- रेलकर्मियों के हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने देगा एआईआरएफ, निजीकरण स्वीकार्य नहीं
- उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण के आदेश पर भड़का आक्रोश, सड़क पर उतरे रेलकर्मी व उसके परिवार
- जोनल महामंत्रियों को पत्र लिखकर आंदोलन के लिए तैयार रहने और कर्मचारियों को एकजुट करने का अनुरोध
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे बोर्ड द्वारा सभी सातों उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण के आदेश के के खिलाफ रेलकर्मियों का गुस्सा उबाल पर है. रेलकर्मी सड़क पर उतरकर उसका विरोध कर रहे है. रेलकर्मियों ने इसे सरकार का तुगलकी फरमान करार देते हुए अंतिम दम तक लड़ाई का ऐलान कर दिया है. इस क्रम में 26 जून बुधार को ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा के नेतृत्व में नेताओं ने रेलवे बोर्ड के मेंबर रोलिंग स्टॉक राजेश अग्रवाल से मिलकर उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण के आदेश को गलत बताते हुए स्पष्ट कर दिया कि किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार्य नहीं किया जायेगा और न ही फेडरेशन कर्मचारियों के साथ अन्याय बर्दास्त करेगा. इसके बाद आँल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन देश भर में एक जुलाई को काला दिवस मनाने की घोषणा की है. इस दौरान रेलकर्मी बाहों में काली पट्टी बांध कर काम करेंगे. हर शाखा स्तर पर गेट मीटिंग कर मंत्रालय ने नाम पत्र भेजा जायेगा. फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि अगर जल्दी ही रेलवे बोर्ड ने निगमीकरण के आदेश को वापस नहीं लिया तो आंदोलन को और धार दिया जाएगा.
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन समेत दूसरे संगठन भी रेलवे बोर्ड के उस आदेश का विरोध कर रहे जिसमें इंट्रीगल कोच फैक्टरी, चेन्नई, रेल कोच फैक्टरी, कपूरथला, डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली, चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन, डीजल लोको मॉडर्नाइजेशन वर्क्स, पटियाला सहित कुछ अन्य उत्पादन इकाईयां को प्राइवेट कंपनी बनाने की पहल की गयी है. सीधी से बात है ऐसा होने से इन इकाईयों के कर्मचारी सरकारी सेवा में न होकर निजी कंपनी के कर्मचारी बन जाएंगे. इसके बाद महाप्रबंधक की जगह प्राइवेट कंपनी के सीएमडी इसका काम देखेंगे. रेलवे बोर्ड के इस आदेश के विरोध में हर ओर से विरोध की आवाज उठने लगी है. रेल कर्मचारी ही नहीं उनके परिवार के सदस्य भी प्रदर्शनों में शामिल हो रहे. उधर दूसरी ओर डीजल रेल कारखाना में संयुक्त संघर्ष मोर्चा बनाकर रेलकर्मियों और उसके परिवार के लोगों ने निगमीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में रेलकर्मी शामिल हुए.
बुधवार 26 जून को एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा, एआईआरएफ के कार्यवाहक अध्यक्ष एन कन्हैया, रेल कोच फैक्टरी के जोनल महासचिव एलएन पाठक, एमसीएफ के कार्यवाहक महामंत्री रितुराज शुक्ला आदि ने एमआरएस राजेश अग्रवाल को को सौंपे पत्र में बताया कि पूरे मामले में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए थी, देश को और कर्मचारियों को बताना चाहिए कि निजीकरण से रेलवे को क्या और कैसा फायदा होने वाला है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रेलवे बोर्ड ने इस आदेश को वापस नहीं लिया, तो हम सीधी लड़ाई के लिए मजबूर होंगे. मेंबर रोलिंग स्टाक राजेश अग्रवाल ने एआईआरएफ की भावनाओं से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को अवगत कराने की बात कही है.
इसके एक दिन बाद ही ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार के 100 दिन के एजेंडे का विरोध जताते हुए इसे कर्मचारी और देश के खिलाफ करार दिया. महामंत्री का कहना है कि रेल कोच फैक्टरी के साथ ही अन्य उत्पादन इकाइयों को निजीक्षेत्र में देने से कर्मचारियों के शोषण का रास्ता खुल जाएगा. महामंत्री ने हैरानी जताते हुए कहाकि जब सभी उत्पादन इकाइयां अपना काम बेहतर तरीके से कर रही हैं और निर्धारित लक्ष्य को भी हासिल कर रही हैं, ऐसे में इन्हें निगम में तब्दील करने का औचित्य क्या है ? श्री मिश्रा ने कहा कि ट्रेनों में बर्थ की मांग हम पूरी नहीं कर पा रहे हैं, अगर हम निजी क्षेत्र के लोगों को ट्रेनों का संचालन सौंपने के बजाए यात्रियों की मांग को पूरी करने दिशा में पहल करें तो इससे भारतीय रेल का मुनाफा भी बढ़ेगा और देश की जनता का विश्वास जीतने में भी हम कामयाब होंगे. लेकिन ऐसा न करके भारतीय रेल को बेचने की साजिश की जा रही है, जिसका एआईआरएफ सख्त विरोध करेगा.
इसी क्रम में महामंत्री ने एआईआरएफ के सभी जोनल महामंत्रियों को पत्र लिखा है, जिसमें सरकार साफ किया गया है कि अब हमें आंदोलन के लिए तैयार होने के साथ ही भारतीय रेल के कर्मचारियों को एकजुट करना होगा. महामंत्री ने कहाकि फिलहाल देश भर में एक जुलाई को काला दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत भारतीय रेल के कर्मचारी अपनी बाहों में काला फीता बांध कर काम करेंगे. इतना ही हर शाखा स्तर पर गेट मीटिंग कर निगमीकरण और ट्रेनों का संचालन निजी क्षेत्र में दिए जाने का विरोध किया जाएगा. सभी शाखाओं से द्वारा एक ज्ञापन भी सरकार को सौंपा जाएगा. महामंत्री ने कहाकि इतना ही दो से छह जुलाई तक सभी शाखाएं अपने अपने यहां व्यापक जनजागरण अभियान चला कर सरकार की साजिश के बारे में कर्मचारियों को अवगत कराएंगी.
एआईआरएफ महामंत्री ने कहाकि इस बीच अगर रेलवे बोर्ड अपने आदेश को वापस ले लेता है तो ठीक है, वरना रेल कर्मचारी निगमीकरण और ट्रेनों का संचालन निजीक्षेत्र को सौंपने के खिलाफ अपने आंदोलन को और धार देने को मजबूर होगी.