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बॉम्बे हाईकोर्ट से मिला AIRTU/CRTU को चुनाव लड़ने का क्लीयरेंस, IRSTMU ने दिया सभी जोन में समर्थन

बॉम्बे हाईकोर्ट से मिला AIRTU/CRTU को चुनाव लड़ने का क्लीयरेंस, IRSTMU ने दिया सभी जोन में समर्थन
  • देश के सभी 14 जाेन में चुनाव मैदान में उतरेगी AIRTU/CRTU, फेडरेशनों पर लगाया रेलकर्मियों को धोखा देने का आरोप 
  • एआईआरटीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र पंचाल ने फेडेरशनों पर साधा निशाना, कहा – ठगी और भ्रष्टाचार व उगाही बना धंधा  

MUMBAI. बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2024 में होने वाले रेलवे यूनियनों की मान्यता के लिए AIRTU/CRTU को चुनाव लड़ने का क्लीयरेंस दे दिया है. कोर्ट ने रेलवे बोर्ड और सभी जोनल से जारी उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें AIRTU/CRTU के नॉमिनेशन को रद्द कर दिया गया था. इस तरह नरेंद्र पंचाल के नेतृत्व वाली AIRTU/CRTU को यूनियनों की मान्यता के लिए चुनाव मैदान में उतरने को हरी झंडी मिल गयी है. AIRTU/CRTU 14  जोन में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.

बॉम्बे हाईकोर्ट से मिला AIRTU/CRTU को चुनाव लड़ने का क्लीयरेंस, IRSTMU ने दिया सभी जोन में समर्थन

आलोक चंद्र, महासचिव, IRSTMU

AIRTU/CRTU को दूसरी बड़ी कामयाबी व मजबूरी अन्य संगठनों के साथ IRSTMU से मिले समर्थन के रूप में मिली है. IRSTMU के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने रेलहंट को दिये बयान में कहा कि भारतीय रेलवे एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन (IRSTMU) इस साल के अंत में होने वाले रेलवे यूनियन चुनाव में सभी डिवीजनों और जोनों में AIRTU/CRTU को पूरा समर्थन देगी. आलोक चंद्र प्रकाश ने कोर्ट के आदेश पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब रिटायर्ड नेताओं वाले यूनियन का शासन रेलवे में खत्म हो जाएगा. लगभग सभी संबद्ध यूनियन और चुनाव लड़ने वाली यूनियनों का नेतृत्व रिटायर्ड नेता कर रहे हैं और वे अपनी मृत्यु तक नेतृत्व कर रहे हैं. यह रेलवे यूनियन चुनाव ऐसे सभी नेताओं को पूरी तरह से रिटायर कर देगा और एआईआरटीयू/सीआरटीयू उन सभी 14 जोनों में जीत हासिल करेगा जहां एआईआरटीयू/सीआरटीयू चुनाव लड़ रहा है.

AIRF फेडेरशन अब ठगी-भ्रष्टाचारी व रुपये बनाने वाले नेताओं का जमावड़ा : नरेंद्र पंचाल 

बॉम्बे हाईकोर्ट से मिला AIRTU/CRTU को चुनाव लड़ने का क्लीयरेंस, IRSTMU ने दिया सभी जोन में समर्थन

नरेंद्र पंचाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, AIRTU

एआईआरटीयू (AIRTU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र पंचाल ने हाईकोर्ट से मिली राहत को रेलकर्मियों के साथ साझा किया और एक कार्यक्रम में एयरफोर्स से रेलवे तक अपनी जमीनी यात्रा की जानकारी दी और बताया किस तरह उन्हें कदम-कदम पर रेल प्रशासन ही नहीं यूनियन के नेताओं ने आगे बढ़ने से रोका. उन्होंने दावा किया कि AIRF व दूसरे फेडरेशन सिर्फ झूठ का कारोबार कर रहे हैं. रिस्क अलाउंस हम लेकर आये उन्होंने उसे अपनी उपलब्धि बता दिया. दो बार रिमूव फ्रार्म सर्विस कराया गया. कहा कि AIRF 1974 के आंदोलन और बोनस दिलाने का दावा आज तक करती है लेकिन यह उपलब्धि उनकी नहीं पूर्व रेलमंत्री व रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस की थी. उन्होंने सवाल किया कि AIRF बताये के उसके बाद उसने रेलकर्मियों के लिए क्या किया? कहा कि यह फेडेरशन अब ठगी-भ्रष्टाचारी व रुपये बनाने में जुटी है.

AIRTU/CRTU को मिली सिर्फ ट्रैकमैनों की नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर के रेलवे कर्मचारियों की जीत है :  नवीन 

बॉम्बे हाईकोर्ट से मिला AIRTU/CRTU को चुनाव लड़ने का क्लीयरेंस, IRSTMU ने दिया सभी जोन में समर्थन

नवीन कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, IRSTMU

उधर दूसरी ओर आईआरएसटीएमयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने कहाकि हाईकोर्ट से AIRTU/CRTU को मिली जीत सिर्फ ट्रैकमैनों की नहीं है, बल्कि यह सभी जमीनी स्तर के रेलवे कर्मचारियों की बड़ी जीत है, जो एसएंडटी कर्मचारी, सीएंडडब्ल्यू/मैकेनिकल कर्मचारी, पॉइंट्समैन/ऑपरेटिंग कर्मचारी, स्टेशन मास्टर, टिकट चेकिंग कर्मचारी, टीआरडी और इलेक्ट्रिक कर्मचारी, आईओडब्ल्यू कर्मचारी, ट्रेन मैनेजर और सभी रेलवे कर्मचारियों जैसी विभिन्न मूल स्तर की समस्याओं का सामना कर रहे हैं. एआईआरटीयू के राष्ट्रीय महासचिव कंथाराजू एवी ने जवाब दिया कि हम 14 जोनों में लड़ रहे हैं और हमारी जीत के बाद एआईआरटीयू सभी रेलवे कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) पर काम करेगा. हम सभी जमीनी स्तर के कर्मचारियों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेंगे और भारतीय रेलवे में सभी रिक्तियों को भरने के लिए काम करेंगे.

हाईकोर्ट ने रेलवे के आदेश को गलत करार दिया, खारिज नामांकन बहाल हुए  

सीआरटीयू के महासचिव राम नरेश पासवान ने बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादित आदेश के बाद अपनी खुशी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने भी माना कि प्रथम दृष्टया रेलवे का आदेश गलत है और इसलिए अंतरिम राहत के तौर पर इस पर रोक लगाई जाती है. याचिकाकर्ता यूनियन (एआईआरटीयू/सीआरटीयू) के जिन सदस्यों के नामांकन फॉर्म खारिज किए गए हैं, उन्हें स्वीकार किया जाता है. वे चुनाव लड़ने के पात्र होंगे. यह आदेश न तो चुनावों को रोकता है और न ही उन्हें टालता है, बल्कि लोकतंत्र के नियमों को रेखांकित करते हुए उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने में सक्षम बनाने के पवित्र उद्देश्य को आगे बढ़ाता है, चुनाव कार्यक्रम को बाधित किए बिना, क्योंकि नामांकन फॉर्म केवल यूनियन के शीर्षक/नाम को पढ़ने के आधार पर खारिज कर दिए गए हैं.

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