- घर में बैठकर रोस्टर बनाते रहे अधिकारी, चलवाया टीटीएम, दर्जनों कर्मचारी व परिवारों को संकट में डाला
- साथ काम करने वाले स्टेशन मास्टर व ट्रैकमेंटेनरों की भी अब तक नहीं करायी गयी कोविड की जांच
- पूरा आरआरआई के संक्रमित होने की संभावना, बचाव के लिए अब तक नहीं उठाये गये जरूरी कदम
- 21 अप्रैल को इंजीनियर ब्लॉक Pt.312 में शामिल प्वाइंटमैन के कई ट्रैकमेंटेनर के संपर्क में आने की आशंका
रेलहंट ब्यूरो, अहमदाबाद
पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद रेलमंडल में अधिकारियों की मनमानी का खामियाजा अब रेलकर्मी भुगतने को मजबूर हैं. प्रधानमंत्री की लॉकडाउन की घोषणा और यूनियनों के लगातार विरोध के बावजूद इंजीनियर और सिग्नल विभाग में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की अनदेखी कर सिग्नल व ट्रैकमेंटेनरों को लगातार काम कराया गया. लगातार टीटीएम का शिड्यूल बनाया गया और इस क्रम में बड़ी संख्या में एक स्थान पर रेलकर्मियों की सामूहिक रूप से मौजूदगी रही. इसका लगातार विरोध भी विभिन्न मंचों से किया गया और चेतावनी दी गयी लेकिन अधिकारी नहीं माने और उन गैरजरूरी कार्यों को भी कराया जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है. अब इसका खामियाजा सामने आने लगा है.
अहमदाबाद आरआरआई में तैनात एक पॉइंट्समैन कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. उसके पिता की मौत हो गयी है. 22 अप्रैल को तबीयत खराब होने पर उन्हें साबरमती रेलवे हॉस्पिटल ले जाया गया था. वहां से उन्हें सिविल हॉस्पिटल भेजा गया. यहां 23 अप्रेल को जांच में कोरोना पॉजिटिव पाया गया. ठीक एक दिन बाद 24 अप्रैल को प्वाइंटमैन की मां की भी तबीयत बिगड़ने लगी. उन्हें भी सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया. उनका भी Covid-19 टेस्ट पॉजिटिव आया.उसी दिन पॉइंट्समैन के पिता को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया. 25 अप्रैल की रात तीन बजे उनकी मौत हो गयी. उसी रात पॉइंट्समैन की मां को भी तबीयत बिगड़ने पर वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है. इधर 27 को आयी जांच में प्वाइंटसमैन भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. इससे पूरे रेलवे में अफरा-तफरी मच गयी है.
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आरआरआई का यह पॉइंट्समैन ‘पठान की चाल’, विक्रम मिल के सामने, सरसपुर में रहता है जहां कोविड-19 के लगातार केस सामने आने के बाद कई घरों को पहले से ही क्वारेंटाइन कर दिया गया है. इस घटना के बाद प्रशासन ने पॉइंट्समैन के आवास को भी क्वारेंटाइन कर दिया है. परिवार के एक सदस्य की मौत, दूसरे के वेंटिलेटर पर आज जाने के बावजूद अब तक उसकी पत्नी, एक पुत्री और दो पुत्रों की कोरोना टेस्ट नहीं किया गया है. इस घटना के बाद आनन-फानन में प्वाइंटसमैन के संपर्क में ड्यूटी करने वाले कई आरआरआई स्टॉफ को क्वारेंटाइन किया जा चुका है. दिलचस्प यह है कि बीते 21 अप्रैल को लिये गये इंजीनियर ब्लॉक Pt.312 में यह प्वाइंटमैन शामिल था जो कई ट्रैकमेंटेनर के संपर्क में भी आया होगा लेकिन अब तक रेलवे की ओर से इसकी जांच कर उन लोगों को चिह्नित करने और उनकी जांच कराने के साथ क्वारेंटाइन करने की पहल नहीं की गयी है. कोविड-19 के बढ़ते केस वाले सरसपुर में रहने वाले इस प्वाइंटमैन को डयूटी पर नहीं बुलाने की मांग लगातार सहकर्मी करते लेकिन अधिकारियेां ने उनकी नहीं सुनी और इस तरह कई रेलकर्मियों और उनसे जुड़े परिवार के सैकड़ों लोगों को घातक वायरस के संक्रमण के संकट में डाल दिया गया है.
