- ASC/RPF/ROU ने की कार्रवाई, राजधानी से राउरकेला पहुंचे सीनियर कमांडेंट ओंकार सिंह
- CIB/SIB समेत ASC के स्पेशल की टीम को भी नहीं पता चला, क्या चल रहा है बंडामुंडा में !
ROURKELA : चक्रधरपुर रेलमंडल के बंडामुंडा में आरपीएफ (RPF) कोयले का कलंक नहीं धो पा रहा है. यह वहीं कोयला है जिसके कारण 18 फरवरी 2020 को बंडामुंडा इंस्पेक्टर एमके सोना को गार्डेनरीच मुख्यालय अटैच कर दिया गया था जबकि एसआई, एएसआई, हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल समेत पांच को तत्काल से आद्रा रेलमंडल भेजा गया था. उसी समय बतौर प्रभारी आरवीपी सिंह को बंडामुंडा का चार्ज दिया गया था. रेलहंट ने तभी इस बात की आशंका जतायी थी कि अब किसकी बारी ?
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देर से ही सही इंस्पेक्टर आरवीपी सिंह (रणविजय प्रताप सिंह) की बारी आ ही गयी और उन्हें सहायक कमांडेंट राजीव उपाध्याय के आदेश पर डीआरसी चक्रधरपुर से अटैच कर दिया गया है. वहीं दूसरी ओर उनके स्पेशल जवानों में शामिल एके सिंह और राहुल यादव को सस्पेंड कर दिया गया है. प्रारंभिक सूचना यह है कि सहायक कमांडेंट ने बंडामुंडा यार्ड के पी केबिन के पास खड़ी मालगाड़ी से कोयला उतारते आरएस कॉलोनी निवासी दिनेश मुंडा को पकड़ा है. उसके पास से कोयला भी बरामद किया गया. इसके बाद यह कार्रवाई की गयी.
डांगुवापोसी में दो रेलकर्मियों को बंधक बनाकर पीटकर जख्मी कर देने और 10 लाख से अधिक का ओएचई वायर ट्रक लगाकर लूट ले जाने वाली घटना पर इतनी तेजी नहीं देखी गयी जितनी तेजी इस घटना पर दिखी. सीनियर कमांडेंट ओंकार सिंह भागे-भागे राजधानी एक्सप्रेस से राउरकेला होते हुए बंडामुंडा पहुंच गये. पूरे इलाके का निरीक्षण किया और बताया जाता है कि उन्हें यहां कोयला चोरी के जुड़े कई प्रमाण भी मिले हैं. यहां मीडिया से बातचीत में सीनियर कमांडेंट ने कहा कि अवैध गतिविधियों में लिफ्त आरपीएफ के लोग बख्से नहीं जायेंगे.
अब सवाल यह उठता है कि 2020 में इसी बंडामुंडा में कोयला चेारी के मामले में इंटरनल विजिलेंस ग्रुप (आईवीजी) की रिपोर्ट पर तत्कालीन RPF इंस्पेक्टर एमके सोना को अटैच कर दिया गया था लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया. उस घटना के दो साल बाद फिर से कोयले चोरी के मामले में ही इंस्पेक्टर आरवीपी सिंह को अटैच तो किया गया, लेकिन निलंबन की कार्रवाई नहीं की गयी न ही इसकी अनुशंसा RPF/IG से की गयी है. संभव है जल्द ही उन पर निलंबन की कार्रवाई भी कर दी जाए. हां. फिलहाल बली का बकरा दो स्पेशल जवानों को जरूर बना दिया गया जिन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या फरवरी 2020 के बाद से बंडामुंडा में कोयले की चोरी पूरी तरह बंद हो गयी थी ?
अगर, यहां चोरी पहले की तरह चल रही थी तो क्या उसका पता आरपीएफ के खुफिया तंत्र CIB/SIB के लोगों को नहीं था ? क्या CIB/SIB, सहायक कमांडेंट की स्पेशल टीम के लोग कहां थे ? क्या यहां चल रही अवैध गतिविधियों पर कोई रिपोर्ट पहले कभी सीनियर कमांडेंट और SER/RPF/IG को की गयी थी ? अगर नहीं तो फिर अचानक एक घटनाक्रम पर की गयी पूरी कार्रवाई का सच क्या है. सोमवार को महकमे में यह चर्चा जरूर रही कि जब शीर्ष नेतृत्व अपना एजेंडा सेट करने में लगा हो, तब सिस्टम निरंकुश और व्यवस्था भ्रष्ट ही होती है, क्योंकि तब नीचे देखने वाला कोई नहीं होता!
यह जगजाहिर है कि बंडामुंडा और आदित्यपुर में मालगाड़ी रैक से धड़ल्ले से काेयला स्थानीय लोगों के समूह गिराते हैं और इसका वीडियो तक कई बार वायरल हो चुका है. कभी इस पर किसी भी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखायी गयी. यह क्रम अब भी जारी है.स्टेशन प्लेटफॉर्म से लेकर ट्रेनों में अवैध हॉकरों के नेटवर्क से आरपीएफ का कनेक्शन भी जगजाहिर है. हां दिखावे की कार्रवाई जरूर कभी-कभी SER/RPF/IG अथवा कमांडेंट के स्तर पर हो जाती है लेकिन सुरक्षा बल में अटैचमेंट का खेल बड़ा निराला है. टाटानगर स्टेशन से बच्ची के अपहरण में प्रभारी संजय तिवारी का अटैचमेंट एक सप्ताह में टूट गया था, ऐसे कई वाकये है, तो क्या यह मान लिया जाये कि बंडामुंडा में भी आरवीपी सिंह की वापसी निर्धारित शर्तों पर जल्द हो जायेगी ? या इस बार उन्हें निपटा दिया जायेग, जवाब सामने आ ही जाएगा.
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