- स्टेशन डेवलपमेंट प्लान में टूटना है पूरा इलाका, फिर सील अक्षय भवन तोड़ने की क्याें थी बेचैनी !
- मेंस कांग्रेस 20211 में सदस्यों ने आपसी सहयोग से चार लाख की लागत से कराया था निर्माण
JAMSHEDPUR. टाटानगर रेलवे इंजीनियरिंग विभाग में रेलवे मेंस कार्यालय परिसर में बनाये गये ”अक्षय भवन” को 13 साल बाद शुक्रवार 3 मई 2024 को अभियान चलाकर रेलवे ने ध्वस्त कर दिया. इस भवन को अवैध बताकर 16 अप्रैल 2024 को सील कर टाटानगर रेलवे इंजीनियरिंग विभाग ने अपनी निगरानी में ले लिया था. भवन का निर्माण रेलवे मेंस कांग्रेस के नेताओं ने 20211 में सदस्यों के आपसी सहयोग से किया था. उस समय इसके निर्माण पर चार लाख की लागत आयी थी.
निर्माण के बाद से ही अक्षय भवन हमेशा विवादों में रहा. लगातार शिकायतों और जांच की कार्रवाई के बावजूद रेल प्रशासन ने इसे कानूनन उल्लंघन जरूर बताया लेकिन अवैध करार देकर तोड़ने की जल्दीबाजी कभी नहीं दिखायी गयी. इसे ऐसे समय में तोड़ा गया है जब रेलवे संस्थान, रेलवे मेंस कार्यालय समेत रेलवे ट्रैफिक कालोनी का यह परिसर स्टेशन री-डेवलपमेंट के अंतर्गत आ रहा है. पूरे इलाके को तोड़ा जाना है. कुछ क्वार्टरों को तोड़ने का काम शुरू भी हो चुकी है. ऐसे में अचानक रेलवे को 16 अप्रैल 2024 को सील ”अक्षय भवन” को तोड़ने की इनती बेचैनी क्यों हो गयी थी ? यह बात रेलवे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गयी है.
दरअसल, रेलवे मेंंस कांग्रेस में विक्षुब्ध गुट लगातार चक्रधरपुर मंडल ओर जोनल स्तर पर इस बात को लेकर दबाव बना रहा था कि ‘अक्षय भवन’ भ्रष्टाचार की इमारत है, जिसका उपयोग कुछ नेता अपने निजी स्वार्थ और अवैध कमाई के लिए कई साल से कर रहे हैं. इसे रोककर अवैध के खिलाफ रेल प्रशासन कड़ा संकेत देने का प्रयास जाना चाहिए. बताया जाता है कि मेंस कांग्रेस में चल रहे टकराव व जोनल अधिकारियों के दबाव में मंडल रेल प्रशासन को यह कार्रवाई आनन-फानन में करनी पड़ी. वहीं मंडल रेल प्रशासन ने अक्षय भवन को गिराकर यह संदेश देने का प्रयास किया कि अवैध निर्माण को हर हाल में तोड़ा जायेगा.
शुक्रवार को दो पोकलेन की मदद से 13 साल पुराने अक्षय भवन को जमींदोज कर दिया गया. अभियान अतिरिक्त मंडल अभियंता राजेश कुमार वर्मा की देखरेख में चलाया गया. इस मौके पर आईओडब्लयू व आरपीएफ की टीम मौजूद थी. उधर एडीइएन टाटानगर राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि अवैध निर्माण का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था. निर्णय आने के बाद इसे सील किया गया था. बाद में अधिकारियों के आदेश पर इसे तोड़ने की कार्रवाई की गयी है.
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अक्षय भवन का निर्माण ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए विधिवत स्वीकृति लेकर कराया गया था. रेलवे को कुछ बिंदुओं पर आपत्ति थी. मामला हाईकोर्ट भी गया था. रेलवे मेंस कांग्रेस ने 2021 में ही इसे रेलवे को हैंडओवर कर दिया था. 16 अप्रैल 2024 को रेलवे ने हैंडओवर भी ले लिया था. हैंडओवर देने के बाद उस भवन को रेल प्रशासन रखे या तोड़े, यह प्रशासन के विवेक के ऊपर निर्भर है, इससे मेंस कांग्रेस को कोई लेना-देना नहीं है. पूरा इलाका टूटने वाला है.
शशि रंजन मिश्रा, मंडल संयोजक, रेलवे मेंस कांग्रेस, चक्रधरपुर