आखिर बार-बार आगाह किये जाने के बावजूद रेलवे के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? किसके आदेश पर टीटीएम चला रेलकर्मियों को जानबूझ कर संक्रमण की भट्टी में झोकने का काम किया गया? वर्तमान में दो दर्जन से अधिक रेलकर्मी क्वारेंटाइन में भेजे गये हैं, अगर उनके और परिवार की स्थिति बिगड़ती है इस संक्रमण के लिए कौन जिम्मेवार होगा?
वहीं एक दूसरे घटनाक्रम में अहमदाबाद आरआरआई का टेक्नीशियन सिगनल भी को भी प्रशासन ने उसकी पत्नी के कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद 25 अप्रैल को क्वारेंटाइन में डाल दिया है. टेक्नीशियन सिगनल की पत्नी सिविल हॉस्पिटल में नर्स है जो अस्पताल परिसर के ही क्वार्टर में परिवार के साथ रहती है. पत्नी के अस्पताल में डयूटी को देखते हुए सिग्नल विभाग के कर्मचारी लगातार विभागीय अधिकारियों को संभावित संक्रमण की आशंका को लेकर आगाह करते रहे और उक्त सिग्नल टेक्नीशियन सिगनल को ड्यूटी पर नहीं बुलाने का अनुरोध भी किया. बताया जाता है कि एस एस ई/सिगनल (इंचार्ज) आरआरआई एसके यादव और एसएसई/सिगनल (मेन डीपो इंचार्ज), अहमदाबाद डीके श्रीवास्तव ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और लगातार उक्त टेक्नीशियन सिगनल को डयूटी पर बुलाते रहे. इसका नतीजा रहा कि टेक्नीशियन सिगनल की पत्नी के कोविड-19 के संक्रमण के बाद आरआरआई में तैनात उनके टेक्नीशियन सिगनल पति समेत परिवार के सदस्यों को भी क्वारेंटाइन कर दिया गया है. इसके साथ ही उक्त टेक्नीशियन सिगनल के संपर्क में आने वाले चार असिस्टेंट व दो स्टेशन मास्टरों को भी क्वारेंटाइन में भेज दिया गया है. इसमें स्टेशन मास्टर दूबे तथा सुरेन्द्र के अलावा चार असिस्टेंट नसीब खान, मुकेश बैरवा, नरेन्द्र डाभी, अरविंद गेमा को क्वारेंटाइन किया गया है. जबकि 20 अप्रैल से 26 अप्रैल के बीच एक दर्जन से अधिक रेलकर्मियों ने उक्त टेक्नीशियन सिगनल के साथ काम किया लेकिन उनकी न तो अब तक जांच की गयी न ही उन्हें क्वारेंटाइन किया गया है.
अहमदाबाद आरआरआई के दो कर्मियों के परिवार में संक्रमण पहुंचाने और उनके साथ परिवार को क्वारेंटाइन करने के बाद यह सवाल उठाया जाने लगा है कि आखिर बार-बार आगाह किये जाने के बावजूद रेलवे के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? प्रधानमंत्री की घोषणा और चेतावनी के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जरूरी उपाय क्यों नहीं किये गये? किसके आदेश पर टीटीएम चला रेलकर्मियों को जानबूझ कर संक्रमण की भट्टी में झोकने का काम किया गया? वर्तमान में दो दर्जन से अधिक रेलकर्मी क्वारेंटाइन में भेजे गये हैं, अगर उनके और परिवार की स्थिति बिगड़ती है इस संक्रमण के लिए कौन जिम्मेवार होगा? रेलकर्मियों का कहना है एक बार मास्क व एक छोटी सेनिटाइजर की सीसी के भरोसे उन्हें मोर्चे पर उतार दिया जाता है. सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सवाल उठाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जाती है.
