Connect with us

Hi, what are you looking for?

Rail Hunt

देश-दुनिया

बांसपानी : बदले के तूफान में उजड़ गये 59 परिवार, ओड़िशा सरकार वसूल रही थी मालगुजारी

  •  आरपीएफ जवान की मौत से बौखलाए रेलवे ने अवैध बस्तियों पर दौड़ाया बुलडोजर
  • उपद्रवी भाग गये या जेल भेज दिये गये, गेहूं में घुन की तरह पीस गये दर्जनों परिवार
  •  रेलवे की अवैध जमीन व धंधे पर दशकों से आबाद थे कोयला हाटिंग व भंज हाटिंग

बड़बिल से आनंद की रिपोर्ट 

बांसपानी स्टेशन पर हुए हमले में आरपीएफ के एक जवान शमशेर सिंह को खो देने के बाद आखिरकार रेल अधिकारियों की तंत्रा टूटी. 17 दिनों के तूफानी सन्नाटे के बाद रेलवे ने बदले का बुलडोजर चलाते हुए एक ही झटके में दशकों से रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से आबाद कोयला हाटिंग, पगला हाटिंग व भंज हाटिंग का नामों निशान मिटा दिया. इस तरह बदले की कार्रवाई में 59 परिवार गेहूं में घुन की तरह पीस गये जिनकी तीन पीढ़ियों ने यहां जीवन को आबाद देखा था. बस्तीवासियों का कहना है कि घटना के बाद उपद्रवी तो भाग गये लेकिन उन्हें निशाना बना लिया गया. दिलचस्प बात है कि रेलवे की जमीन पर बसी इन दो बस्तियों को पर्चा देकर बकायदा ओड़िशा सरकार मालगुजारी तक वसूल रही थी जिसके अधिकारी बुलडोजर चलने के समय कहीं नजर नहीं आये. इसे लेकर बस्ती के लोगों में आक्रोश था.

रेलवे की इस कार्रवाई के बाद बांसपानी स्टेशन पर बस्तीवासियों के हमले का पीछे का सच जानन-समझना जरूरी हो जाता है. बांसपानी में 12 अक्टूबर की रात मंगलवार को जो कुछ हुआ वह अप्रत्याशित नहीं था. भंज हाटिंग के लक्ष्मण पात्रो की सामान्य मौत को पिटाई का कारण बनाकर आरपीएफ के खिलाफ आक्रोश की साजिश उस बस्ती में रची गयी जो रेलवे की जमीन पर वर्षों से आबाद थी. इस कृत्य के लिए जितने जिम्मेदारी उस बस्ती के रहने वाले लोग थे उससे कहीं अधिक जिम्मेदार इन बस्तियों को बसाने, पालने-पोसने और आबाद करने वाले रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के वे अधिकारी व आरपीएफ के लोग भी थे जिन्होंने निहित स्वार्थ वश कभी इसे समस्या नहीं समझा.

बांसपानी में चार से अधिक बस्तियां रेलवे व टाटा स्टील की जमीन पर अवैध रूप से आबाद थी. इन बस्तियों में रहने वाले लोगों का जीवन रेलवे की मालढुलाई और यहां से होने चोरियां पर आश्रित था जो बिना रेलवे व आरपीएफ के लोगों की संलिप्तता के शायद संभव नहीं था. वषों से सब कुछ सामान्य रूप से चलता रहा. बांसपानी में आनेवाले हर आरपीएफ प्रभारी पर बस्ती के अवैध धंधेबाज अघोषित दबाव बनाने का प्रयास कर रहे है. इसके लिए यहां कई बार विवाद व घटनाएं होती रही. लेकिन इसे कभी किसी ने गंभीरता से नहीं लिया.

रेलवे के वैगनों से कोयला व ओर की चोरी के अवैध धंधे की सरगना गीता की सोच हमेशा से दबंगता दिखाने की रही ताकि उसके आगे आरपीएफ के लोग मौन रहे. इसी सनक व सोच का नतीजा थी कृष्णा पात्रो की सामान्य मौत के बाद रची गयी साजिश. इसमें निशाने पर थे आरपीएफ के प्रभारी प्रदीप कुमार और जवान. साजिश के तहत शव को स्टेशन पर लाकर आरपीएफ के खिलाफ आक्रोश को भड़काया गया. रेलवे संपत्ति को तहस-नहस किया गया. तोड़फोड़ की गयी और उस साजिश का शिकार बन गये आरपीएफ के वे निर्दोष जवान जिन्हें इसकी भनक तक नहीं थी. पिटाई में घायल जवान शमशेर सिंह की चार दिनों बाद इलाज के दौरान टीएमएच में मौत हो गयी.

