- रेलवे मेंस कांग्रेस ने लगाये गंभीर आरोप, कहा – 2015 के बाद डिविडेंट नहीं दिया गया, तो कहां गया पैसा
- सेस्पेंश अकाउंट के करोड़ों के अनक्लेम एकाउंट का हिसाब नहीं, आपसे में हुआ बंदरबांट : शशि मिश्रा
KOLKATTA. रेलवे अर्बन बैंक चुनाव पर कोलकाता की अलीपुर कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट में चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए खड़गपुर वर्क्स शॉप के शेयर होल्डरों ने याचिका दायर की थी. यह चुनाव अभिभाजित दक्षिण पूर्व रेलवे के तीनों जोनों को मिलाकर होता है. इसके लगभग 1.60 लाख शेयर होल्डर हैं. यह एशिया की सबसे बड़ी सहकारी समिति का चुनाव माना जाता है. इसमें दक्षिण पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और पूर्व तटीय रेलवे शामिल है. यह चुनाव 24 व 25 जुलाई को प्रस्तावित था. हालांकि चुनाव पर रोक को लेकर अब तक कोई अंतिम आदेश सामने नहीं आया है. रेलवे के स्तर पर भी अब तक रोक को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
बीते साल 10 अक्टूबर 2023 को कोलकाता हाईकोर्ट ने छह माह में रेलवे अर्बन बैंक का चुनाव कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के सहायक रजिस्ट्रार को निर्वाचन पदाधिकारी बनाकर उनकी निगरानी में चुनाव कराने काे कहा था. हालांकि निर्धारित समय में चुनाव नहीं कराये गये. बाद में रेलवे मेंस कांग्रेस व दूसरी यूनियनों ने यह आरोप लगाया कि चुनाव अधिसूचना जारी की गयी और इसकी सूचना हाईकोर्ट को भी नहीं दी गयी थी.
दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस के महासचिव शशि रंजन मिश्रा ने आरोप लगाया है कि लाखों की अनियमितता को दबाने के लिए कोर्ट के निर्देशों के दरकिनार कर यह चुनाव कराया जा रहा था. इसे लेकर उन्होंने कई बार रेल प्रशान के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी लेकिन जोन का कार्मिक विभाग कान बंद किये मौन रहा. इसका नजीता रहा कि रेलवे मेंस यूनियन समर्थित सेवानिवृत्त डायरेक्टरों के निर्देश पर आनन-फानन में चनुाव की अधिसूचना जारी कर दी गयी. इसके बाद मनमाने तरीके से चुनाव कराया जा रहा था.
बैंक में हुआ है 300 करोड़ का घोटाला, अपने लोगों को दी गयी नौकरियां
शशि मिश्रा के अनुसार विशाखापतन से सामने आयी सूचनाओं को सही माने तो बैंक में 300 करोड़ का घोटाला हुआ है जिसकी जांच सरकारी एजेंसियां कर रही है. यहां निदेशक मंडली के भीतर ही आपस में ही विवाद है. इन लोगों की मंशा थी कि आनन-फानन में चुनाव कराकर अपना पाप नयी कमेटी को सौंपकर मुक्ति ले ली जाये लेकिन कोर्ट ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
रेलवे मेंस कांग्रेस नेता ने मीडिया को बताया कि इतने बड़े बैंक के चुनाव की प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है. वोटर लिस्ट तक का प्रकाशन नहीं किया गया. पूरी चुनाव प्रक्रिया वाटसएप से संचालित हो रही थी. हाईकोर्ट के गाइडलाइन का भी निदेशक मंडल ने उल्लंघन किया. कोर्ट ने पॉलिसी से जुड़ा निर्णय नहीं लेने को कहा था लेकिन सेवानिवृत्त लोग बैंक की पॉलिसी बनाते रहे. चीफ मैनेजर का कार्यकाल बढ़ा दिया गया. बिना नोटिफिकेशन के नये कर्मचारियों को ज्वाइन कराया गया. इनमें अधिकांश रेलवे मेंस यूनियन नेताओं के आश्रित हैं. इसकी सघन जांच होनी चाहिए.
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