- सूचना मंत्री ने एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह के सामाजिक परिणाम को चिंता का विषय बताया, डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जोखिम कम करना चाहिए
- केंद्रीय मंत्री ने एआई की नैतिक और आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला, रचनाकारों के बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा का आह्वान किया
NEW DELHI
भारतीय प्रेस परिषद ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह आयोजित किया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सचिव श्रीमती न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और वरिष्ठ पत्रकार कुंदन रमनलाल व्यास उपस्थित रहे.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह में मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में वर्चुअल माध्यम से उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भारत के जीवंत और विविधतापूर्ण मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रकाश डाला, जिसमें 35,000 पंजीकृत समाचार पत्र, कई समाचार चैनल और एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा शामिल है. मंत्री ने कहा कि 4जी और 5जी नेटवर्क में निवेश ने भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे कम डेटा कीमतों के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी के मामले में सबसे आगे पहुंचा दिया है.
हालांकि, उन्होंने मीडिया और प्रेस के बदलते परिदृश्य के कारण हमारे समाज के सामने आने वाली चार प्रमुख चुनौतियों की ओर इशारा किया:
1. फर्जी खबरें और गलत सूचना
फर्जी खबरों के फैलने से मीडिया पर भरोसा कम होता है और लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होता है. अपने संबोधन के दौरान, अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास और इन प्लेटफार्मों पर प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी पर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया. 1990 के दशक में विकसित सेफ हार्बर की अवधारणा , जब डिजिटल मीडिया की उपलब्धता विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में चुनिंदा उपयोगकर्ताओं तक सीमित थी, ने प्लेटफार्मों को उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए जवाबदेह ठहराए जाने से प्रतिरक्षा प्रदान की.
उन्होंने उल्लेख किया कि वैश्विक स्तर पर इस बात पर बहस तेज हो रही है कि क्या सेफ हार्बर प्रावधान अभी भी उचित हैं, गलत सूचना, दंगों और यहां तक कि आतंकवादी कृत्यों के प्रसार को सक्षम करने में उनकी भूमिका को देखते हुए. उन्होंने कहा, “क्या भारत जैसे जटिल संदर्भ में काम करने वाले प्लेटफॉर्म को अलग तरह की ज़िम्मेदारियाँ नहीं अपनानी चाहिए? ये ज़रूरी सवाल एक नए ढाँचे की ज़रूरत को रेखांकित करते हैं जो जवाबदेही सुनिश्चित करता है और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने की सुरक्षा करता है.”
2. कंटेंट क्रिएटर्स के लिए उचित मुआवज़ा
पारंपरिक मीडिया से डिजिटल मीडिया में बदलाव ने पारंपरिक मीडिया को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है, जो पत्रकारिता की अखंडता और संपादकीय प्रक्रियाओं में भारी निवेश करता है. श्री वैष्णव ने पारंपरिक सामग्री निर्माताओं के लिए उचित मुआवजे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, डिजिटल प्लेटफॉर्म और पारंपरिक मीडिया के बीच सौदेबाजी की शक्ति में विषमता को संबोधित किया. उन्होंने कहा, “सामग्री बनाने में पारंपरिक मीडिया द्वारा किए गए प्रयासों को उचित और उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.”
3. एल्गोरिथम पूर्वाग्रह
डिजिटल प्लेटफॉर्म को चलाने वाले एल्गोरिदम ऐसी सामग्री को प्राथमिकता देते हैं जो जुड़ाव को अधिकतम करती है, मजबूत प्रतिक्रियाएं पैदा करती है और इस तरह प्लेटफॉर्म के लिए राजस्व को परिभाषित करती है. ये अक्सर सनसनीखेज या विभाजनकारी कथाओं को बढ़ावा देते हैं. श्री वैष्णव ने इस तरह के पूर्वाग्रहों के सामाजिक परिणामों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र में, और प्लेटफार्मों से ऐसे समाधान निकालने का आह्वान किया जो उनके सिस्टम के हमारे समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हों.
4. बौद्धिक संपदा अधिकारों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव
एआई का उदय उन रचनाकारों के लिए नैतिक और आर्थिक चुनौतियां पेश करता है जिनके काम का उपयोग एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है. केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रगति के कारण रचनात्मक दुनिया के सामने आने वाली महत्वपूर्ण उथल-पुथल पर प्रकाश डाला . एआई प्रणालियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करते हुए, उन्होंने मूल रचनाकारों के बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया. “एआई मॉडल आज उन विशाल डेटासेट के आधार पर रचनात्मक सामग्री उत्पन्न कर सकते हैं जिन पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है. लेकिन उस डेटा में योगदान देने वाले मूल रचनाकारों के अधिकारों और मान्यता का क्या होता है? क्या उन्हें उनके काम के लिए मुआवजा या मान्यता दी जा रही है?” मंत्री ने सवाल किया. उन्होंने कहा, “यह केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह एक नैतिक मुद्दा भी है”.
