- ओडिशा से गांजा लाकर बिलासपुर और आसपास के इलाकों में की जाती थी तस्करी
- 23 अक्टूबर को गिरफ्तारी के बाद जबलपुर के गांजा तस्कर योगेश सौंधिया ने खोला था राज
BILASPUR. बिलासपुर में ट्रेनों में गांजा तस्करी के मामले में पकड़े गये जीआरपी एंटी क्राइम यूनिट के चार जवान मन्नू प्रजापति, सौरभ नागवंशी, संतोष ठाकुर और लक्ष्मण गाइन को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. चारों अभी जेल में बंद हैं. चारों आरक्षकों को डीजीपी की स्पेशल टीम ने 250 ट्रेनों में रेकी करने के बाद गिरफ्तार किया था. चारों जवान गांजा तस्करों से मिलकर अवैध कारोबार को अंजाम देते थे.
जीआरपी के चार जवानों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर तस्करी करने के मामले में कार्रवाई की गयी है. अभी इस मामले की जांच बिलासपुर एसपी का नेतृत्व में चल रही जिसमें फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन के रिकार्ड पुलिस खंगाल है. आरोपी पुलिसकर्मियों के रिश्तेदार के 45 बैंक अकाउंट की जांच में कुल 15 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला. अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें रेल पुलिस के बड़े अधिकारी भी शामिल होंगे. इसलिए जांच टीम इन जवानों के कॉल डिटेल को भी खंगाल रही है. इसके अलावा कई फर्जी अकाउंट का भी पता चला है. पकड़ा गया सिपाही लक्ष्मण गाइन करोड़पति पाया गया है. अब तक इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
गांजा तस्करी में संलिप्त जीआरपी के चारों जवान एसपी के एंटी क्राइम यूनिट में तैनात थे. यह टीम ट्रेन में मादक पदार्थ गांजा, अफीम, शराब तस्करी समेत अवैध हथियार ले जाने की जांच करती थी. इनकी ड्यूटी रायगढ़ से लेकर रायपुर और राजनांदगांव तक ट्रेनों में जांच की थी. चारों को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने की भी छूट गयी थी. आरोप है कि चारों जवान गांजा तस्करों से मिलकर खुद अवैध कारोबार करने लगे थे.
यह था मामला
23 अक्टूबर 2024 को को बिलासपुर जीआरपी में 10-10 किलोग्राम गांजा बरामदगी के दो केस दर्ज हुए थे. जबलपुर निवासी गांजा तस्कर योगेश सौंधिया (39) और उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के तस्कर रोहित द्विवेदी (32) को बिलासपुर रेलवे स्टेशन से गांजे के साथ गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ में योगेश सोंधिया ने पूछताछ में बताया कि वह पिछले एक साल से बिलासपुर में ही किराए के मकान में रह रहा है. जीआरपी थाना आरक्षक लक्ष्मण गाइन, सौरभ नागवंशी, संतोष राठौर और मन्नू प्रजापति के कहने पर ओडिशा से गांजा लाता था. चारों आरक्षकों के संरक्षण में रेलवे स्टेशन में बेचता है. बिक्री की रकम का हिस्सा आरक्षकों को देता था. फिर चारों आरक्षकों के पकड़ने के लिए टीम बनाई गई. आनन-फानन में केस को रेंज साइबर थाने में ट्रांसफर किया गया. साइबर सेल के टीआई राजेश मिश्रा ने चारों को गिरफ्तार किया था.