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रेलवे की नयी तकनीक से चलती ट्रेनों की माॅनिटरिंग हुई आसान, गड़बड़ी मिलते ही बजेगा अलार्म

रेलवे की नयी तकनीक से चलती ट्रेनों की माॅनिटरिंग हुई आसान, गड़बड़ी मिलते ही बजेगा अलार्म
  • न्यू जलपाईगुड़ी में लगाया गया ऑटोमेटिक ट्रेन एक्जामिनेशन सिस्टम 

Guwahati. पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) ने न्यू जलपाईगुड़ी में अपने रोलिंग इन और रोलिंग आउट एक्जामिनेशन प्वाइंट पर पहली बार एक प्रोटोटाइप ऑटोमेटिक ट्रेन एक्जामिनेशन सिस्टम (एटीईएस) स्थापित की है. एटीईएस एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक है, जिसमें रोलिंग स्टॉक की छवियों और वीडियो जैसे विजुअल डेटा को कैप्चरिंग, प्रसंस्करण और विश्लेषण करना शामिल है.

पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने गुरुवार काे बताया है कि एटीईएस यूनिट 4 कैमरों और 4 सेंसरों से लैस है, जो रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ लगाए गए हैं. जैसे ही ट्रेन पटरियों के इस हिस्से से गुजरती है, सभी कैमरे और सेंसर सक्रिय हो जाते हैं और वे ट्रेन के प्रत्येक गतिविधियों पर निगरानी रखते हैं. इस प्रकार, सेंसर द्वारा ट्रेन के एक्सल बॉक्स बियरिंग के साथ-साथ पहिये का तापमान दर्ज किया जाता है. फिर, जैसे ही तापमान अपनी अधिकतम सीमा से अधिक हो जाता है, सिस्टम से अलर्ट संदेश उत्पन्न होते हैं. किसी भी त्रुटि का शीघ्र पता लगाने से समय पर रखरखाव एवं मरम्मत, ट्रेन संरक्षा में सुधार और किसी भी अप्रिय घटनाओं के जोखिम को कम करने की अनुमति मिलती है.

एटीईएस वैगनों की कोच संख्या की पहचान भी कर सकता है, जिसका उपयोग ट्रेन समय-सारणी के प्रबंधन और सुधार के लिए किया जा सकता है. कोच संख्या पहचान को एक्सल नंबर की जानकारी के साथ समन्वयित किया जा सकता है, जो अधिक विस्तृत डेटा प्रदान करता है. एटीईएस स्वचालित रूप से ट्रेन के दरवाजों का निरीक्षण कर यह पता लगा सकता है कि वे खुले या बंद हैं या फिर उसे कोई क्षति तो नहीं पहुंची है. वास्तविक समय के आधार पर दरवाजों की स्थिति की निगरानी कर सिस्टम ट्रेन ऑपरेटरों एवं अनुरक्षण कर्मियों को संभावित संरक्षा खतरों और अनुरक्षण की आवश्यकता के बारे में सचेत एवं संरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और सेवा व्यवधान को रोक सकता है. वर्तमान में एटीईएस पर्यवेक्षण चरण में है और इसकी कार्य प्रणाली में निरंतर सुधार किया जाएगा.

यह रोलिंग स्टॉक हेल्थ मॉनिटर उच्च विश्वसनीयता और लागत दक्षता के साथ ट्रेन परिचालन के संरक्षा में सुधार करने में लाभकारी होगा. एक बार पूर्ण रूप से चालू हो जाने पर, यह प्रणाली ट्रेन के संभावित खतरों को काफी हद तक कम कर देगी.

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