- पिछले कई दिनों से रेलमंडल में कोचिंग ट्रेनों के विलंब से चलने का सिलसिला है जारी
- रेलमंडल में आते ही एक से लेकर छह घंटे तक लेट हो जा रही है सुपरफास्ट ट्रेनें
- गुड्स के राजस्व व क्रेडिट वार में अधिकारियों ने परिचालन सिस्टम का किया बंटाधार
रेलहंट ब्यूरो, जमशेदपुर
दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेलमंडल में कोचिंग ट्रेनों की रफ्तार को मानो ब्रेक लग गया है. एक्सप्रेस की कौन पूछे सुपरफास्ट से लेकर दुरंतों जैसी ट्रेनें रेलमंडल के परिचालन कंट्रोल में आते ही रेंगने लग रही है. यात्री परेशान है तो रेलवे अधिकारी भी हैरान है कि आखिर क्या वजह हो सकती है जो एकाएक रेलमंडल में कोचिंग ट्रेनें एक से लेकर छह-छह घंटे तक मार खाने लगी हैं. मंडल में कोचिंग ट्रेनों के विलंब से चलने की अप्रत्याशित रफ्तार ने रेलवे बोर्ड को भी चौंकने को मजबूर कर दिया. नतीजा रहा कि डीओएम कोचिंग अवतार सिंह और चीफ कंट्रोलर राजन को आनन-फानन में बुकअप कर दिल्ली बुला लिया गया है. रेलवे बोर्ड की इस कार्रवाई से मंडल के आला अधिकारी भी सकते में है.
यह महज संयोग है कि यह सब उस समय हो रहा है जब रेलमंडल में परिचालन की कमान सीनियर आईआरटीएस अधिकारी भास्कर के हाथ में है जो कुछ हाल में ही रेलमंडल में सीनियर डीसीएम से सीनियर डीओएम बने है. बुक अप किये गये डीओएम कोचिंग व चीफ कंट्रोलर भी भास्कर की अगुवाई वाले विभाग के ही दो अधिकारी है. ऐसा नहीं है कि भास्कर के पदभार लेते ही अचानक रेलमंडल में ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो गयी है लेकिन यह हकीकत है कि बीते दो माह में रेलमंडल में कोचिंग ट्रेनों की जो दुर्गती हुई है वह अब से पहले कभी नहीं हुई. 15 मिनट की दूरी तय करने में ट्रेनों को 1.15 घंटे समय लगना किसी तरह न्याय संगत नहीं ठहराया जा सकता. अब सबकी नजरें रेलवे बोर्ड की आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई है. वहीं ट्रेनों के विलंब व कुप्रबंधन को लेकर नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाये जाने लगे है. यह देखने वाली बात होगी कि प्रबंधकीय क्षमता के धनी सीनियर डीओएम भास्कर इस चुनौती से कैसे निबटते है और ध्वस्त परिचालन को कैसे पटरी पर लाते हैं.
किसी स्टेशन पर ट्रेनों के पांच से सात मिनट के विलंब पर मेजर चार्जशीट से लेकर निलंबन की सीधी कार्रवाई करने वाले रेलमंडल के आला अधिकारी यात्री ट्रेनों के घंटों विलंब पर मौन साधे हुए है. रेलमंडल में यह बड़ी ही हस्यास्पद स्थिति है.
भीषण गर्मी के बीच ट्रेनों के घंटों विलंब से चलने से उनके सवार हजारों की संख्या में यात्री जिनमें बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे शामिल है, की परेशानी का अंदाजा शायद ही रेलवे के वे अफसर लगा सके जो इन ट्रेनों के विलंब के जिम्मेदार हो. कारण चाहे जो भी हो लेकिन कोचिंग ट्रेनों की प्राथमिकता को दरकिनार कर गुड्स को आगे निकालने और राजस्व के मोर्च पर बड़ी उपलब्धि अपने खाते में डालने की होड़ में परिचालन विभाग के अधिकारियों ने रेलमंडल के पूरे सिस्टम का बंटाधार कर दिया है. मौजूदा हालात में उत्पन्न स्थिति में परिचालन के अधिकारी बचाव के दूसरे रास्ते खोजने में जुट गये है. इनमें बिलासपुर मंडल में लगातार चल रहे ब्लॉक और गुड्स ट्रेनों की बढ़ती संख्या को इसका कारण बताया जाने लगा है. बहुत हद तक यह बात सही प्रतीत होती है कि लोडिंग क्षमता, ट्रेनों की संख्या के अनुपात में पटरियों की क्षमता नहीं बढ़ सकती है लेकिन कोचिंग ट्रेनों का लगातार मार खाना अधकारियों की प्रबंधकीय क्षमता पर गंभीर सवाल उठा रहा है.
