- चक्रधरपुर रेल मंडल के लोडिंग सेक्शन डांगवापोशी -बड़बिल-बड़ाजामदा में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा
- ट्रांसफर-पोस्टिंग में चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए सीनियर डीसीएम ने सारे नियम-कानून ताक पर रखा
- सीनियरिटी को दरकिनार कर कई जगह जूनियर को बना दिया गया इंचार्ज, मंशा पर उठे सवाल
- रेलवे में 2007 में ज्वाइन के बाद से 11 साल बड़बिल में जमे विक्रांत की समीप ही बड़ाजामदा में कर दी पोस्टिंग
जमशेदपुर से डॉ अनिल. चक्रधरपुर रेलमंडल के वाणिज्य विभाग में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है. नियम व कानून को अपने तरीके से तोड़-मरोड़ कर परिभाषित कर चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए यहां निरीह रेलकर्मियों को बली का बकरा बना दिया जा रहा है. इसका ताजा उदाहरण है बड़ाजामदा में राजीव कुमार पर की गयी कार्रवाई का. एक वायरल किये गये तथाकथित वीडियो के आधार पर राजीव को सीनियर डीसीएम भास्कर ने आनन-फानन में निलंबित कर दिया. अब उसकी पोस्टिंग कहीं और करने की तैयारी चल रही है. मजे की बात है कि इस मामले में जिम्मेदार सीआई बबन राय और इंचार्ज विक्रांत कुमार को प्रबंधन ने बिना किसी जांच के क्लीन चिट दे दी. जबकि अगर बड़ाजामदा में कोई संदिग्ध गतिविधि लंबे समय से चल रही थी तो इसके लिए सीधे तौर पर पहले वहां के सुपरवाइजर इंचार्ज और सीआई पर आरोप तय किया जाना चाहिए था जो इस मामले में नहीं किया गया.
रेलहंट ने जब वायरल वीडियो और राजीव कुमार पर कार्रवाई की मामले की तफ्दीश की तो जो कहानी सामने आयी वह काफी दिलचस्प रही. वर्तमान में रेलमंडल के डांगुवापोसी सेक्शन में वाणिज्य विभाग में कर्मचारियों की सीनियरिटी की जो प्रक्रिया अपनायी गयी है जिसमें बड़ा गोलमाल किया गया है, हालांकि इसे लेकर कर्मचारियों में सीनियर डीसीएम भास्कर को लेकर गहरा आक्रोश भी है, लेकिन विभागीय प्रमुख का सामने से सीधे तौर पर विरोध का मतलब रेलवे में जगजाहिर होता है. मृतप्राय रेलवे की दोनों यूनियनों की शांत गतिविधियों के बीच सब कुछ जानकर भी कर्मचारी भीतर ही भीतर सुलग रहे और चुप्पी साधे ईश्वर की प्राकृतिक न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
रेलवे बोर्ड और रेल प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों की नैतिकता और शुचिता के साथ ही विजिलेंस एवं सीवीसी के तमाम दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर खुद ही भ्रष्टाचार और जोड़तोड़ को कैसे बढ़ावा दिया जाता है, इससे बड़ा उदाहरण चक्रधरपुर रेलमंडल वाणिज्य विभाग में शायद ही कोई दूसरा मिलेगा.
अपने अब तक की सबसे चर्चित आदेश में सीनियर डीसीएम भास्कर ने चक्रधरपुर रेलमंडल में कुछ छोटे स्टेशनों को मिलाकर एक इंचार्ज बनाने की परंपरा की शुरुआत की है. इसमें किसी जगह इंचार्ज सबसे सीनियर कर्मचारी को बनाया जाना था. हालांकि यह परंपरा सिर्फ रेलवे के मलाईदार माने जाने वाले बड़बिल, नोवामुंडी, बड़ाजामदा सेक्शन पर ही अमल में लायी गयी और तमाम कर्मचारियों की सीनियरिटी को नजरअंदाज पर गुड्स क्लर्क श्रेणी के कनिष्ठ कर्मचारी विक्रांत कुमार (ग्रेड पे 2600) को सेक्शन का इंचार्ज बना दिया गया. यह वहीं विक्रांत है कि जो रेलवे में ज्वाइनिंग 2007 नोवामुंडी के बाद 2008 से लगातार 11 साल से बड़बिल में पदस्थापित है और तबादला आदेश में रस्मअदायगी के लिए उन्हें मात्र पांच किमी दूर बड़ाजामदा में पदस्थापित कर बड़बिल में डयूटी करायी जा रही है.