हालांकि 12 अक्टूबर की घटना के बाद चक्रधरपुर रेलमंडल आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट ओंकार सिंह ने बांसपानी के हालात को समझा और सटीक रणनीति के तहत इंजीनियरिंग विभाग को साथ लेकर यहां बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने की तैयारी की ताकि अवैध धंधेबाजों के मनोबल को तोड़ा जा सके. इसी रणनीति के तहत आनन-फानन में पहले 19 अक्टूबर को 7 दिनों के भीतर जमीन खाली करने की शॉट नोटिस दी गयी. इससे पहले की बस्तीवासी रेलवे की रणनीति का समझ पाते 26 अक्टूबर को एक और नोटिस जारी कर 48 घंटे का अंतिम समय देते हुए कड़ी सुरक्षा में अभियान चला दिया गया. इसका नतीजा रहा कि रेलवे की जमीन पर तीन पीढ़ियों से आबाद उस बस्ती का नामोनिशान मिटा दिया गया जहां आरपीएफ पर हमले की साजिश रची गयी. इस घटना की जिम्मेदारी से बस्ती के वे लोग मुंह नहीं मोड़ सकते जो यहां रची गयी साजिश के मूक गवाह बने रहे और अब आंसू बहां रहे हैं.

साजिश के शिकार

  • प्रदीप कुमार आरपीएफ सब इंस्पेक्टर
  • राजू रंजन कुमार
  • पीएन पासवान
  • शमशेर सिंह (शहीद)
  • पंकज कुमार

घायल आरपीएफ प्रभारी प्रदीप कुमार

बस्तीवासियों के हमले में शहीद जवान शमशेर सिंह

बांसपानी में रेलवे का खुफिया तंत्र हुआ फेल 

बांसपानी घटना में आरपीएफ पर जो हमला हुआ उसकी साजिश बस्ती में रची गयी लेकिन उसकी भनक तक रेलवे के खुफिया विंग को नहीं लगी. पूरा तंत्र फेल रहा. जानकारों का कहना है कि घटना जिस कोयला चोरी के मामले को लेकर शुरू हुआ है वह चक्रधरपुर रेल मंडल में पुराना केस है.

रेल मंडल के विभिन्न साइडिंग से आयरन ओर लोडिंग में सख्ती के बाद कोयला चोरी का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. इसमें आरपीएफ व रेलकर्मियों की भी मिलीभगत होती है. कोयला चोरी को लेकर ग्रामीण और रेल प्रशासन के बीच टकराव की आशंका भी जतायी जा रही थी. ऐसा माना जा रहा था कि कोयला चोरी को लेकर दो गुटों में झड़प भी हो सकती है लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. लगातार सुलग रहे मामलों को समझने में हुई चूक से आरपीएफ के खुफिया तंत्र की पोल खुल गयी है जिसके लिए रेलवे ने इंस्पेक्टर से लेकर जवानों तक की भारी-भरकम फौज तैयार कर रखी है.

रेलवे के अभियान पर बोले बस्ती के लोग 

Spread the love
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

ताजा खबरें

You May Also Like

रेल यात्री

RAC के यात्रियों के साथ बड़े गोलमाल की आशंका, रेलवे के सिस्टम पर भी उठ रहे सवाल  PATANA. राजेन्द्र नगर स्टेशन से नई दिल्ली...

रेलवे जोन / बोर्ड

नई दिल्ली रेलवे बोर्ड में मिलेगा कार्यालय एवं सीनियर ऑफिसर्स के साथ इनफॉर्मल मीटिंग की सुविधा  NEW DELHI. भारतीय रेलवे मजदूर संघ को रेलवे...

रेलवे जोन / बोर्ड

रेलवे बोर्ड की किसी भी गाइड लाइन को नहीं मानता दानापुर का अभियंत्रण विभाग  तबादला आदेश जारी होने के बाद ताबड़तोड़ बनाये बिल-बाउचर जांच...

न्यूज हंट

NEW DELHI/CKP. रेलवे बाेर्ड स्तर पर 23 DRM के ट्रांसफर का आदेश जारी किया गया है. रेल मंत्रालय के अनुसार यह रुटीन प्रक्रिया का...