दिल्ली . एडीशनल मेंबर/टूरिज्म एंड कैटरिंग संजीव गर्ग से कैटरिंग की जिम्मेदारी लेकर प्रिंसिपल ईडी/मोबिलिटी से प्रिंसिपल ईडी/कैटरिंग बनाए गए नवीन कुमार शुक्ला को सौंपी गयी है. बताया जाता है नया परिवर्तन रेलमंत्री के इच्छा का ध्यान रखकर किया गया है. हालांकि 19 जनवरी को रेलवे बोर्ड द्वारा जारी फेरबदल आदेश में यह नहीं बताया गया है कि श्री शुक्ला, एएम/टूरिज्म, एएम/ट्रैफिक, एएम/आईटी, एएम/सीएंडआईएस, मेंबर ट्रैफिक, सीआरबी अथवा रेलमंत्री में से सीधे किसको रिपोर्ट करेंगे?
बताया जाता है कि फरवरी 2017 में बनाई गई कैटरिंग पालिसी पूर्व रेलमंत्री द्वारा रेल बजट के समय संसद में की गई घोषणा के बाद बनी थी. इस पर रेलवे बोर्ड के संबंधित अधिकारियों सहित मेंबर ट्रैफिक, चेयरमैन, रेलवे बोर्ड और खुद तत्कालीन रेलमंत्री ने भी हस्ताक्षर किया था. वर्तमान रेलमंत्री उक्त कैटरिंग पालिसी में अपनी सुविधानुसार फेरबदल करवाना चाहते थे, तब एडीशनल मेंबर/टीएंडसी संजीव गर्ग ने कहा था कि ‘पूर्व की भांति एक नोट बना दिया जाए, और रेलमंत्री सहित सभी संबंधित बोर्ड अधिकारी उस पर अपना अप्रूवल दे दें. कहा जा रहा है कि रेलमंत्री इस मामले में अपने हस्ताक्षर से कोई अप्रूवल देना नहीं चाहते थे. इसलिए कैटरिंग में फेरबदल का रास्ता अपनाया गया.
जानकारों का कहना है कि एएम/टीएंडसी से कैटरिंग हटाने का भी अप्रूवल पीएमओ से लिया जाना जरूरी है. यदि यह नहीं लिया गया है, तो यह काम गैर-कानूनी है, और भविष्य में यह मामला बन सकता है.
नये परिवर्तन में ईडी/टीएंडसी की पोस्ट का बतौर ईडी/एनएफआर एंड टूरिज्म नया नामकरण किया गया है. अब तक बतौर ईडी/टीएंडसी कार्यरत रही श्रीमती स्मिता रावत को बतौर ईडी/एनएफआर एंड टूरिज्म पदस्थ किया गया है. इसी प्रकार ईडी/एनएफआर की पोस्ट को अब बतौर ईडी/मोबिलिटी ऑपरेट किया जाएगा. अब तक ईडी/एनएफआर रहे अतीश सिंह को ईडी/मोबिलिटी बनाया गया है.
नये बदलाव से यह प्रतीत होता है कि रेलवे बोर्ड राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है. मालूम हो कि लालू प्रसाद यादव के समय लिए गए कदाचारपूर्ण एवं विवादस्पद निर्णयों की सीबीआई जांच चल रही है और कई पूर्व अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है, रेलवे बोर्ड द्वारा कुछ ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, जिनसे न सिर्फ सभी संबंधित अधिकारियों को भविष्य में तमाम समस्याओं और सीबीआई जांच का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि इसके लिए उन्हें गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि भुवनेश्वर-कोलकाता के बीच मौजूद बीएनआर के तमाम हैरिटेज होटलों, जिनमें रांची रेलवे स्टेशन के सामने स्थित भव्य पांच सितारा ‘होटल चाणक्य’ भी है, को निजी हाथों में सौंपने सहित लालू यादव के समय लिए गए तमाम निर्णयों की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.ज्ञातव्य है कि लालू यादव के मामले में रेलवे बोर्ड के तत्कालीन सभी संबंधित अधिकारियों को सीबीआई का नोटिस मिला है .
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के निर्देश और पूर्व रेलमंत्री की तमाम कोशिशों के बावजूद रेलवे स्टेशनों/परिसरों सहित किसी भी चलती ट्रेन में निर्धारित दरों पर यात्रियों को खानपान सुविधा नहीं मिल रही है. सात रुपये की चाय दस रुपये में बेची जा रही है और 35 रुपये का खाना 125 से 150 रुपये में परोसा जा रहा है. जबकि रेलवे परिसरों और चलती ट्रेनों में बेचे जा रहे प्रत्येक आइटम की अलग और विशेष पैकेजिंग संबंधित कंपनियों द्वारा कम वजन/गुणवत्ता पर की जाती है. इसके अलावा कई आइटम्स की दरें बाजार दरों से भी ज्यादा हैं. इसके बावजूद ओवर चार्जिंग और अवैध वेंडिंग का वर्षों पुराना रोग खत्म करने की न तो रेल प्रशासन को कोई चिंता है, और न ही यह शायद कभी समाप्त किया जा सकेगा, क्योंकि यह बिना लागत का सामानांतर उद्योग तमाम स्थानीय राजनीतिज्ञों सहित माफियाओं और उनके साथ कुछ जोनल/डिवीजनल रेल अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कई गुना ज्यादा मुनाफे का धंधा बन गया है.
साभार रेलवे समाचार