परिचालन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी बीते दिनों में कोचिंग ट्रेनों के लगातार विलंब पर आला अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर रहे है. पहचान सामने नहीं लाने की शर्त पर कई स्टेशनों मास्टरों ने यह सवाल किया है कि किसी स्टेशन पर पांच से सात मिनट ट्रेनों के विलंब पर रेलमंडल परिचालन विभाग के आला अधिकारी तूफान मचा देते है. ऐसे में तुरंत जिम्मेवार को चिह्नित कर चार्ज शीट थमाने से लेकर निलंबन तक की कार्रवाई कर दी जाती है, लेकिन क्या कारण है कि घंटों कोचिंग ट्रेनों के मार खाने की जिम्मेदारी किसी अधिकारी ने लेने की जहमत नहीं उठायी.
अगर बीते कुछ दिनों में रेलमंडल में गुजरने वाली ट्रेनों की स्थिति पर नजर डाली जाये तो यह स्पष्ट हो जाता है कि रेलमंडल में कोचिंग ट्रेनों की दुर्गति ओर यात्रियों की परेशानी के लिए सीधे तौर पर स्थानीय अधिकारी ही जिम्मेदार है. रेलवे में यह अलग बात है कि हमेशा से वरीय अधिकारी की चूक व लापरवाही में गर्दन तो कनीय अधिकारी व कर्मचारी की ही फंसती है. चक्रधरपुर रेलमंडल में भी यही वाकया दोहराया जा रहा है.
रेलमंडल में ट्रेनों के विलंब की स्थिति
27 मई 2019 :
- 13287 दुर्ग-राजेंद्रनगर दक्षिण बिहार
- झारसुगुड़ा : 2.00 pm, पहुंची 3.13 pm, लेट 1.13 घंटे
- टाटा : 6.55 pm, पहुंची 1.24am : लेट 6.26 घंटे
- रेलमंडल में विलंब 5.13 घंटे
- 12905 पाेरबंदर हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस
- झारसुगुड़ा : 7.28 pm, पहुंची 8.54 pm, लेट 1.26 घंटे
- टाटा : 11.18pm, पहुंची 4.10 am, लेट 4.52 घंटे
- रेलमंडल में विलंब लगभग 3.26 घंटे
- 12129 आजाद हिंद एक्सप्रेस
- झारसुगुड़ा 8.00 pm, पहुंची 9.31 pm, लेट 1.31 घंटे
- टाटा : 11.55pm, पहुंची 4.18 am, लेट 4.23 घंटे
- रेलमंडल में विलंब लगभग 2.08 घंटे
- 12859 गीतांजलि सुपरफास्ट एक्सप्रेस
- झारसुगुड़ा 4.25 am, पहुंची 4.23 am, पहले 0.02 मिनट
- टाटा 8.05am, पहुंची 11.02 am, लेट 3.03 घंटे
- रेलमंडल में विलंब लगभग 3.01 घंटे
- 12833 अहमदाबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस
- झारसुगुड़ा 5.00 am, पहुंची 12.59 pm, लेट 6.59 घंटे
- टाटा 9.15 am, पहुंची 8.14 pm, लेट 11.01 घंटे
- रेलमंडल में विलंब लगभग 4.01 घंटे
रेलमंडल में कोचिंग ट्रेनों के परिचालन के इस विलंब से स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति कितनी गंभीर है. यह एक दिन का आकड़ा है बीते एक से डेढ़ में रेलमंडल के परिचालन क्षेत्र में आने के बाद ट्रेनों की दुर्गति की स्थिति रेलवे के वेबसाइट को देखकर पता लगायी जा सकती है. अब देखना है कि रेलवे कैसे इस परिचालन को पटरी पर लता है. अधिकारियों की नजर इस बात पर टिकी हुई है कि मामले में किसी पर कार्रवाई होती है अथवा क्या दिशा-निर्देश दिये जाते है.
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