रेलवे बोर्ड और रेल प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों की नैतिकता और शुचिता के साथ ही विजिलेंस एवं सीवीसी के तमाम दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर खुद ही भ्रष्टाचार और जोड़तोड़ को कैसे बढ़ावा दिया जाता है, इससे बड़ा उदाहरण चक्रधरपुर रेलमंडल वाणिज्य विभाग में शायद ही कोई दूसरा मिलेगा. जबकि रेलमंत्री पीयूष गोयल के निर्देश के आलोक में संवेदनशील पदों पर लंबे समय से कार्यरत रेलकर्मियों के अविलंब अन्यत्र तबादले का आदेश जारी किया गया था. ऐसे में दिखावे के लिए एक ही स्थान पर सीट की अदला-बादली कर विक्रांत कुमार को मूल स्थान पर बनाए रखने का क्या औचित्य हो सकता है? अगर वे इतने ही जिम्मेदार, योग्य और कर्तव्यनिष्ट थे तो उन्हें तबादले में टाटा, राउरकेला अथवा झारसुगुड़ा भेजा जाना चाहिए था.
मूल बात यह है कि बड़ाजामदा में तैनात विक्रांत कुमार सेक्शन पर सीनियरिटी में चौथे नंबर पर आते है. उनके ऊपर हेड सीसी राजीव कुमार, कृतिवास मंडल और अशोक कुमार है. जिन्हें सीनियर डीसीएम ने पूरी तरह दरिकनार कर दिया. अशोक कुमार ने विक्रांत कुमार को इंचार्ज बनाये जाने पर आपत्ति जतायी थी तो उन्हें विभागीय कार्रवाई का भय दिखाकर शांत करा दिया. इस तरह राजीव कुमार भी अपने विरोध को लेकर ही सीनियर डीसीएम के चहेतों के निशाने पर आ गये थे. माना जा रहा है कि सीनियरिटी की लिस्ट को छोटी कर विक्रांत की राह आसान बनाने के लिए ही हेड सीसी राजीव कुमार को रास्ते से हटाने की साजिश रच दी गयी. इसके बाद तथाकथित वीडियो वायरल किया गया. मजे की बात यह कि तथाकथित वीडियो वायरल कर रेल प्रशासन तक पहुंचा तो दिया गया लेकिन बुकिंग कर्मचारी राजीव को भ्रष्ट बताने वाले लोग यह साबित करने के लिए सामने नहीं आये और न ही रेल प्रशासन ने उन्हें खोजने की जहमत उठायी.
रेलमंत्री पीयूष गोयल के निर्देश के आलोक में संवेदनशील पदों पर लंबे समय से कार्यरत रेलकर्मियों के अविलंब अन्यत्र तबादले का आदेश जारी किया गया था. ऐसे में दिखावे के लिए एक ही स्थान पर सीट की अदला-बादली कर विक्रांत कुमार को मूल स्थान पर बनाए रखने का क्या औचित्य हो सकता है? अगर वे इतने ही जिम्मेदार, योग्य और कर्तव्यनिष्ट थे तो उन्हें तबादले में टाटा, राउरकेला अथवा झारसुगुड़ा भेजा जाना चाहिए था.
इस तरह बिना किसी शिकायत के सीआई बबन राय की अनुशंसा पर हेड सीसी राजीव कुमार को निलंबित कर दिया गया. सीआई बबन राय ने यह अनुशंसा किसके इशारे पर की यह रेलकर्मियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. मजे की बात यह कि इस मामले की जांच करने पहुंचे वाणिज्य निरीक्षण मंसूर खान ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि राजीव कुमार के खिलाफ तथाकथित वीडिया के अलावा जमीनी स्तर पर आरोप साबित करने का कोई प्रमाण नहीं है. बावजूद उन्हें निलंबन मुक्त नहीं किया गया बल्कि उनके खिलाफ विजिलेंस की पुरानी जांच रिपोर्ट को सामने कर कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. इसमें बड़ी भूमिका सीनियर डीसीएम का एक चहेता स्थानीय कर्मचारी निभा रहा है जिसकी पहुंच 11 साल तक सबसे मलाईदार सेक्शन में रहने के कारण मंडल वाणिज्य विभाग से लेकर वित्त व विजिलेंस के अफसरों तक भी है.
सीनियरिटी को दरकिनार कर सिस्टम चलाने के नाम पर छोटे-बड़े स्टेशनों पर चुनिंदा कर्मचारियों को प्रभारी बनाने और फायदा पहुंचाने की नीति के कारण पस्थापना के बाद चक्रधरपुर रेलमंडल में सबकी पसंद रहे सीनियर डीसीएम भास्कर अब आंखों की किरकिरी बनने लगे है. ताजा उदाहरण टाटानगर स्टेशन पर सीनियर सीटीआइ पीके मिश्रा को हटाकर मलय मल्लिक की पोस्टिंग का है. ऐसे कई उदाहरण श्री भास्कर की कार्यप्रणाली पर सवाल बनकर सामने आने लगे है.
भास्कर का भ्रष्टनामा जारी ….
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