- पूर्व रेलवे ने सभी डीआरएम व वर्कशाप प्रबंधकों को जारी किया आदेश, कर्मचारियों को दी गयी चेतावनी
- बराैरी में इंजन में शव दबने की घटना का वीडियो वायरल होने से रेलवे की पूरे देश में हुई थी आलोचना
- पटरियों और परिसर में अप्रिय घटना व रेलवे की छवि को खराब करने वाला वीडियो बनाया तो एफआईआर
KOLKATA. रेलवे ने स्टेशन व वर्कशॉप के भीतर किसी तरह का फोटो लेने अथवा वीडियोग्राफी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस आशय का आदेश पूर्व रेलवे की ओर से सभी डिवीजनल प्रबंधन और वर्कशॉप प्रबंधकों को जारी किया गया है. इसमें यार्ड स्टेशनों और वर्कशॉप के अंदर तैनात ग्राउंड स्टाफ को फोटो या वीडियो लेने या उन्हें साझा करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह निर्देश बिहार के बरौनी जंक्शन पर 9 नवंबर, 2024 को इंजन और पावर कार के बफर में फंसने से रेलवे कर्मचारी की मौत के कुछ ही दिनों बाद आया है. इस घटना की तस्वीरें वायरल हो गईं, जिससे रेलवे के खिलाफ व्यापक आलोचना हुई. बाद में, एक प्रारंभिक जांच में पाया गया कि यह घटना शंटिंग ऑपरेशन के दौरान दो रेल कर्मचारियों के बीच समन्वय की कमी के कारण हुई थी.
हालांकि इस आदेश को कई रेलवे यूनियनों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन माना है और इसे कर्मचारियों के अधिकारों को दबाने के बराबर माना है. पूर्वी रेलवे के पत्र के अनुसार, ग्राउंड लेवल के कर्मचारियों, खास तौर पर यार्ड और स्टेशन लेवल पर या वर्कशॉप के अंदर के कर्मचारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि कोई भी रेलवे कर्मचारी ऐसी कोई फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी न करे, जिससे रेलवे की छवि खराब हो या उसे बदनाम किया जा रहा हो. साथ ही, ऐसे किसी भी वीडियो को प्रसारित करने पर सख्त पाबंदी है.
कई कर्मचारियों ने कहा कि सद्भावनापूर्वक वीडियो बनाना और अपने कर्मचारियों को भेजना नुकसानदेह नहीं है, क्योंकि इससे उन्हें भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने के लिए जागरूक होने में मदद मिलती है. भारतीय रेलवे सिग्नल और टेलीकॉम मेंटेनर्स यूनियन (IRSTMU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने रेलहंट से बातचीत में कहा कि “रेलवे सार्वजनिक परिवहन है, इसलिए किसी भी घटना को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति सद्भावनापूर्वक वीडियो बनाता है या तस्वीरें खींचता है, तो कोई समस्या नहीं है. कोई भी व्यक्ति सद्भावनापूर्वक या सार्वजनिक हित में किसी घटना की रिपोर्ट कर सकता है.”
भारतीय रेलवे एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन (आईआरएसटीएमयू) के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए कहा कि इस तरह के आदेश से “कर्मचारियों का मनोबल गिरता है” और उनके अधिकारों का “दमन” होता है. पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि कोई भी “अनधिकृत” या “बाहरी व्यक्ति” रेलवे पटरियों और परिसर में किसी भी अप्रिय घटना का वीडियो बनाता पाया जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जा सकती है.
इससे पहले सेल्फी और रील्स को लेकर रेलवे ने फिर लोगों को आगाह किया था . नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे ने एक ट्वीट कर नियमों की जानकारी दी थी . ट्वीट में कहा गया था, “ सावधान! रेल अधिनियम 1989 की धारा 145 और 147 के तहत रेल की पटरी या प्लेटफॉर्म के किनारे सेल्फी लेना दंडनीय अपराध है. ऐसा करने पर 1000 रुपये का जुर्माना या 6 महीने तक जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है.”
हालांकि अब नये आदेश में रेलकर्मियों को भी अपने कार्य परिसर में फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करने से रोकने की बात कही गयी है. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताकर विरोध किया जा रहा है.