NEW DELHI. वंदे भारत एक्सप्रेस के नाश्ते में कीड़ा मिलने की शिकायत समाने आयी है. -चेन्नई एग्मोर वंदे भारत एक्सप्रेस में ट्रेन संख्या 20666 में यात्रा कर रहे एक यात्री को नाश्ते में परोसे गए सांभर में एक कीड़ा मिला. उन्हें ये नाश्ता ट्रेन के मदुरई स्टेशन पर दिया गया. मदुरई स्टेशन से रवाना होने के तुरंत बाद उन्होंने शिकायत दर्ज कराई. इस पर रेलवे ने गलती के माफी मांगते हुए नाश्ता आपूर्ति करने वाली एजेंसी बृंदावन फूड प्रोडक्ट्स पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही है.
कीड़ा मिलने की घटना पर दक्षिणी रेलवे ने यात्रियों से माफी मांगी और लाइसेंसधारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है. अधिकारियों के अनुसार, ऑनबोर्ड मैनेजर, मुख्य खानपान निरीक्षक (सीआईआर), मुख्य वाणिज्यिक निरीक्षक (सीसीआई) और सहायक वाणिज्यिक प्रबंधक (एसीएम) ने बृंदावन फूड प्रोडक्ट्स की तरफ से प्रबंधित तिरुनेलवेली बेस किचन की तरफ से दिए गए खाने की जांच की.
जांच से पता चला कि कीट कैसरोल कंटेनर के ढक्कन से चिपका हुआ था. अधिकारियों ने यात्री से माफी मांगी, लाइसेंसधारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया और डिंडीगुल स्टेशन पर खाने का ऑफर दिया, जिसे ग्राहक ने अस्वीकार कर दिया. दूषित भोजन का पैकेट क्वालिटी आश्वासन के लिए डिंडीगुल स्वास्थ्य निरीक्षक को दिया गया था. साथ ही इसके बाद बाकि खाने की भी जांच की गई, जांच से पता चला कि बाकि के खाने में कोई दिक्कत नहीं है.
हालांकि रेलवे ने इस लापरवाही के लिए बृंदावन फूड प्रोडक्ट्स पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही है. यही नहीं एजेंसी पर आगे की कार्रवाई की चेतावनी भी दी गयी है. रेलवे के बयान में कहा गया है कि रेलवे घटना की जांच कर रहा है, रेलवे कंटामिनेटिड खाने से संबंधित सभी संभावनाओं की तलाश कर रहा है.
रेलवे की उपभोक्ता सेवाओं से जुड़ी संस्था कंज्युमर्स प्रोटेक्शन काउंसिल के रवि शंकर ने इस घटना पर आश्चर्य जताया और कहा कि यात्री की शिकायत पर रेलवे ने बर्तार जुर्माना 50 हजार रुपये की कमाई तो कर ली लेकिन सेवाओं में सख्ती को लेकर सिर्फ चेतावनी जारी करने की खानापूर्ति कर ली है. देश भर की ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता को लेकर सवाल आते है लेकिन रेलवे सिर्फ जुर्माना लगाकर कमाई करती है, कभी ऐसे कठोर कदम नहीं उठाये गये जिनसे इन घटनाओं को रोका जा सके.
सीपीसी के रविशंकर ने कहा कि रेलवे का यह कदम काफी हास्यापद है जो यात्रियों के उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा नहीं करता. रेलवे अगर ऐसी गड़बड़ी पर जुर्माना करता है तो ऐसे मामलों को यात्री को भी जुर्माना राशि में से बतौर हर्जाना एक निश्चित राशि का भुगतान करना चाहिए, यात्रियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करायी जा सके.