श्री वैष्णव ने हितधारकों से राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर इन चुनौतियों से निपटने के लिए खुली बहस और सहयोगात्मक प्रयासों में शामिल होने का आग्रह किया. उन्होंने लोकतंत्र के एक मजबूत स्तंभ के रूप में मीडिया की भूमिका को बनाए रखने और 2047 तक एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध विकसित भारत के निर्माण के महत्व पर जोर दिया.
डिजिटल युग में आगे बढ़ना: फर्जी खबरों से निपटना और नैतिक पत्रकारिता को कायम रखना
पारंपरिक प्रिंट से लेकर सैटेलाइट चैनलों और अब डिजिटल युग तक पत्रकारिता के विकास पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मुरुगन ने आज लोगों तक समाचार पहुँचने की गति का उल्लेख किया. हालाँकि, उन्होंने फ़र्जी खबरों की बढ़ती चुनौती पर ज़ोर दिया , जिसे उन्होंने “वायरस से भी तेज़” फैलने वाला बताया. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि फ़र्जी खबरें राष्ट्रीय अखंडता के लिए ख़तरा हैं, सेना को कमज़ोर करती हैं और भारतीय संप्रभुता को चुनौती देती हैं.
हर व्यक्ति को संभावित कंटेंट क्रिएटर में बदलने में स्मार्टफोन की भूमिका को स्वीकार करते हुए, डॉ. मुरुगन ने गलत सूचना से निपटने में अधिक जिम्मेदारी और विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया . उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि संविधान द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, लेकिन इसका प्रयोग सटीकता और नैतिक जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए.
डॉ. मुरुगन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिसमें समाचारों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने और झूठे आख्यानों का मुकाबला करने के लिए प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के भीतर एक तथ्य जांच इकाई की स्थापना भी शामिल है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री संजय जाजू ने पत्रकारों को समर्थन देने के उद्देश्य से सरकार की पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें मान्यता , स्वास्थ्य और कल्याण योजनाएं , तथा भारतीय जनसंचार संस्थान (..MC) जैसे संस्थानों के माध्यम से क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल हैं. उन्होंने प्रेस और पत्रिकाओं के पंजीकरण अधिनियम, 2023 जैसे सुधारों का भी उल्लेख किया , जो मीडिया विनियमों को आधुनिक बनाता है. नियमित प्रेस ब्रीफिंग, वेब स्क्रीनिंग, कॉन्फ्रेंस आदि के माध्यम से सूचना तक पहुँच में सुधार के प्रयासों पर भी जोर दिया गया. उन्होंने निष्पक्ष, पारदर्शी और टिकाऊ प्रेस इकोसिस्टम बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों का भी आह्वान किया , जो पत्रकारिता को सच्चाई के प्रतीक , विविध आवाज़ों के लिए एक मंच और समाज में सकारात्मक बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में स्थापित करता है.
पत्रकारिता की अखंडता बनाए रखने में पीसीआई की भूमिका
अपने संबोधन के दौरान, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की व्यापक उपलब्धता और आध्यात्मिक मीडिया, ब्लॉग और पॉडकास्ट के लगातार उपयोग ने समाचार और सूचना तक पहुँच को काफ़ी हद तक बढ़ा दिया है. इसने न केवल जीवन को आसान बनाया है, बल्कि अपने साथ चुनौतियाँ भी लाई हैं और इसी संबंध में सटीक समाचार समय पर हम तक पहुँचना चाहिए.
उन्होंने बताया कि भारतीय प्रेस परिषद ने पत्रकारिता की अखंडता को बनाए रखने, जनहित की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कदम उठाए हैं कि मीडिया सूचना के लिए एक विश्वसनीय और नैतिक मंच के रूप में कार्य करे. उन्होंने पीसीआई द्वारा चलाए जा रहे पुरस्कारों और इंटर्नशिप कार्यक्रमों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, “इस साल, 15 पत्रकारों को विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार मिले और पीसीआई की पहल का उद्देश्य पत्रकारिता में प्रतिभा, नैतिक विकास को बढ़ावा देना है, लेकिन साथ ही महत्वाकांक्षी पत्रकारों के बीच जिम्मेदारी और जागरूकता की भावना को भी बढ़ावा देना है.”
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