- राउरकेला रेस्ट रूम में रात में शौचालय में नहीं रहता पानी
- शिकायत के दो सप्ताह बाद भी नहीं हुई गीजर की मरम्मत
राउरकेला. देश भर में कोरोना के बाद ट्रेनें अपनी रफ्तार से दौड़ने लगी है. रेलमंत्री की पहल पर रेगुलर ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया लेकिन चक्रधरपुर रेलमंडल में अब भी कोरोना का भूत हावी है. यहां रेलकर्मियों और यात्रियों की कई सुविधाओं पर अब भी कोरोना का ग्रहण लगा हुआ है. इसमें एक है चार बड़े स्टेशनों पर टीटीई रेस्ट हाउस में भोजन-पानी व हाउस किपिंग की सुविधा. यह स्टेशन में चक्रधरपुर, टाटा, राउरकेला और झारसुगुड़ा. यहां टिकट निरीक्षकों को न तो समय पर भोजन मिल पा रहा है न ही पानी.
आलम यह है कि चार से छह घंटे तक लगातार यात्रियों को उनके मंजिल पर पहुंचाने के बाद जब टिकट निरीक्षक रेस्ट हाउस में पहुंचते है तो उन्हें कई परेशानियों से रू-ब-रू होना पड़ता है. राउरकेला स्टेशन का उदाहरण ले तो यहां रात के समय अचानक शौचालय का पानी बंद हो जाता है ऐसे में अगर आपको शौच का दबाब हो जाये और आप अगर पानी लेकर जाना भूल गये तो भगवान की आपका सहारा होगा. यहां सुविधाओं के नाम पर लगाया गया गीजर बीते दो सप्ताह से बंद पड़ा है हां उसकी जल रही बत्ती उसके दुरुस्त होने की गलतफहमी जरूरी पैदा कर देती है. लगातार शिकायतों के बाद भी उसकी मरम्मत नहीं करायी जा सकी है.
टीटीई रेस्ट हाउस को आउटसोर्स करने के समय रेल मंत्रालय में सुविधाओं का सब्ज बाग दिखाया था वह व्यवस्था के जाल में फंसकर मिथ्या साबित होने लगा है. कोरोना के समय ट्रेनों के बंद होने के साथ ही टीटीई रेस्ट हाउसों पर ताला लग गया था. इस बीच इसका टेंडर खत्म हो गया और जब ट्रेनें शुरू हुई तो टीटीई को भोजन-पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. टिकट निरीक्षकों का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या उनके सामने खाने को लेकर आती है. अगर जल्द ही उसकी व्यवस्था नहीं हुई तो उनकी कार्य कुशलता ही प्रभावित होने लगेगी. यही हाल अन्य स्टेशनों पर आने वाले टिकट निरीक्षकों का भी है.
चक्रधरपुर, टाटा, राउरकेला, झारसुगुड़ा में टीटीई रेस्ट हाउस का टेंडर फाइनल होने का इंतजार
रेलवे अधिकारियों की माने तो चारों स्टेशन पर टीटीई रेस्ट हाउस में हाउस कीपिंग की टेंडर प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए टेंडर पहले ही जारी किया जा चुका है. चार स्टेशनों पर टीटीई रेस्ट हाउस के लिए 35 से अधिक एजेंसियों ने निविदा डाली है उनके दस्तावेज के निरीक्षण के उपरांत जल्द ही टेंडर फाइनल कर दिया जायेगा और इसके साथ ही टिकट निरीक्षकों की पेरशानी दूर हो जायेगी. अधिकारियों के अनुसार दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक सभी रेस्ट हाउस में व्यवस्था फिर से बहाल हो जायेगी. तब तक शायद टिकट निरीक्षकों को अपने शिकायत और परेशानी के साथ ही कार्य करना होगा.