- मीडिया व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में विज्ञापन खर्च के पूर्वानुमान करने वाली ‘पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट’ का अनावरण
मीडिया व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में विज्ञापन खर्च (ad spends) के पूर्वानुमान को लेकर बहुप्रतीक्षित ‘पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट’ (PMAR) का अनावरण 15 फरवरी 2024 को मुंबई में किया गया. ‘पिच’ (Pitch) द्वारा ‘मैडिसन वर्ल्ड’ की पार्टनरशिप में यह रिपोर्ट लॉन्च की गई. इस रिपोर्ट के जरिए खुलासा हुआ है कि विभिन्न मीडिया क्षेत्रों की सालाना ग्रोथ में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, जबकि ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री की सालाना ग्रोथ 10% तक कम हुई है.
PMAR के मुताबिक, प्रिंट मीडिया पर विज्ञापन खर्च, हालांकि 4% की ग्रोथ दर्ज कर रहा है, फिर भी 20,045 करोड़ रुपये के अपने कोविड के पहले के उच्च स्तर से पीछे है और 2023 तक 19,250 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में दुनियाभर में, भारतीय प्रिंट मीडिया अभी भी देश में कुल विज्ञापन खर्च (AdEx) के पाई चार्ट में 19% बनाने में कामयाब रहा है, जबकि इसकी तुलना में प्रिंट के लिए वैश्विक स्तर पर विज्ञापन खर्च (AdEx) औसत केवल 4% है.
हालांकि इस माध्यम ने भारत के कुल विज्ञापन खर्चों में अपनी हिस्सेदारी में दो अंकों की और गिरावट दर्ज की, जिसके चलते 2014 से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और वह भी तब जब इसमें कुल विज्ञापन खर्च का 41% शामिल था. रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 में प्रिंट पर कुल विज्ञापन खर्च 15,274 करोड़ रुपये था और आज 10 साल बाद 19,250 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जिसका मतलब है कि केवल 2% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर.
प्रिंट पर विज्ञापन खर्चों (AdEx) में ऑटो, FMCG, एजुकेशन, रिटेल और रियल एस्टेट का योगदान 50% तक है. 2023 में ऑटो 14% हिस्सेदारी के साथ अग्रणी रहा, जिसने प्रिंट के लिए विज्ञापन खर्च (AdEx) की वृद्धि में सबसे अधिक योगदान दिया. ट्रैवल व टूरिज्म, BFSI, कॉरपोरेट और क्लॉथिंग, फैशन और ज्वैलरी भी प्रिंट माध्यम में अन्य बड़े खर्च करने वालों में शामिल थे.
हालांकि, 2024 में प्रिंट के लिए कुछ अच्छी खबरें होंगी, भले ही आगामी राष्ट्रीय चुनावों ही सही. रिपोर्ट के अनुसार, “हमें उम्मीद है कि वैश्विक स्तर पर विज्ञापन खर्च में प्रिंट में -4% की अपेक्षित गिरावट के मुकाबले 2024 में प्रिंट में 7% की ग्रोथ होगी. इस ग्रोथ के जरिए प्रिंट को 20,000 करोड़ रुपए और अंततः कोविड-2019 से पहले के आंकड़ों को पार कर जाएगा. अप्रैल/मई में आगामी संसदीय चुनावों से प्रिंट को बड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि प्रिंट राजनेताओं और राजनीतिक दलों का पसंदीदा माध्यम है और राजनीतिक अभियानों के लिए स्पेस ब्रैंड्स से अधिक कीमत पर बेचे जाते हैं.