- रेलवे बोर्ड चेयरमैन को भेजे प्रस्ताव में शिवगोपाल मिश्रा ने ट्रेन शुरू होने के बाद उत्पन्न स्थिति के लिए चेताया
- कहा : लाकडाउन खुलेगा, तब हमें और मुश्किलों का सामना करना होगा, उस समय स्थिति को संभालना मुश्किल होगा
- मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, पंजाब, राजस्थान जैसे बड़े शहरों में मजदूर की संख्या के चलायी जा सकती है स्पेशल ट्रेनें
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे मजदूर, छात्र, प्रोफेशनल्स को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने का प्रस्ताव ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन विनोद कुमार को दिया है. अपने प्रस्ताव में शिवगोपाल मिश्रा ने महामारी से बचाव के लिए लॉकडाउन को जरूरी बताते हुए दोहराया है कि देश भर में फंसे लोगों को सरकार के स्तर पर राहत पहुंचाने का प्रयास जरूर किया जा रहा है लेकिन कई जगह यह नाकाफी साबित हो रहा जिसका उदाहरण है कि लोग घरों और ठिकानों से निकलकर बाहर आकर घर पहुंचाने की मांग करने लगे हैं. महामंत्री ने रेलवे बोर्ड के लिखे पत्र में कहा है कि अगर हमें दिल्ली, मुंबई और सूरत जैसी घटनाओं से बचना है तो मजदूरों को स्पेशल ट्रेन के जरिए उनके घर पहुंचाने की योजना पर काम करना ही होगा.
एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि देश में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर है, उनका काम छूट चुका है, ऐसे में हर व्यक्ति तक भोजन उपलब्ध करा पाना संभव नहीं हो पा रहा है. मजदूर अब यह कहने लगे है कि करोना से तो वह बाद में मरेंगे, पहले भूख से मर जाएंगे. दिल्ली, सूरत अहमदाबाद और अब बांद्रा में बड़ी संख्या में मजदूर लॉकडाउन डाउन तोड़कर स्टेशन पर आकर घर जाने की जिद्द करने लगे है जिससे स्थिति की गंभीरता को समझा जाना चाहिए. महामंत्री ने कहाकि है कि रेलवे को कुछ स्पेशन ट्रेनों का प्लान करना चाहिए, जिससे लोगो को उनके घर तक पहुंचाया जा सके. इसके लिए शिवगोपाल मिश्रा ने उदाहरण देकर बताया है कि पांच हजार कोच को आइसोलेशन बार्ड में बदल कर 50 हजार बेड तैयार कर लिया है, अगर कोई बीमार भी है तो उसे सुरक्षात्मक तरीके से घर व अस्पताल तक पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने कहा है कि लॉडाउन कब तक चलेगा, इसे लेकर कुछ कह पाना संभव नहीं है इसलिए रेलवे को कुछ विचार करना चाहिए. महामंत्री ने चेयरमैन को भेजे पत्र में कहा है कि जब रेलकर्मचारी कुंभ के दौरान करोडों श्रद्धालुओं को एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचा देते हैं, ऐसे में 10 से 20 हजार लोगों को आसानी से उनके घर पहुंचाया जा सकता है. ऐसा करने के बाद लाक डाउन को भी हम मजबूती से लागू कराने में कामयाब हो सकेंगे.
महामंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर अभी यानि लॉकडाऊन में मजदूरों को स्पेशल ट्रेन के जरिए घर नहीं भेजा गया तो जब लाकडाउन खुलेगा, तब हमें और मुश्किलों का सामना करना होगा, उसे संभालना काफी मुश्किल हो जाएगा. इसलिए बेहतर है कि स्थानीय अधिकारियों के जरिए कुछ बड़े महानगरों व राज्यों के बड़े शहरों में मजदूर का आकलन कर स्पेशल ट्रेन का प्लान कर लिया जाये. थर्मल स्क्रीनिंग के जरिए इन यात्रियों को आसानी से उनके घरों तक पहुंचा सकेंगे. बड़े शहरों में बच्चे और प्रोफेशनल भी फंसे है, स्कूल कालेज बंद हो गए है, लॉकडाउन से खाने पीने की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पा रही है, निजी संस्थानों के बंद होने से प्रोफेशनल को भी असुविधा हो रही है.
महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने एक निजी चैनल को दिये साक्षात्कार में बताया कि श्रम मंत्रालय द्वारा निजी नियोक्ताओं को तमाम आदेश दिए जा रहे हैं, कहा जा रहा है कि कोई भी कंपनी किसी को नौकरी से नहीं निकालेगी, किसी का वेतन नहीं काटा जाएगा, लेकिन हो क्या रहा है, क्या सरकार को नहीं पता है ? सच्चाई ये है कि मजदूरों को साफ कर दिया गया है कि कंपनी बंद है, कंपनी के बाद कोई काम नहीं है, ऐसे में किसी को वेतन दे पाना संभव नहीं है. कंपनी ने मजदूरों को कह दिया है कि आप सब वापस जाएं, जब काम शुरु होगा तो बुला लिया जाएगा. एक संदेश मकान मालिकों को दिया गया कि वो इस विपरीत हालातों में किसी से भी किराया न मांगे, लेकिन हालात ये है कि मकान मालिकों ने साफ कर दिया है कि अगर किराया नहीं दे सकते हो तो तुरंत मकान खाली कर दो. ऐसे में इन्हें मकान भी खाली करना पड़ गया है. एआईआरएफ महामंत्री ने सरकार को उत्पन्न हालात की विवेचना करने और उसके अनुसार कदम उठाने की सलाह दी है.
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