- CBI ने वाल्टेयर रेल मंडल के DRM को निजी कंपनी के मालिक से 25 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था
- घूस देने वाले डीएन मार्केटिंग के सानिल राठौड़ और एचआरके सॉल्यूशंस के आनंद भगत को हिरासत में लिया गया
New Delhi. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्वी तटीय रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक सौरभ प्रसाद को 25 लाख की घूसखोरी में मुंबई से गिरफ्तार करने के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया है. सीबीआई ने इस मामले में घूस देने वाली कंपनी डीएन मार्केटिंग के सानिल राठौड़ और एचआरके सॉल्यूशंस के आनंद भगत को हिरासत में लिया गया है. डीआरएम की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने मुंबई, विशाखापत्तनम, पुणे, वडोदरा और कोलकाता में 11 स्थानों पर छापेमारी की.
डीआरएम प्रसाद के मुंबई स्थित आवास पर छापेमारी अब भी जारी है. यहां तीन अलमारियां बंद थीं और चाबियां उपलब्ध नहीं थीं. सीबीआई प्रवक्ता ने के अनुसार तलाशी के दौरान सीबीआई को अब तक 87.6 लाख रुपये नकद(लगभग), लगभग 72 लाख रुपये के आभूषण, संपत्ति के दस्तावेज, लॉकर की चाबियां, फ्लैट के पेपर आदि मिले हैं. एजेंसी ने बताया कि कल्याण में एक फ्लैट के लिए किए गए निवेश, लॉकर की चाबी और प्रसाद के बैंक बैलेंस से जुड़े दस्तावेजों समेत कई दस्तावेज बरामद हुए हैं.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग सेवा के 1991 बैच के अधिकारी विशाखापत्तनम के वाल्टेयर डीआरएम सौरभ प्रसाद पर पूर्वी तटीय रेलवे के ठेकों में खराब प्रदर्शन के लिए एजेंसी का जुर्माना कम करने और 3.17 करोड़ रुपये के बिलों के भुगतान के बदले में मुंबई स्थित डीएन मार्केटिंग के मालिक सानिल राठौड़ से रिश्वत लेने का आरोप है. वह 25 लाख लेते पकड़े गये थे. यह कार्य डीएन मार्केटिंग और पुणे स्थित एचआरके सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने हासिल किए थे, जिसका नियंत्रण आनंद भगत के पास था. सीबीआई ने राठौड़ और भगत दोनों को भी गिरफ्तार किया है.
- ठेकों में खराब प्रदर्शन के लिए जुर्माना कम करने के बाद 3.17 करोड़ के बिलों का भुगतान हुआ
सीबीआई की ओर से मिली जानकारी के अनुसार रिश्वत कथित तौर पर पूर्वी तटीय रेलवे द्वारा दिए गए एक अनुबंध में खराब प्रदर्शन के लिए लगाए गए जुर्माने को कम करने के लिए ईनाम के रूप में दी गई थी. सीबीआई प्रवक्ता ने बयान में कहा, आरोप यह भी है कि एक निजी कंपनी के 3.17 करोड़ रुपये के बिल पूर्वी तटीय रेलवे, विशाखापत्तनम के पास लंबित थे. हालांकि, अनुबंध के निष्पादन में देरी के कारण, उक्त कंपनी को भारी जुर्माना लगाने का सामना करना पड़ा. राठौड़ और भगत ने कथित तौर पर डीआरएम प्रसाद से संपर्क किया. उन्होंने जुर्माना राशि कम करने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी.
प्रवक्ता के अनुसार मामले में आरोपी डीआरएम के हस्तक्षेप के बाद, कम जुर्माना लगाया गया और निजी कंपनी का बिल मंजूर कर दिया गया. बिल मंजूर करने के लिए, मुंबई स्थित निजी कंपनी के आरोपी मालिक (राठौड़) ने 16 नवंबर को मुंबई दौरे के दौरान आरोपी डीआरएम सौरभ प्रसाद को 25 लाख रुपये की रिश्वत देने की व्यवस्था की. इसकी भनक सीबीआई को मिल चुकी थी. इसके बाद सीबीआई ने जाल बिछाकर डीआरएम सौरभ प्रसाद के अलावा मुंबई के निजी कंपनी के मालिक को 25 लाख रुपये की रिश्वत का लेन-देन करते पकड़ा.
यह भी पढ़ें