- स्टॉल और वाटर वेंडिंग मशीन आवंटन में करोड़ों के काले धन का किया इस्तेमाल : कमलेश कुमार
- ब्लैकमेल कर रहा आईटीआई कार्यकर्ता, आत्महत्या करने की आयी नौबत : विकास कुमार गुप्ता
कोलकाता से अमित सिंह. आइआरसीटीसी के इर्स्टन जोन कोलकाता मुख्यालय से जारी एक टेडर को लेकर इन दिनों दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेलमंडल में घमासान मचा हुआ है. रेलवे के वेंडर और ठेकेदार मेंसर्स विकास कुमार ने जमशेदपुर के आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश कुमार पर ब्लैकमेन करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने की चेतावनी दी है. विकास कुमार गुप्ता ने बकायदा जमशेदपुर के आदित्यपुर में 8 अप्रैल को प्रेस कांफ्रेस कर पत्रकारों के समक्ष अपनी बात रखी और कहा कि अब स्थिति आत्महत्या करने तक की आ गयी है. विकास कुमार गुप्ता रेलवे के अधिकृत ठेकेदार/वेंडर है जिन्होंने आसनसोल, चक्रधरपुर और आद्रा रेलमंडल के विभिन्न स्टेशनों पर 54 वाटर वेंडिंग मशीन का टेंडर लिया हुआ है. इसके अलावा मेंसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी और मेसर्स स्वाति गुप्ता एंड कंपनी के नाम पर स्टॉल भी आवंटित है. जिनका संचालन चक्रधरपुर रेलमंडल के राउरकेला और टाटानगर स्टेशनों पर किया जा रहा है.
इधर, स्वयं को आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाला जमशेदपुर मकदमपुर, परसुडीह निवासी कमलेश कुमार ने रेलवे ठेकेदार मेसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी और मेसर्स स्वाति गुप्ता एंड कंपनी पर रेलवे में कारोबार हासिल करने में काले धन का इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप लगाते हुए उनके धन के स्रोत का पता लगाने को लेकर चक्रधरपुर रेलमंडल समेत अन्य पदाधिकारियों से पत्राचार किया है. यह पत्र रेलहंट को भी भेजा गया है. कमलेश कुमार के इस पत्र को लेकर विकास कुमार गुप्ता की बेचैनी को समझा जा सकता है. क्योंकि इस विषय को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया गया है और कई टवीट विभिन्न नामों से विभिन्न विभागों को भेजकर मेंसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी और मेसर्स स्वाति गुप्ता एंड कंपनी द्वारा रेलवे में लिये गये स्टॉल और वाटर वेंडिंग मशीन के लिए जमा करायी गयी धनराशि के स्रोत की जांच की मांग की जा रही है.
रेलहंट को मिली जानकारी के अनुसार कमलेश कुमार और विकास गुप्ता की पहचान एक दशक पुरानी है और पूर्व के कई कारोबार पर सवाल उठाये जाने के बाद विकास कुमार गुप्ता ने तथाकथित आरटीआई कार्यकर्ता को संतुष्ट कर अपनी जांच रिपोर्ट को प्रभावित भी किया है. इसमें टाटानगर स्टेशन पर खानपान सेवा से वेंडर चलाने का चर्चित मामला भी शामिल है, जिसमें रेलमंडल के तत्कालीन सीनियर डीसीएम तक को कार्रवाई की आंच झुलसा चुकी है. हमेशा से रेलवे के विवादित वेंडर रही मेंसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी के काले कारनामों की विजिलेंस जांच में जब वेंडर चलाने की स्वीकृति का मामला सामने आया तो दक्षिण पूर्व रेलवे में कोहराम मच गया था. विकास एंड कंपनी के साथ देने की बड़ी कीमती तत्कालीन सीनियर डीसीएम व वर्तमान सीनियर डीएसओ अशोक कुमार अग्रवाला को चुकानी पड़ी थी. बताया जाता है कि विकास कुमार गुप्ता के खिलाफ कई शिकायतों की जांच को लेकर पहले भी कमलेश को संतुष्ट किया जाता रहा है. इस बार पानी सिर से ऊपर आ जाने के बाद शायद विकास कुमार गुप्ता को प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात कहने की नौबत आ गयी. मामले में नया अध्याय टाटानगर में स्वीकृति से अधिक वेंडिंग मशीन लिए जाने को लेकर आया है. जानकारों का कहना है कि विकास गुप्ता एंड कंपनी ने रेलवे बोर्ड के नियमों से विपरीत जाकर अतिरिक्त वेंडिंग मशीन की स्वीकृति टाटानगर स्टेशन पर करा ली है. कयास लगाए जा रहे हैं यह मामला भी बाद में कहीं वर्तमान सीनियर डीसीएम भास्कर के गले की फांस ना बन जाए, जैसा कि पूर्व मे एके अग्रवाला के साथ हो चुका है.
