमत पर बेच रहे. इसमें बिरयानी ही प्रमुख है क्योंकि मूल्य से अधिक कीमत पर इसे आसानी से बेचा जा रहा है. यह खाना अनपैक्ड है और इसकी गुणवत्ता की गारंटी लेने वाला कोई नहीं क्योंकि यह खाना अवैध वेंडरों द्वारा दिया जा रहा है. प्रशासन के सामने यह बात रखने पर जांच के नाम पर कुछ लोगों को पकड़कर जुर्माना की खानापूर्ति कर दी जाती है और फिर से वहीं सब शुरू हो जाता है.
स्टेशनों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी करने वाले आरपीएफ की भूमिका अवैध वेंडिंग को लेकर शुरू से ही संदेह के घेरे में रही है. अवैध वेंडिंग के मामले में टाटानगर ही नहीं राउरकेला में भी आरपीएफ के प्रभारी व जवानों को गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. कहा तो यहां तक जाता है कि आरपीएफ के जवानों की निगरानी में ही अवैध वेंडिंग स्टेशन पर करायी जाती है. राउरकेला में फिलहाल लगातार हो रही शिकायतों पर कुछ सख्ती कॉमर्शियल की ओर से की गयी, इसके बावजूद आरपीएफ सीआईबी के लोगों की मौजूदगी में झारसुगुड़ा छोर पर अवैध वेंडिंग अब भी करायी जा रही है.
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यशवंतपुर-गोरखपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में अंडा-बिरयानी खाकर यात्रियों की तबीयत बिगड़ने की घटना ने अवैध वेंडिंग के साथ ही रेलवे से स्वीकृत वेंडरों द्वारा आपूर्ति किये जाने वाले खाने की गुणवत्ता की जांच को लेकर रेलवे अधिकारी सीधे-सीधे कटघरे में हैं जिनका मौन हजारों यात्रियों की जान को हर दिन संकट में डाल रहा है. इन घटनाओं को रोकने के लिए डिवीजन के आला अधिकारी भी कभी गंभीरता नहीं दिखाते. जानकारों का कहना है कि अगर किसी भी स्तर पर ईमानदारी से सख्ती बरती जाये तो अवैध वेंडरों की स्टेशनों पर पहुंच नामुमकीन है लेकिन निहित स्वार्थ वश आरपीएफ व कॉमर्शियल के लोग इस मामले में मौन साध रहे हैं.
रेल प्रशासन यह जांच कर रहा है कि अंडा-बिरयानी और अंडा-करी में ऐसा क्या था जिसे खाकर यात्री फूड प्वाइजनिंग के शिकार हुए. बताया जाता है कि गर्मी के कारण खाद्य सामग्री खराब हो गयी थी जिसे फेंकने की जगह वेंडरों ने कमाई के लिए यात्रियों को बेच दिया. हालांकि घटना के बाद आरआईसीटीसी के एक अधिकारी ने अपने प्रारंभिक बयान में इसे अवैध वेंडरों द्वारा आपूर्ति किया गया खाना बताया था. सही स्थिति तो जांच में सामने आयेगी लेकिन रेलवे अधिकारियों की यह लापरवाही यात्रियों की जान पर भारी पड़ सकती है. चेतावनी चक्रधरपुर डिवीजन में भी गंभीर है जिस पर रेलवे अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए.