नई दिल्ली. रेलवे की कार्यप्रणाली में सुधार को लेकर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव की पहल का असर है अथवा कार्य का बढ़ता दबाव, लेकिन यह बात सामने आयी है कि बीते नौ माह में रेलवे के 77 वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है. इनमें दो सचिव स्तर के अधिकारी भी हैं. किसी भी वित्तीय वर्ष में पहली बार रेलवे से इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारियों नेवीआरएस लिया है. यही नहीं रेलवे में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगने वाले कर्मचारियों-अफसरों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. एक साल में काफी कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं, जिसमें बड़े अधिकारी भी शामिल हैं.
यहां यह बताना जरूरी होगा कि जनवरी 2022 में रेल मंत्री ने अपनी मीटिंग में रेलवे बोर्ड (Railway Board) के मेंबर ट्रक्शन और रोलिंग स्टॉक के कार्य को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी. इसके बाद उन्होंने वीआरएस (VRS) के लिए अप्लाई कर दिया. रेलवे बोर्ड ने उनके आवेदन को स्वीकार कर वीआरएस दे दिया है. हालांकि मेंबर ट्रक्शन और रोलिंग स्टॉक (traction and rolling stock) मार्च में रिटायर होने वाले थे, इससे पूर्व ही वीआरएस लेकर कार्य से मुक्त कर दिये गये. रेलवे यह भगदड़ जुलाई 2021 में अश्विनी वैष्णव के कार्य संभालने के बाद मची है ऐसा भी नहीं है.
इससे पहले भी कई अधिकारी व कर्मचारी वीआरएस (VRS) लेते रहे हैं. लेकिन यहां यह याद रखना जरूरी होगा कि बीते साल जुलाई में रेल मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अश्विनी वैष्णव ने अधिकारियों को प्रदर्शन करने या बाहर होने के लिए तैयार रहने की बात कही थी. मीडिया में आयी खबरों के अनुसार रेल मंत्री इस बात पर जोर देते रहे हैं कि रेलवे में उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो प्रदर्शन नहीं करते और भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं. उन्होंने कहा है कि या तो वे वीआरएस ले लें नहीं तो उनको बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. इस सबके बीच इस साल जनवरी में ही रेलवे से अधिकतम 11 अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया. इसे प्रदर्शन करने के बढ़ते दबाव के तौर पर देखा जा रहा है.
रेलवे के अलग-अलग जोन में काम कर रहे वरिष्ठ इंजीनियरों ने भी इस पर सहमति व्यक्त की है कि प्रदर्शन का दबाव बढ़ गया है. मंत्रालय ने काफी मुश्किल टारगेट भी रखे हैं. रेलवे में उच्च स्तर से निगरानी के कारण पिछले कुछ महीनों में चीजें बहुत बदल गई हैं. कुछ ऐसे लोगों ने वीआरएस भी लिया है क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें उचित पदोन्नति नहीं मिली है.
इसमें रेलवे बोर्ड में खाली मेंबर पद पर नियुक्ति को लेकर भी घमासान मचा हुआ है. बोर्ड में कई पद रिक्त हैं. इन पदों पर नियुक्ति के लिए अप्वाइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (एसीसी) में नाम नहीं भेजे जाने से नाराज रेलवे बोर्ड के डीजी सेफ्टी रवींद्र गुप्ता ने भी वीआरएस मांग लिया है. जबकि 1984 बैच के अधिकारी संजय चड्डा ने इस्तीफा दे दिया है. यह नाराजगी जूनियन अधिकारियों का नाम एसीसी में भेजे जाने को लेकर है.
यहां यह बताना होगा कि रिक्त पड़े मेंबर एमआरटीसी के लुक आफ्टर का चार्ज जूनियन आईआरएसएमआई 1984 बैच के अधिकारी डी शर्मा को से भी गुप्ता नाराज थे. वरीयता के कारण यह पद उन्हें मिलना चाहिए था और उनका नाम एसीसी के पास भेजा जाना चाहिए था जो नहीं हुआ.