फिलहाल विकास कुमार गुप्ता ने तथाकथित आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश कुमार पर वाटर वेंडिंग मशीन का संचालन हासिल करने के लिए सूचना अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग और ब्लैकमेलिंग करने का गंभीर आरोप लगाया है. जमशेदपुर के चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष मित्तल भी विकास गुप्ता के सहयोग में आगे आये है. लेकिन इन दावों के बीच एक बात यह सच है कि किसी मामले में ब्लैकमेलिंग तब ही संभव है जब कहीं कुछ गलत हो रहा हो, तब सवाल उठता है कि क्या विकास कुमार गुप्ता की फॉर्म ने स्टॉल व वाटर वेडिंग मशील हासिल करने में रेलवे से नियम व मानक के बाहर जाकर छूट हासिल कर ली, जिसका फायदा उठाने का प्रयास कमलेश कुमार नाम का आरटीआई कार्यकर्ता कर रहा है. सच चाहे जो भी ब्लैकमेलिंग और काले धन को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता और ठेकेदार की भिड़त में इस बार रेलवे फंस गया है. नियमों के अनुपालन को लेकर उठाये गये सवालों से रेल अधिकारी मुंह नहीं मोड़ सकते. ऐसे में सवाल यह उठाता है कि क्या मेंसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी वेंडिंग मशीनों के संचालन का ठेका नियमों से बाहर जाकर हासिल किया गया? क्या उनके संचालन में नियमों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है?
किसी मामले में ब्लैकमेलिंग तब ही संभव है जब कहीं कुछ गलत हो रहा हो, तब सवाल उठता है कि क्या विकास कुमार गुप्ता की फॉर्म ने स्टॉल व वाटर वेडिंग मशील हासिल करने में रेलवे से नियम व मानक के बाहर जाकर छूट हासिल कर ली, जिसका फायदा उठाने का प्रयास कमलेश कुमार नाम का आरटीआई कार्यकर्ता कर रहा है.
पानी के काले कारोबार में नीचे से ऊपर तक हेराफेरी
रेलहंट की जांच में यह बात सामने आयी है कि स्टेशन पर वाटर वेडिंग मशीन के आवंटन से लेकर उसके संचालत तक के कारोबार में नियमों को ताक पर रखकर मेसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी को फायदा पहुंचाया गया जो क्रम आज तक जारी है. कोलकाता स्थित आईआरसीसीटी के ईस्टर्न मुख्यालय से आसनसोल, आद्रा व चक्रधरपुर रेलमंडल के विभिन्न 54 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन के लिए मेसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी ने हासिल की थी. एक मशीन का एक साल का लाइसेंस फीस रेलवे ने लगभग 60,000 रुपये तय किया था, इस लिहाज से 54 मशीनों का पहले साल ही एडवांस लाइसेंस फीस मद में मेसर्स विकास गुप्ता एंड कंपनी को रेलवे को लगभग 32,40,000 का भुगतान करना पड़ा होगा. क्या रेलवे ने प्रोजेक्ट की फंडिंग का स्रोत जानने का प्रयास किया? यह राशि कहां से आयी और किस तरह रेलवे को भुगतान की गयी, क्या इस राशि पर इनकम टैक्स, जीएसटी आदि पेड किया गया है? विकास एंड कंपनी का दावा है कि रेलवे के मानक का पालन करते हुए गुणवत्ता वाली महंगी मशीनों की खरीद लगभग 6.50 लाख में की गयी. तो क्या क्या 54 मशीनों की खरीद पर खर्च किये गये 3.51 करोड़ रुपये की फंडिंग की जानकारी रेलवे को है? क्या इसकी सूचना आयकर व दूसरी एजेंसियों को रेलवे ने उपलब्ध करायी है.
रेलहंट की नजर में उठ रहे अहम सवाल, जिसकी जांच रेलवे को करनी है
- रेलने ने करोड़ों का टेंडर मेसर्स विकास एंड कंपनी को देने से पूर्व क्या उनके आय के स्रोतों की जांच की?
- 54 मशीनों के लिए पहले साल लाइसेंस मद में जमा कराये गये 32,40,000 रुपये की फंडिंग स्रोत क्या है?
- क्या वाटर वेंडिंग मशीनों की खरीद में स्वीकृत कंपनियों व दूसरे मानकों का पालन किया गया?
- मशीनों की खरीद किस दर से की गयी और इस मद में कितनी राशि खर्च की गयी, इसकी जानकारी रेलवे को है?
- कंपनी का दावा है कि एक मशीन पर 6.5 लाख खर्च किये गये है तो 3.51 करोड़ की फंडिंग का स्रोत क्या था?
- क्या रेलवे की ओर से वाटर वेंडिंग मशीनों से बेचे जा रहे पानी की गुणवत्ता की जांच गंभीरता से की जा रही है?
- क्या हकीकत में विभिन्न स्टेशनों पर वाटर वेंडिंग मशीन का संचालन मेसर्स विकास एंड गुप्ता कंपनी ही कर रही है?
- अगर हां तो, कितने कर्मचारी विभिन्न मशीनों के संचालन पर शिफ्टवार ड्यूटी कर रहे, यह जानकारी रेलवे को है?
- क्या कर्मचारियों को सरकार के नियमों के अनुसार ईपीएफ व इएसआई की सुविधा मिल रही है? यह जानकारी है?
- क्या रेलवे के पास गुप्ता एंड कंपनी के कर्मचारियों की सूची और सरकार के देय ईपीएफ-ईएसआई का ब्योरा उपलब्ध है?
- क्या गुप्ता एंड कंपनी ने केंद्र सरकार के पोर्टल ‘श्रम सुविधा’ पर अपनी एजेंसी को रिजिस्टर्ड कराया है जो अनिवार्य है?
- https://shramsuvidha.gov.in क्या पोर्टल पर गुप्ता एंड कंपनी के कर्मियों की सूची ऑनलाइन अपलोड है?