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रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने 4 वर्षों में 586 बांग्लादेशी नागरिकों और 318 रोहिंग्याओं को पकड़ा

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रेलवे सुरक्षा बल (RPF ) पिछले 4 सालों में 586 बांग्लादेशी नागरिकों और 318 रोहिंग्याओं को पकड़ा है. यह दावा रेल मंत्रालय की ओर से किया गया है. देश में सुरक्षा को लेकर हमेशा से ही बांग्लादेशी और रोहिंग्या के घुसपैठ को गंभीर खतरा माना जाता रहा है.

अकेले दिल्ली-एनसीआर में ही लाखों रोहिंग्या (Rohingya) और बांग्लादेशी (Bangladeshi) घुसपैठिए हैं. इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इनकी पहचान करने, इन्हें पकड़ने आदि को लेकर जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए जा रहे हैं.

दिल्ली में कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं इसकी जानकारी लेने दिल्ली पुलिस के लिए कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इसके लिए जरूरी है पुलिस की इच्छाशक्ति की. यह स्थिति पूरे देश में है जहां इन घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण मिलने की बात कही जाती है. दिल्ली के  पूर्व संयुक्त आयुक्त एसबीके त्यागी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि पुलिस के पास ऐसे बहुत से उपाय हैं, जिससे घुसपैठियों की न सिर्फ पहचान की जा सकती है. बल्कि उन्हें बसाने और दस्तावेज बनाने वाले राजनीतिक लोगों के बारे में भी आसानी से पता लगाया जा सका है.

एसबीके त्यागी ने यह भी कहा था कि अगर किसी घुसपैठिए ने आधार कार्ड, पहचान पत्र आदि बना लिए हैं तो इसकी पड़ताल की जानी चाहिए. आधार कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र आदि स्थानीय प्रशासन, विधायक, निगम पार्षद आदि के बिना सहायता के नहीं बनाए जा सकते. इसकी गहन जांच हो. इससे यह पता लगेगा की वह कहां का मूल निवासी है, लेकिन यह सब तब संभव होगा जब पुलिस और राज्य सरकार मन लगाकर काम करेगी.

उन्होंने कहा कि घुसपैठिए दिल्ली-एनसीआर में हत्या, लूट, डकैती, चोरी और अन्य आपराधिक वारदात के जरिए अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रहे हैं. सांप्रदायिक हिंसा करने में भी पीछे नहीं हैं. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से नकली नोटों का कारोबार करने और सभी तरह के ड्रग्स की तस्करी भी करते हैं. बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए दिल्ली-एनसीआर सबसे सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है.

अवैध घुसपैठियों का ठिकाना रेलवे लाइन के आसपास होने से रेलवे के बड़े नेटवर्क को भी खतरा उत्पन्न होने लगा है. इसे लेकर आरपीएफ की टीम लगातार सक्रिय है. रेल मंत्रालय के अनुसार अवैध घुसपैठ के खिलाफ रेलवे नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए आरपीएफ की टीमें सीमा सुरक्षा बल, स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों के साथ सहयोग कर रही है.

जून-जुलाई 2024 में उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे में RPF ने 88 को गिरफ्तार किया

जून और जुलाई 2024 में, उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे (NFR) के अंतर्गत RPF ने 88 बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को गिरफ्तार किया. इनमें से कुछ ने भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने की बात कबूल की और इन्हें कोलकाता जैसे स्थानों पर जाते हुए रेल यात्रा के दौरान पकड़ा गया.

अक्टूबर 2024 में, रिपोर्टों से यह स्पष्ट हुआ कि बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा उपायों के बावजूद, अवैध प्रवासी असम को ट्रांजिट रूट और रेलवे को देश के अन्य हिस्सों में पहुंचने के लिए प्राथमिक साधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं. ये घटनाएं भारतीय अधिकारियों के लिए रेलवे नेटवर्क की निगरानी और अवैध घुसपैठ को रोकने में आने वाली चुनौतियों को उजागर करती हैं.

इस मुद्दे को देखते हुए, RPF ने सीमा सुरक्षा बल (BSF), स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों जैसे प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. इस अंतर-एजेंसी सहयोग ने परिचालन दक्षता में सुधार किया है और अवैध प्रवास में शामिल व्यक्तियों की तेजी से पहचान और गिरफ्तारी को संभव बनाया है.

हालांकि, RPF को सीधे तौर पर गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार नहीं है. पकड़े गए व्यक्तियों को पुलिस और अन्य अधिकृत एजेंसियों को कानूनी कार्यवाही के लिए सौंप दिया जाता है.

पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश और म्यांमार में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल, भू-राजनीतिक विकास और सामाजिक-धार्मिक कारकों ने भारत के अंदर शरण, रोजगार और आश्रय की तलाश में लोगों के प्रवाह को बढ़ावा दिया है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि रेलवे का उपयोग करने वाले प्रवासियों की सटीक संख्या पर आंकड़े सीमित हैं, लेकिन हालिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अवैध प्रवासी अक्सर असम और त्रिपुरा जैसे क्षेत्रों के माध्यम से अन्य राज्यों में जाने के लिए रेलवे नेटवर्क का उपयोग करते हैं.

रेलवे सुरक्षा बल ने इस गंभीर मुद्दे का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, अवैध प्रवासियों को पहचानने और गिरफ्तार करने में सक्रिय रूप से योगदान दिया है. ये व्यक्ति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि बंधुआ मजदूरी, घरेलू काम, देह व्यापार और यहां तक कि अंगों की तस्करी जैसे शोषण के लिए भी अत्यधिक असुरक्षित हैं.

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