- बंग्ला पियून की बहाली रोकने के आदेश पर कई जोन के ऑफिसर्स एसोसिएशन ने चेयरमैन को लिखा पत्र
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे में वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (TADK) के रूप में “बंगला चपरासी” की व्यवस्था खत्म करने का बोर्ड का फरमान आला अधिकारियों को रास नहीं आया है. रेलवे में एक के बाद एक निर्णयों को चुपचाप देखने वाला अधिकारी वर्ग अचानक से इस फरमान के बाद हरकत में आ गया है. जोनल स्तर पर अधिकारियों के फेडरेशनों ने आनन-फानन में चेयरमैन को पत्र भेजकर (TADK) का पद समाप्त करने के मामले में पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. अधिकारी संगठनों का तर्क है कि यह सुविधा न सिर्फ जरूरी है बल्कि इसे जूनियर/सीनियर स्केल पर भी लागू किया जाना चाहिए.
ऑफिसर्स एसोसिएशन के बढते दबाव के बीच बोर्ड चेयरमैन ने स्पष्ट किया है कि बंगला पियून (TADK) की बहाली जारी रहेगी अभी सिर्फ उसके भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा की जा रही है. जानकार चेयरमैन के इस मैसेज का कई अर्थ लगा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि चेयरमैन ने इस आश्वासन के साथ वर्तमान आक्रोश को कम करने का प्रयास जरूर किया है लेकिन इससे उनके एजेंडे में कोई बदलाव नहीं आया है. रेलवे बोर्ड की ओर से इससे पहले ही अधिकारियों के संगठन को यह कहा गया था कि टीएडीके की व्यवस्था खत्म नहीं होगी बल्कि इसमें पर्सनल चॉइस को खत्म किया जायेगा. मतलब साफ ह्रै कि पिछले दरवाजे से दी जाने वाली नौकरी का अधिकार अब आला अधिकारियों से छीन जाने वाला है.
रेलवे बोर्ड के इस निर्णय के पीछे के चाहे जो भी निहितार्थ हो रेलवे अधिकारियों के विभिन्न संगठनों ने यह सुविधा जूनियर/सीनियर स्केल के अधिकारियों को भी देने की मांग कर अघोषित रूप से बोर्ड पर दबाव बनाने का प्रयास किया है. साउथ वेर्स्टन रेलवे ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरिशंकर वर्मा, इस्ट सेंट्रल रेलवे ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलदेव, वेस्ट सेंट्रल रेलवे के अध्यक्ष ने चेयरमैन को कई बिंदुओं पर पत्र लिखकर इस पद को खत्म करने से होने वाली परेशानियों की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है.
ऑफिसर्स एसोसिएशन का मामना है कि यह निर्णय काफी जल्दीबाजी में उठाया गया कदम है, जिसके लिए बोर्ड ने किसी भी स्तर पर विचार-विमर्श नहीं किया. टीएडीके की सुविधा को सभी एसोसिएशनों ने रेल अधिकारियों के काम की प्रकृति के हिसाब से जरूरी बताते हुए निर्णय से कई परिवारों को सीधे तौर पर प्रभावित होने वाला कारर दिया है. रेलवे अधिकारी भी अब इस मुद्दे पर खुलकर बोलने लगे है. कई अधिकारियों की राय है कि कोरोना महामारी के समय यह निर्णय लाया जाना किसी तरह से जायज नहीं है लिहाजा अंतिम निर्णय आने से इस प्रक्रिया को रोका जाये.
अधिकारियों में 1 जुलाई से हो चुकी बहाली की रिव्यू करने को लेकर भी खासी नाराजगी है. रेलवे में पिछले दरवाजे से होने वाली बहाली को रोकने के खिलाफ आफिसर्स एसोसिएशन ने लंबे चौड़े तर्क दिये हैं. इसमें यह सुविधा जूनियर और सीनियर स्केल अधिकारियों को भी देने की बात शामिल है. अधिकारियों का दावा है कि उपलब्ध सुविधाओं और अवसर से ही बेहतर परिणाम की उम्मीद की जानी चाहिए. अधिकांश अफसरों का यह मानना है कि किसी चिह्नित एजेंसी को यह जिम्मा सौंपने के लिए उच्च स्तर पर यह पहल की गयी है. जिसका परिणाम रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण की तरह विनाशक ही होगा.
हालांकि इस मुद्दे पर रेलवे के विभिन्न ऑफिसर्स एसोसिएशनों के आक्रमण रूख को देखने के बाद चेयरमैन ने अपनी रुख में नरमी का संकेत दिया है. रेलवे सूत्रों के अनुसार चेयरमैन ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बांग्ला पीयून की बहाली जारी रखने की बात कही है. उन्होंने बदले सुर में कहा है कि सिर्फ भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा की जा रही है जिस पर अंतिम निर्णय शीघ्र ले लिया जायेगा.