- ताबड़तोड़ जांच व छापेमारी से भ्रष्ट अधिकारियों की नजरों में खटकने लगे विनीत कुमार, तबादले का इंतजार
- टाटा में भी 28 मई को खत्म हो रहा वेंडिंग का लाइसेंस, रिनुअल पर टिकी है निगाहें
ROURKELA. यह आश्चर्य नहीं बिलकुल सत्य है कि राउरकेला स्टेशन पर अवैध वेंडिंग पूरी तरह बंद हो गयी है. बीते 10 दिन से यहां स्टेशन पर अवैध वेंडरों की धमाचौकड़ी नहीं दिख रही. यह कमाल आरपीएफ के किसी अधिकारी का नहीं बल्कि एक आईआरटीएस अधिकारी (IRTS OFFICER) विनीत कुमार ने कर दिखाया है जिसकी ताबड़तोड़ कार्रवाई से अवैध धंधेबाज बेदम हैं. ACM विनीत कुमार ने बीते दो सप्ताह में स्टॉल पर अनाधिकृत सामान की बिक्री करने वालों से लेकर ट्रेन में चोरी-छुपे रेलनीर की जगह स्थानीय ब्रांड का पानी बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर अमानक पानी जब्त कर उसकी आपूर्ति को रोकने का प्रयास किया है. उनके द्वारा अवैध गतिविधियों की लगातार मॉनिटरिंग भी करायी जा रही है.
आलम यह है कि चक्रधरपुर रेलमंडल में चल रही ताबड़तोड़ जांच व छापेमारी से अवैध धंधेबाज ही नहीं इन्हें संरक्षण देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की नजरों में विनीत कुमार खटकने लगे है और अब उनके तबादले का इंतजार किया जा रहा है. राउरकेला में अवैध वेंडिंग रोकना किसी उपलब्धि से कम नहीं क्योंकि इसे रोककर उन्होंने आरपीएफ के स्टेशन इंस्पेक्टर से लेकर सीआईबी-एसआईबी इंस्पेक्टर व उनकी टीमों की गतिविधियों को एक तरह से बेनकाब कर दिया है, जिनके वेतन भत्तों पर लाखों रुपये सरकार खर्च करती है लेकिन उपलब्धि के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है. दिलचस्प है कि आरपीएफ सीआईबी का तीन साल से अधिक समय से एक सब इंस्पेक्टर व एक जवान स्थायी रूप से राउरकेला बैरक में रहकर अवैध धंधेबाजों के संरक्षक बने हुए है जिनकी पोस्टिंग, भत्ता व ड्यूटी की जांच हो तो बड़ा गोलमाल सामने आयेगा.
दरअसल, किसी भी स्टेशन और ट्रेन में अवैध वेंडरों के साथ आरपीएफ का गठबंधन जगजाहिर है. आरपीएफ यही चाहती है कि अवैध वेंडर ट्रेनों में चलते रहे. ट्रेनों में आरपीएफ और अवैध वेंडरों की मिली-जुली सरकार देखने को मिलती है. मिली-जुली इसलिए कि कार्रवाई के नाम पर दिखाने के लिए आरपीएफ वेंडरों को पकड़ती है लेकिन अवैध वेंडिंग जारी भी रहती है.यदि कोई शिकायत आये तो आरपीएफ जवाब देती है हम लगातार कार्रवाई करते है… लेकिन ये नहीं बताते कि महीने में 1-2 बार वेंडर पर कागजों में कार्रवाई होती है, जुर्माना वसूला जाता है और वो बाकी दिन रोज अवैध वेंडिंग करते है. अब इस मिली-जुली सरकार के लिए क्या फंडा आरपीएफ अपनाती है ये तो उनके अधिकारी ही बता सकते हैं.
खैर, इस बार रेलवे बोर्ड ने भी यह मान लिया है कि आरपीएफ का अवैध वेंडरों से चोली-दामन का रिश्ता है लिहाजा बीते एक माह से चलाये जा रहे अवैध वेंडरों के खिलाफ अभियान की महती जिम्मेदारी कॉमर्शियल को दी गयी है. चक्रधरपुर में डीआरएम एजे राठौड़ के कड़े निर्देश के बाद अफसरों की जिम्मेदारी तय की गयी. इसका असर दिखा कि धीरे-धीरे स्टेशनों से अवैध वेंडर गायब हो गये. राउरकेला को इसकी नजीर आईआरटीएस अधिकारी विनीत कुमार ने बना दिया है. हालांकि अब भी राउरकेला से झाड़सुगुड़ा व चक्रधरपुर-टाटा की ओर ट्रेनों में अवैध वेंडरों की गतिविधि दबे-छुपे जारी है. टाटानगर में भी केएमए का लाईसेंस 28 मई तक का ही है, जिसकी आड़ में यहां दर्जनों की संख्या में अवैध वेंडर चलाये जाते हैं.
उधर, राउरकेला में आरपीएफ पोस्ट कमांडर के रूप में कमलेश समाद्दार की पोस्टिंग के बाद फिर से अवैध वेंडरों के सरपरस्तों की गतिविधियां उनके आवास के आसपास नजर आने लगी है. कॉमर्शियल की सक्रियता कम होते ही अवैध वेंडिंग को फिर से शुरू कराने का ताना-बाना बुना जाने लगा है. बताया जा रहा कि सीआईबी के सब इंस्पेक्टर ने वेंडरों के सरगना की गोपनीय मुलाकात नए प्रभारी से करा दी है और जल्द ही फिर से वेंडिंग शुरू करने का आश्वसान भी मिल गया है. चर्चा है कि अवैध वेंडिंग बंद होने का बड़ा असर आरपीएफ के लोगों पर ही पड़ा है. वही आरपीएफ और वेंडरों के बीच सांठगांठ की जांच की दिशा को भी बदलने का प्रयास किये जाने की बात सामने आयी है. बताया जाता है कि मामले को उठाने वाले संगठन की ओर से जांच रिपोर्ट आरपीएफ डीजी और रेलवे बोर्ड से मांगी गयी है ताकि जांच के निष्कर्ष का सच जाना जा सके.