- ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल ने आसनसोल स्टेशन पर किया प्रदर्शन
रेलहंट ब्यूरो, आसनसोल
आसनसोल रेलमंडल के गुडर्स गार्ड इंद्रजीत महतो (32) की तबीयत बिगड़ने से मंगलवार को ऑन डयूटी झाझा स्टेशन पर मौत हो गयी. उन्हें अचानक हार्ट अटैक आया और इलाज मिलने से पहले ही उनकी जान चली गयी. ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल ने आसनसोल स्टेशन पर प्रदर्शन कर इंद्रजीत महतो की मौत के लिए रेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. काउंसिल ने गार्ड के मानसिक शोषण करने का आरोप अफसरों पर लगाया है. उनसे निर्धारित अवधि से अधिक ड्यूटी लेने का आरेाप है. वह लगातार 11 घंटे से ड्यूटी में थे. इस मामले में अब तक अधिकारिक रूप से रेल प्रशासन ने कोई टिप्पणी नहीं की है.
काउंसिल के बैनर तले किये गये प्रदर्शन में सहयोगियों ने आरोप लगाया कि बीते तीन-चार दिन से इंद्रजीत महतो को मासनिक तौर पर लगातार परेशान किया जा रहा था. आज ड्यूटी में तबीयत बिगड़ने की जानकारी उन्होंने वरीय रेल अधिकारियों को दे कर रिलीफ मांगा था जो उन्हें नहीं दिया गया. उन्होंने रजिस्टर में इसका उल्लेख भी किया गया है. इस दौरान तबीयत अधिक खराब होने वह झाझा स्टेशन अधीक्षक के पास पहुंचे और तब तक उन्हें इलाज मिल पाता हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गयी.
आसनसोल स्टेशन पर प्रदर्शन के दौरान सहयोगियों ने मालगाड़ी गार्ड के लगातार दुरुपयोग करने और तय समय सीमा से अधिक ड्यूटी लेने का आरोप भी लगाया. काउंसिल ने आरोप लगाया कि गार्ड को अपने डिवीजन में डयूटी करने बाद दूसरे डिवीजन में भी भेजा जाता है. सहयोगियों का कहना था कि इंद्रजीत महतो को कोई बीमारी नहीं थी, वह एकदम स्वस्थ इंसान थे. उन्हें लगातार तीन चार दिनसे लगातार परेशान किया जा रहा था. जो उनकी मौत का कारण बना. इंद्रजीत महतो के बारे में बताया जा रहा है कि उनकी ड्यूटी 11 घंटे हो गयी थी ऒर उनको रिलीफ नहीं मिल रहा था. कुछ लोग ये भी लिख रहे हैं की दस घंटे के बाद उनको गाड़ी रोककर उतर जाना चाहिए था.
झाझा से आसनसोल इंद्रजीत महतो का शव लगाया तब पूरा स्टेशन परिसर इंद्रजीत महतो अमर रहे के नारों से गूंज उठा. इस दौरान सहयोगियों ने अशोक तिवारी मुर्दाबाद के नारे भी लगाये. उनका शव गार्ड लॉबी में रखकर सहयोगियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की.
फेसबुक पर सहयोगियों ने दर्ज की टिप्पणी
Sukumar Mukherjee is feeling sad at Asansol Junction railway station.
आज एक अत्यंत दुखद घटना में हमारे एक गार्ड भाई का ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गया। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके आत्मा को शांति तथा परिवार को धैर्य प्रदान करं। मित्रों, सहानुभूति के शब्द ऐसी स्थितियों में बॊने हो जाते हैं। हमारे कुछ मित्र अपने सहानुभूति प्रकट करने के क्रम में ये लिख रहे हैं कि उनकी ड्यूटी 11 घंटे हो गयी थी ऒर उनको रिलीफ नहीं मिल रही थी। कुछ लोग ये भी लिख रहे हैं की दस घंटे के बाद उनको गाड़ी रोककर उतर जाना चाहिए था। मित्रों, जीवन से बढकर ड्यूटी नहीं होती है। आप जिंदा रहेंगे तभी आपके लिए सारी कायनात है। यदि आपको अपने ड्यूटी के दॊरान किसी भी समय असहजता महसूस हो तो इस बात की परवाह किये बगैर कि आपकी ड्यूटी कितने घंटे हुई है अथवा आपको सजा हो सकती है, ये सोचे बगैर गाड़ी को रोकें तथा सर्वप्रथम स्वयं को किसी चिकित्सक से दिखाएं। होनी को कोई नहीं रोक सकता है लेकिन थोड़ी प्रयास से अनहोनी को बचाया जा सकता है।
Sanjit Kumar My good friends___pl don’t mistake me
Some of us are commenting that he should’ve applied brake or tried this way or that way but just imagine situations , points , geography, uncertainty and circumstances what he might have gone through____it is always easier said than done___i can’t say it as an expert to analyze this tragedy but one thing we must adhere to maintain so called unity really functional and honest that in festive seasons often our own colleagues try to compete for leave or some sort of preferred treatments are shown to some of our own which creates unfair atmosphere____this culture of ALL ANIMALS ARE EQUAL BUT SOME ARE MORE EQUAL from George Orwell shouldn’t be let prevail 🙏
Sanjit Kumar is at Kankarbagh.
The departed I Mahto___An unnoticed martyr
A death in line of duty if happens on Siachen or along LOC couldn’t be said fiercer than this one, who having left his family, home and HQ dedicated to run for Railways died so young in harness___it is heartbreaking to learn that he had allegedly requested for relief ASN/CNLafter long strenuous eleven hours before succumbing to as usual apathy and organizational indifference.
Since,we are accustomed to bear all these in logic of easy excuses,in guises of draconian HOER , words of smart book of GRs and messy clauses____and most to rhetorics of digital new India and TEJAS syndrome____which look commanding humans for turning instant cyborgs at order and whims of bosses who know to whip the workforces by hours only.
His death shows how initiatives and innovations like YOGA ,UMID, KIOSK and other smart introductions are working really pragmatic and going to prove anything better other than hyperbolic_____also signifies how much efficiency of multiplicity of Unions really stand to address such issues which are sure to question their existential crises as well,
,By the time____my thoughts and prayers___RIP😢😢
गार्ड संजय मीणा मांचडी
जागो गार्ड भाईयों जागो दिखा दो अपनी ताकत
हमारे बीच से एक गार्ड भाई को खो चुके है।
भाई को शत् शत् नमन 😢😢😢😢
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