- टाटानगर रेलवे स्टेशन के आउटगेट पर 35 मिनट तड़पता रहा खून से लथपथ युवक, नहीं मिला इलाज, हो गयी मौत
- टेंपो चालक लगाते रहे गुहार, आरपीएफ और जीआरपी के अधिकारी इधर-से-उधर भटकते रहे, नहीं उठाया कोई कदम
जमशेदपुर. टाटानगर स्टेशन परिसर में बुधवार व गुरुवार की दरम्यानी रात (27.07.2022) देर डेढ़ बजे तब हंगामा मचा गया जब रेलवे आरक्षण केंद्र के पास एक युवक खून से लथपथ आकर जमीन पर गिर पड़ा. युवक पार्किंग के आउट गेट की ओर से भागता हुआ आया था और उसका एक हाथ पूरी तरह कटकर एक ओर झूल रहा था. हर ओर खून बिखरा पड़ा था. युवक के गिरते ही आरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर, रेल पुलिस के एएसआइ समेत कुछ जवान भी मौके पर पहुंचे. युवक की स्थिति गंभीर थी. वहां जमा टेंपो चालक लगातार आरपीएफ और रेल पुलिस के अधिकारी से अनुरोध कर रहे थे कि युवक को अस्पताल पहुंचाया जाये लेकिन किसी स्तर पर पहल नहीं की गयी.
टाटानगर रेलवे पार्किंग में बिखरा खून
15 मिनट बाद सभी टेंपो चालक ही एक ऑटो ले आये जिसमें युवक को चढ़ाया गया लेकिन अस्पताल तक जाने को कोई तैयार नहीं था. इस बीच 15 मिनट और गुजर गये. टेंपो चालकों ने रेल पुलिस से कहा कि वह इलाज का खर्च भी देने को तैयार हैं, युवक को तत्काल टीएमएच ले जाया जाये लेकिन कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए चाहते हैं कि कोई पुलिसवाला साथ जाये. इसे लेकर टेंपो चालकों और आरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर व रेल पुलिस एएसआइ से झड़प भी हुई. आधे घंटे की मशक्कत के बाद रेल पुलिस घायल को अस्पताल ले जाने को तैयार हुई. युवक को टेंपो पर पहले रेलवे अस्पताल ले जाया गया वहां से उसे एमजीएम भेजा गया. वहां पहुंचने पर डॉक्टर ने युवक को मृत घोषित कर दिया. युवक की पहचान बारीडीह बागुनहातु निवासी विकास कुमार दुबे (26) के रूप में की गयी है.
समय पर मिल जाता इलाज तो बच सकती थी युवक की जान
टेंपो में घायल युवक को रखकर पुलिस का इंतजार करते चालक
रेलवे स्टेशन पार्किंग में मारपीट की घटना के बाद टेंपो चालकों को आरपीएफ सब-इंस्पेक्टर ने धमकाना शुरू किया. रेल पुलिस के अधिकारी एक टेंपो चालक को पकड़कर थाना भी ले गये. यह सब इसलिए हुआ कि टेंपो चालक घायल के बेहतर इलाज के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे थे और वर्दी के तैनात आरपीएफ व जीआरपी अधिकारी इसे अपनी तौहीन समझ रहे थे. हुआ वहीं जो होना था, समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण युवक की मौत हो गयी.
अब सवाल यह उठ रहा है कि युवक को समय पर अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया जा सका ? आरपीएफ के साथ जीआरपी के अधिकारी भी वहां मौजूद थे फिर ऐसा क्यों हुआ? इसके लिए जिम्मेवार कौन है? क्या इसकी जिम्मेदारी आरपीएफ व जीआरपी के अधिकारी लेंगे? अगर कोई जिम्मेदारी लेने को आगे नहीं आ रहा तो यह बताना होगा कि स्टेशन परिसर में विधि-व्यवस्था बनाये रखने और सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? और इसकी चूक पर क्या कार्रवाई हो रही ?