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बीएसएफ जवान से पेटीएम से घूस लेने वाले दो आरपीएफ जवान बर्खास्त

बीएसएफ जवान से पेटीएम से घूस लेने वाले दो आरपीएफ जवान बर्खास्त
  • आरपीएफ के इतिहास में ऑनलाइन रिश्वत लेने की पहली घटना में 48 घंटे में बर्खास्तगी की कार्रवाई की गयी
  • आईजी ने कानपुर में तैनात दो इंस्पेक्टरों और एक दरोगा को भी जांच के दायरे में लेने का दिया निर्देश

रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली

डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में बीएसएफ जवान देवराम थापा से पेटीएम के माध्यम से रिश्वत लेने वाले आरपीएफ के दो जवानों को मंगलवार 16 जुलाई को बर्खास्त कर दिया गया. आरपीएफ के आईजी डॉ. एसएन पांडेय ने दोपहर बाद दोनों जवानों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया. बीते 12 जुलाई को बीएसएफ जवान से ट्रेन एस्कार्ट के सिपाही आशीष चौहान और रामनयन यादव ने सौदेबाजी कर रिश्वत के रूप में सात हजार रुपए नगद और शेष राशि पेटीएम के जरिए खाते में ट्रांसफर करायी थी. दोनों जवानों को बर्खास्त किये जाने की पुष्टि आरपीएफ आईजी ने की है. दोनों जवानों को बर्खास्तगी का पत्र रिसीव करा दिया गया है. यह कार्रवाई 1987 के रूल के तहत की गयी है. आरपीएफ के रूल्स 1987 के कानून 161 के तहत की गयी कार्रवाई में आरोपों की जांच में पुष्टि होने पर आरोपित से स्पष्टीकरण लिए बिना सक्षम अफसर कार्रवाई कर सकता है.रिश्वत लेने की पुष्टि जांच में होने के बाद दोनों जवानों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की गयी.

12 जुलाई को दिल्ली स्टेशन पर बीएसएफ जवान देवराम थापा ने गर्भवती पत्नी को डिब्रूगढ़ राजधानी में चढ़ाने के लिए चेनपुलिंग की थी. इसमें तैनात आरपीएफ एस्कार्ट के सिपाही आशीष चौहान और रामनयन यादव ने थापा से चेनपुलिंग के बदले 10 हजार रुपए रिश्वत मांगी थी. सात हजार रुपए नगद लिए और तीन हजार रुपए पेटीएम के जरिए आशीष के स्टेट बैंक खाता, घंटाघर में ट्रांसफर करा लिया. देवराम ने सबूतों के साथ पूरी घटना आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार के साथ कई लोगों को ट्वीट कर दिया था. इसके बाद मामले की जांच में रिश्वत लेने की पुष्टि हुई थी. आरपीएफ के इतिहास में पहली घटना रेलवे सुरक्षा बल के इतिहास की शायद यह पहली घटना है, जिसमें आरपीएफ सिपाहियों ने ऑनलाइन रिश्वत ली. इसकी पुष्टि के 48 घंटे के भीतर बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो गई. सोमवार को ही जांच अधिकारी आरएन पांडेय ने पूरी रिपोर्ट आईजी को भेजी थी. आईजी ने मामले में कानपुर में तैनात दो इंस्पेक्टरों और एक दरोगा को भी जांच के दायरे में लेने का निर्देश जारी किया है.

सूत्रों ने बताया कि उन सिपाहियों का भी ब्योरा एकत्र कराया जा रहा है जो सिपाही राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों में लंबे समय से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं. इसकी भी जांच सहायक सुरक्षा आयुक्त आरएन पांडेय को दी गई है.

बताया जाता है कि न्यू जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) निवासी देवराम थापा बीएसएफ डीआईजी की सुरक्षा में नई दिल्ली में तैनात हैं. उन्होंने 12424 डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में न्यू जलपाईगुड़ी के लिए रिजर्वेशन कराया था. बी-6 कोच में उनकी 25 और 26 नंबर सीट आवंटित थी. शुक्रवार 12 जुलाई को वह गर्भवती पत्नी के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो ट्रेन के रवाना होने का समय हो चुका था. कोच तक पहुंचने से पहले ही ट्रेन चलने लगी. देवराम तो सवार हो गए लेकिन उनकी पत्नी प्लेटफॉर्म पर ही रह गईं. इस पर उन्होंने चेन पुलिंग कर दी. ट्रेन रुकी तो पत्नी को कोच में चढ़ा लिया. ट्रेन में कानपुर के अनवरगंज स्टेशन पर तैनात आरपीएफ सिपाही आशीष चौहान और रामनयन यादव एस्कॉर्ट कर रहे थे. दोनों ने बीएसएफ जवान को चेन पुलिंग करते देख लिया तो धमकी दी कि चेन पुलिंग के जुर्म में रिपोर्ट दर्ज करा देंगे.

सिपाहियों ने जवान से 10 हजार रुपए रिश्वत मांगी. देवराम ने कहा कि उसके पास 7 हजार रुपए ही कैश हैं लेकिन सिपाही तैयार नहीं हुए. बीएसएफ जवान ने घूस की बाकी रकम 3 हजार रुपए पेटीएम से भुगतान की बात कही तो दोनों सहमत हो गए. सात हजार रुपए कैश लेकर बाकी के 3 हजार रुपए सिपाही आशीष चौहान के बैंक खाते में पेटीएम के जरिए ट्रांसफर कर दिए. नकद और पेटीएम से घूस देने के बाद बीएसएफ जवान ने कोच कंडक्टर और आरपीएफ डीजी को पेटीएम डिटेल के साथ ट्वीट कर दिया था. डीजी ने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के कमांडेंट से जांच कर एक दिन में रिपोर्ट मांगी. जांच में पुष्टि के बाद दोनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया था. कानपुर सेंट्रल स्टेशन के सहायक सुरक्षा आयुक्त आरएन पांडेय के मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद जवानों जवानों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की गयी.

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