- केसरी-बराड़ा सेक्शन में इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही का कौन होगा जिम्मेदार
- सोशल मीडिया में आयी वीडियो और सूचनाओं से हुआ खुलासा, रेल प्रशासन मौन
अंबाला. उत्तर रेलवे के अंबाला मंडल में 11 सितंबर शुक्रवार को एक बड़ा हादसा ट्रेन चालकों की सक्रियता से टल गया. पार्सल स्पेशल 00466 के चालक राकेश सिंह ने किलोमीटर संख्या 245/18 पर ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोक लिया वरना ट्रेन का डिरेल्ड होना तय था क्योंकि आगे पटरी खुली हुई थी और सभी प्लेट इधर-उधर बिखरे थे.
केसरी और बराड़ा सेक्शन में रेलवे इजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से यह हुआ क्योंकि इस कार्य के लिए कोई ब्लाक नहीं लिया गया था और इसी कारण सेक्शन पर ट्रेन चालक को भी कोई कॉसन आर्डन जारी नहीं था. पता चला कि यह कंट्रेक्टर के लेबर पटरी खोलकर काम कर रहे थे. उस समय लगभग 25 स्लीपर का क्लीप खुले हुए थे जो बड़ी दुर्घटना के लिए पर्याप्त थे. यह संयोग रहा कि इमरजेंसी ब्रेक लगाने के कारण ट्रेन मौके से 10 मीटर पहले रुक गयी.
दिलचस्प है कि पटरी को खोलने और कार्य करने के लिए इंजीनियरिंग विभाग की ओर से कोई चेतावनी चिन्ह नहीं लगाया गया था. घटना के बाद लोको पायलट ने तत्काल इसकी सूचना मैसेज पर कंट्रोल को दी. घटना की सूचना तब लीक हुई जब वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे. रेलवे में लापरवाही की यह स्थिति तब है जब अधिकांश ट्रेनें बंद है और चंद ट्रेने चल रही है. जाहिर से बात है कि ऐसी स्थिति में ब्लाक लेने में भी कोई परेशानी नहीं है.
इससे पहले खतौली हादसे के समय ब्लॉक लिए बिना काम कराने को लेकर कड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर रेलवे के जीएम और दिल्ली डीआरएम को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था. बाद में जीएम का तबादला कर दिया गया. ऐसे में घटना के 24 घंटे बाद भी किसी रेल अधिकारी पर कार्रवाई नहीं किया जाना उच्च स्तर तक गंभीर लापरवाही का संकेत है. मालूम हो कि वर्तमान में उत्तर रेलवे के जीएम राजीव चौधरी दोहरे प्रभार में हैं.