- राजस्व विभाग ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक हर माह एक दिन की सैलरी देने का किया है अनुरोध
- रेलवे में नोटिस लगाये जाने से भ्रम की स्थिति, अब तक अधिकारिक रूप से नहीं किया गया खंडन
- सूचना जारी करने के बाद रेलकर्मियों को विरोध दर्ज कराने के लिए लिखित में मांगा गया
- आदेश के अनुसार-20 अप्रैल तक विरोध दर्ज नहीं कराये जाने पर मानी जायेगी कटौती की सहमति
रेलहंट ब्यूरो, अहमदाबाद
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग ने 17 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर राजस्वा विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारियों को मार्च 2021 तक हर माह एक दिन की सैलरी पीएम केयर फंड में जमा कराने की अपील की है. इस अपील की मिश्रित प्रतिक्रिया सभी विभागों में दिखायी पड़ रही है. सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि यूं तो सरकार हर मोर्चे पर निजीकरण को अनिवार्य बताती है और जब सहयोग की बात आती है तो मोर्चे में सरकारी कर्मचारी खुलकर समर्थन करने को आगे आते है जबकि उनके वेतन व भत्तों से कटौती का मनमाना खेल शुरू हो जाता है. हालांकि वित्त मंत्री ने स्वयं ट्वीट कर ऐसी सूचनाओं को भ्रामक बताया है जिसमें यह बताया गया है कि सरकार पेंशन व भत्तों में किसी भी प्रकार की कोई कटौती कोविड-19 के संकट को लेकर नहीं करने जा रही है.
अलबत्ता, नया विवाद अहमदाबाद के सिग्नल एसएसई के आदेश से जारी हुआ है. यहां एसएसई सिग्नल के नोटिस बोर्ड पर वित्त मंत्रालय के आदेश को बताने वाली एक सूचना डीके श्रीवास्तव के नाम से लगायी गयी है जिसमें यह बताया गया है कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक हर माह एक दिन की सैलरी पीएफ केयर फंड में देने की अपील राजस्व विभाग ने की है. इसमें कहा गया है कि अगर किसी कर्मचारी व अधिकारी को इस पर आपत्ति है तो वह 20 अप्रैल तक लिखित रूप से विरोध दर्ज करा सकता है, वरना उसकी सहमति मानी जायेगी.
रेलकर्मियों का विरोध सूचना में शब्दों के चयन को लेकर भी है. उनका कहना है कि इस आदेश में ‘विरोध’ जैसे शब्दों का प्रयोग भी अनुचित है. किसी भी कर्मचारी से उसकी सहमति पूछी जानी चाहिए परन्तु यहां “विरोध” जैसे शब्दों का प्रयोग कर कर्मचारियों की निष्ठा पर प्रश्न उठाना किसी भी प्रकार उचित नहीं है. दिलचस्प रूप से जारी की गयी सूचना में डीके श्रीवास्तव का न तो पदनाम है और न ही हस्ताक्षर व मुहर. अलबत्ता सूचना लगाये जाने के बाद से अब तक डीके श्रीवास्तव ने भी अपनी ओर से कोई इनकार नहीं दर्ज कराया है. इस मामले में अहमदाबाद के एसएससी सिग्नल का पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
बिना किसी हस्ताक्षर तथा मुहर के ऑफिस के नोटिस बोर्ड में लगायी गयी सूचना को इंडियन रेलवे एस एंड टी मेंटेनर्स यूनियन ने भ्रामक बताया है. यूनियन की ओर से बताया गया है कि वित्त मंत्रालय द्वारा किसी भी रेल कर्मचारी से किसी भी प्रकार की कटौती करने की कोई भी अपील की ही नहीं गई है और ऐसा करने के लिए रेल मंत्रालय है जो सीधे अपील कर सकता है. अब तक रेल मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई अपील नहीं की गई है. पूर्व में रेल मंत्रालय की अपील पर एक दिन के वेतन की कटौती पर कर्मचारियों ने सहमति या असहमति तत्काल जता चुके हैं. ऐसे में एसएसई के नाम से जारी किया गया आदेश भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है. एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव आलोक चंद्र ने पदाधिकारियों को इस प्रकार के आदेशों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई कि जबतक रेल मंत्रालय द्वारा कोई अपील नहीं की जाती है इस प्रकार हम कर्मचारियों को भ्रमित ना किया जाये. हालांकि अब विवाद बढ़ जाने के बाद कर्मचारियों को दिलासा दिया गया है कि कटौती रेल मंत्रालय के अपील के बाद ही की जाएगी.
वैसे भी प्रधानमंत्री केयर फंड की पूरी जानकारी सभी सचेत कर्मचारियों के पास है अगर कोई भी कर्मचारी विशेष रूप से राष्ट्र के प्रति अपना योगदान देना चाहता है तो वह सीधे प्रधानमंत्री केयर फंड में अपनी सहयोग राशि जमा करा सकता है इसके लिए वह पूरी तरह से स्वतंत्र है परन्तु इस प्रकार के आदेशों से हम कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है.
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