- पटरियों पर गंदगी को लेकर दायर याचिका की सुनवाई में तीन माह में मांगा अनुपालन रिपोर्ट
नई दिल्ली. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने रेलवे को दो सप्ताहों के अंदर कम से कम 36 स्टेशनों की पहचान करने और उन्हें ‘‘इको-स्मार्ट स्टेशन’’ के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया है. एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेलवे से कहा कि भारतीय रेल समेत नियामक प्राधिकरण ठोस कचरा और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के अनुपालन के लिए ‘पोल्यूटर पेयज’ (प्रदूषण करने वाला ही क्षतिपूर्ति करेगा) सिद्धांत लागू कर सकते हैं. अधिकरण ने रेल प्रशासन से ऊर्जा और पानी का इस्तेमाल कम करने के लिए शुरुआत में 36 चिह्नित प्रमुख स्टेशनों पर तीन महीने के भीतर जल और ऊर्जा ऑडिट कराने को भी कहा. पीठ ने कहा, ‘‘36 स्टेशनों को मॉडल स्टेशन के रूप में विकसित किया जाए और इन्हें ‘इको-स्मार्ट स्टेशन’ कहा जा सकता है. ऐसे स्टेशनों की दो सप्ताह के भीतर पहचान करे और वेबसाइट पर अधिसूचित करे.’’ पीठ ने कहा, ‘‘इन 36 स्टेशनों के लिए नोडल अधिकारियों की पहचान की जाए और अधिसूचित किया जाए. अनुपालन रिपोर्ट तीन महीने बाद ईमेल के जरिए दी जाए.’’
एनजीटी ने कहा कि रेलवे ठोस और प्लास्टिक कचरे के लिए संबंधित शहरी स्थानीय निकायों के साथ समन्वय कर सकता है और स्टेशनों पर प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर सकता है. एनजीटी ने वकील सलोनी सिंह और आरुष पठानिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह कहा. याचिका में रेलवे संपत्तियों, खासतौर से पटरियों पर प्रदूषण की जांच करने के लिए कदम उठाने की मांग की गई है.