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रेलकर्मियों में गुस्सा, सरकार ले सबक : शिवगोपाल मिश्रा

रेलकर्मियों में गुस्सा, सरकार ले सबक : शिवगोपाल मिश्रा
  • केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों के साथ ही सभी केंद्रीय कर्मचारियों को ठगा
  • संसद पर प्रदर्शन में सभी जोनों/उत्पादन इकाईयों के रेलकर्मी हुए शामिल
  • एनपीएस खत्म करने सहित सभी न्यायोचित मांगों का शीघ्र निराकरण करने की मांग

नई दिल्ली. ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के आह्वान पर मंगलवार, 13 मार्च को बड़ी संख्या में रेल कर्मचारियों ने नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने, न्यूनतम वेतन एवं फिटमेंट फार्मूला में सुधार करने, रेलवे में ठेकेदारी प्रथा एवं निजीकरण पर रोक लगाने इत्यादि मुद्दों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में एआईआरएफ से संबंधित सभी जोनों एवं उत्पादन इकाईयों से आए रेल कर्मचारी शामिल थे. बाद में महामंत्री कॉम. शिवगोपाल मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने रेल भवन में तमाम मांगों से संबंधित एक विस्तृत ज्ञापन रेलमंत्री पीयूष गोयल को सौंपा.

संसद मार्ग पर निकाली गई इस विशाल रैली को संबोधित करते हुए एआईआरएफ के महामंत्री कॉम. शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से समस्त केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों में भारी नाराजगी है और इसी नाराजगी के चलते 11 जुलाई 2016 को एनसी-जेसीएम के आहवान पर सभी केंद्रीय कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था. परंतु चार वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों, जिसमें गृहमंत्री, वित्त मंत्री, रेलमंत्री एवं रेल राज्यमंत्री शामिल थे, के 30 जून 2016 को दिए गए स्पष्ट आश्वासन के बाद कि वे निश्चित तौर पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों की समस्याओं का निदान करेंगे, हड़ताल को टाल दिया गया था. यह विडम्बना ही है कि 18 महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी अभी तक केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों के साथ-साथ केंद्रीय कर्मचारियों की किसी भी उचित मांग का निराकरण नहीं किया है.
कॉम. मिश्रा ने कहा कि यही नहीं, विगत बजट में वेतनभोगी कर्मचारियों पर इनकम टैक्स की छूट न देते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन के नाम पर उनके वेतन में कटौतियां बढ़ा दी गई हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद बाजार भाव बेतहाशा बढ़े हैं और महंगाई ने वेतनभोगी कर्मचारियों की कमर तोड़ दी है. भारतीय रेलों पर निजीकरण एवं ठेकेदारी के चलते जहां एक तरफ रेलवे की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं 6 लाख से ज्यादा ठेका श्रमिकों का जबरदस्त शोषण हो किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारी जो रात-दिन, 24 घंटे प्रत्येक मौसम में मेहनत करके भारतीय रेल के विकास के पहिए को अपनी शहादत देकर भी लगातार चला रहे हैं, उनकी वर्किंग एवं लिविंग कंडीशन में एआईआरएफ के लगातार प्रयास के बाद भी उचित सुधार नहीं हो पा रहा है. भारत सरकार, रेल मंत्रालय के पास आश्वासन के अलावा इन मांगो के समाधान की दिशा में न तो कोई ठोस कदम उठाया जा रहा हैं, और न ही अब तक कोई नीति बनाई गई है. इससे मजबूर होकर देश के कोने-कोने से रेलकर्मियों को बड़ा जन-सैलाब आज संसद पर अपना रोष व्यक्त करने आया है.

कॉम मिश्रा ने कहा कि नई पेंशन नीति के रिव्यू कि लिए बनाई गई समिति ने लगभग नौ महीने पहले भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, परंतु उसमें क्या है, उसे गोपनीय रखकर केंद्र सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को रेलकर्मियों के गुस्से से सबक लेना चाहिए और उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने का प्रयास करना चाहिए, अन्यथा मजबूर होकर उन्हें इस संघर्ष को और आगे बढ़ाना पड़ेगा और इसकी सारी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी.

इस रैली की अध्यक्षता एआईआरएफ के अध्यक्ष कॉम. रखाल दासगुप्ता ने किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार एवं रेल मंत्रालय को हमने वर्ष 1974 से अब तक रेलों को बहुत शांति के साथ प्रगति पथ पर चलाने का अवसर प्रदान किया है. हम नहीं चाहते कि रेलों के संचालन में कोई बाधा आए, क्योंकि हमें देश की अर्थव्यवस्था की चिंता है. ऐसे में सरकार को भी हमारे सब्र का इम्तिहान नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार संसद मार्ग पर आए इस भारी जन-सैलाब की आवाज को तरजीह देगी और शीघ्र ही नई पेंशन योजना, न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फार्मूला, निजीकरण पर रोक आदि समस्याओं का तत्काल समाधान करेगी, अन्यथा हमें आने वाले समय में एक मजबूत संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए.

रैली को एआईआरएफ के कोषाध्यक्ष जे. आर. भोसले और अन्य शीर्ष नेताओं के अलावा एनयूएसआई के महामंत्री अब्दूल गनी ने भी संबोधित किया.
साभार : रेलवे समाचार

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