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SER में आरपीएफ की उपलब्धि, महिलाओं के खिलाफ अपराध हुआ शून्य, तस्करी पर लगाम

SER में आरपीएफ की उपलब्धि, महिलाओं के खिलाफ अपराध हुआ शून्य, तस्करी पर लगाम

कोलकाता. दक्षिण पूर्व रेलवे में आरपीएफ की बड़ी उपलब्धि रही है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध का आकड़ा शून्य हो गया है. जोन में नशीले पदार्थों की तस्करी पर भी लगाम लगाने में आरपीएफ की टीम सफल रही है. माई सहेली टीम की गतिविधियों से महिलाओं को ट्रेन व स्टेशन में सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करायी जा सकी है. ऑपरेशन

SER में आरपीएफ की उपलब्धि, महिलाओं के खिलाफ अपराध हुआ शून्य, तस्करी पर लगाम

आरपीएफ आईजी डीबी कसार, SER

दपू रेलवे की ओर से जारी बयान में यह बताया गया है कि मुख्य सुरक्षा आयुक्त सह आइजी आरपीएफ डीबी कसार के प्रभार संभालने के बाद से ही चलती गाड़ियों एवं सभी रेलवे स्टेशनों पर नशीले पदार्थों की तस्करी, बाल व मानव तस्कर एवं अवैध वेंडरों की गतिविधियों पर सख्ती से पाबंदी लगायी है. रेल मंडल सुरक्षा आयुक्तों को इसे लेकर सख्त निर्देश दिये गये हैं कि ट्रेन व स्टेशनों पर अवैध गतिविधियों को हर हाल में रोका जायेगा. इससे यात्रियों को पर्याप्त राहत मिली है.

रेलवे के बयान में बताया गया है कि माई सहेली ऑपरेशन से महिलाओं के खिलाफ अपराध शून्य हो गया है. आरपीएफ की सतर्कता, सीसीटीवी एवं आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों से लूटपाट, मोबाइल चोरी, छिनतई, महिलाओं के साथ छेड़खानी, नशाखुरानी जैसी गतिविधियों पर भी लगाम लगी है. परिणाम फलस्वरूप स्टेशन व ट्रेनें अधिक सुरक्षित हो गयी है. गंतव्य स्टेशन पर माई सहेली की टीम यात्रियों से फीडबैक लेती है और उसे गूगल शीट पर अपलोड भी किया जाता है.

वर्तमान में दपू रेलवे के हावड़ा, शालीमार, संतरागाछी व रांची से चलने वाली औसतन 50 दैनिक व साप्ताहिक ट्रेनें इस परियोजना के अंतर्गत आती हैं. इस ऑपरेशन के तहत कई काम की बेहतर उपलब्धि सामने आयी है. इसका उदाहरण हाल ही में इसे ऑर्डर ऑफ मेरिट स्कॉच अवार्ड से मान्यता मिलना है.

अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक आरपीएफ ने 388.857 किग्रा गांजा व 400 किग्रा भांग जब्त किया है. जिसकी राशि 26 लाख 39 हजार 130 रुपये है. गांजा व भांग के 27 मामले दर्ज कर 28 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं 120 ग्राम सोना व 5.52 लाख रुपये बरामद किये गये हैं.

नन्हे फरिश्ते का अभियान 

  • 743 बच्चों का बचाव
  • 414 महिला व पुरुष का बचाव
  • 45 लोगों को दी गयी मेडिकल सहायता
  • 221 बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया
  • 522 बाल कल्याण केंद्र को सौंपे गये.

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