यूनियन ने लगातार टीटीएम व गैरजरूरी कार्यों को वर्तमान स्थिति में नहीं कराने का अनुरोध किया है. बावजूद मेगरींन व टीटीएम चलाया जाता रहा. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने भी एसेंशियल मालगाड़ियों के लिए जरूरी स्टाफ को ही ड्यूटी पर लगाने का निर्देश दिया है वो भी रोटेशन पर, लेकिन इस आदेश का अनुपालन कहीं नजर नहीं आ रहा है. आज बड़ी संख्या में रेलकर्मी संक्रमण के मुहाने पर हैं. आलोक चंद्र प्रकाश, महामंत्री, एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन
एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव आलोक चंद्र ने कोविड के संक्रमण की बिगड़नी स्थिति के लिए सीधे-सीधे आला अधिकारियों को निशाने पर लिया है. आलोक चंद्र ने रेलहंट को बताया कि उन्होंने पहले ही पत्र और ट्वीट कर लगातार टीटीएम व उन गैरजरूरी कार्यों को वर्तमान स्थिति में नहीं कराने का अनुरोध किया था. बावजूद मेगरींन व टीटीएम कराने का काम जारी रहा. जबकि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने भी सभी अधिकारियों को केवल एसेंशियल मालगाड़ियों के लिए एसेंशियल स्टाफ को ही ड्यूटी पर लगाने का निर्देश दिया है वो भी रोटेशन में. इसका कोई असर एसएंडटी अधिकारियों पर नहीं दिखा. दबाव बनाकर अधिकारी रुटीन कार्य को जारी रखे हुए हैं जिसका नतीजा आज बड़ी संख्या में कर्मचारियों को क्वारेंटाइन में रखने को लेकर सामने आया है. आलोक चंद्र ने अहमदाबाद डीआरएम को पत्र भेजकर क्वारेंटाइन में भेजे गये पॉइंट्समैन परिवार को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. प्वाइंटमैन के बच्चे घर में अकेले हैं जबकि अब तक प्वाइंटमैँन और उनके परिवार के सदस्यों की जांच भी नहीं करायी गयी है. ऐसे में अपने परिवार का एक सदस्य पहले ही खो चुके रेलकर्मी की मां को बेहतर इलाज के लिए नारायणा अस्पताल में रेफर कराना का अनुरोध किया गया है.
ट्रैकमैनों की 100 फीसदी उपस्थिति से हो रहा लॉकडाउन का उल्लंघन
ऐसी विषम परिस्थिति में भी रेलवे ट्रैकमेंटेनर खुले आसमान में डैली के कार्य को अंजाम दे रहे. हालांकि रेल प्रशासन लॉकडाउन के नियमों के विपरीत ट्रैकमेंटेनरों की 100 फीसदी उपस्थिति सुनिश्चित करा रहा है जिससे हर जगह लॉकडाउन के नियम और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो रहा है. बड़ी संख्या में डयूटी पर ट्रैकमेंटेनरों को झुंड में जमा होने और काम करने स बीमारी के संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है और जब कोई ट्रैकमैन ग्रुप में काम करने से मना करता है तो Sr.DEN (CO) अहमदाबाद को उसकी फोटो खींच कर भेजा जाता है. इस प्रकार ट्रैकमैनों को मानसिक तनाव में काम लेने के लिए अलग-अलग प्रकार से दबाव बना कर नये नये काम कराया जा रहा है.
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