पूर्व सांसद सह कांग्रेस वर्किंग कमिटी सदस्य डॉ. अजय कुमार ने केंद्र सरकार को नीतियों पर घेरा , कहा
- बेशर्म हो चुकी है ये एनडीए की सरकार, लोगों की जान से कर रही है खुला खिलवाड़
- यात्रियों की सुरक्षा के लिए आवंटित 1 लाख करोड़ रुपये अधिकारी खुद पर कर रहे खर्च
- ड्राइवरों के पास वॉकी-टॉकी की सुविधा नहीं, नहीं लग रही ऑटोमेटिक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच)
- वरिष्ठ नागरिकों और मीडियाकर्मियों का टिकट रियायत खत्म कर स्टेशन सुंदर बनवा रही सरकार
- एनडीए सरकार पूरी तरह से जनहित की मुद्दों से डिरेल हो गई है, आम जनता की परवाह नहीं
JAMSHEDPUR. पूर्व सांसद सह कांग्रेस वर्किंग कमिटी सदस्य डॉ. अजय कुमार ने शनिवार 20 जुलाई 2024 को झारखंड के जमशेदपुर से एनडीएम सरकार की नीतियों पर खुलकर हमला बोला. डॉ. अजय ने कहा कि एनडीए की सरकार बेशर्म हो चुकी है. रेल दुर्घटनाओं में लोगों की जाने जा रही है और रेल मंत्री रील बनाने में व्यस्त हैं. एनडीए सरकार पूरी तरह से जनहित की मुद्दों से डिरेल हो गई है. रेलमंत्री के पास लोगों की सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए समय नहीं है.
डॉ अजय ने कहा कि 2019 में मोदी जी ने कहा था, “मैं देश को गारंटी देता हूं कि अगले पांच साल में वे भारतीय रेलवे में ऐसा बदलाव देखेंगे जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।” सच में आज उनका हर एक कथन सत्य हो गया है. ये रेल दुर्घटनाएं अकल्पनीय हैं. कंचनजंगा एक्सप्रेस और डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटना ने फिर साबित कर दिया है कि इस सरकार को आम जनता के जीवन की कोई परवाह नहीं है् और तो और रेलवे REEL मंत्री का दुस्साहस देखिए, वे रील बनाने में व्यस्त हैं और लोगों की सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए उनके पास समय नहीं है् जुलाई 2021 से रेल सह रील मंत्री के रूप में अश्वनी वैष्णव का कार्यकाल अधिकतम प्रचार सोशल मीडिया पर दिखावा और शून्य जवाबदेही का कार्यकाल रहा है.
डॉ. अजय ने कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एक मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद सोमवार को सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के तीन पीछे के डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे दस से अधिक लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक अन्य घायल हो गए. कंचनजंगा रेल हादसे पर CCRS (Chief Commissioner of Railway Safety) जांच रिपोर्ट में कहा गया कि स्वचालित सिग्नल की खराबी – (जब हादसा हुआ, उसके 3 घंटे पहले से सिग्नल खराब था)
दुर्घटना में सामने आयी अहम बातें
- लोको पायलट और ट्रेन प्रबंधक के पास वॉकी-टोकी जैसे महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण की अनुपलब्धता
- परिचालन प्रबंधन में खामियां
- लोको पायलट के पास कोई उचित प्रशिक्षण नहीं था
- ऑटोमेटिक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच) लगाने की सिफारिश
डॉ अजय ने कहा कि 2021 में आई CAG (Comptroller and Auditor General of India) की रिपोर्ट में बताया गया है की रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष’(RRSK) बनाया था. जिसमे 5 साल के लिए 1 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। टैक्स पेयर्स के इस पैसे का इस्तेमाल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाना था, लेकिन रेलवे के अधिकारी इस पैसे को खुद पर खर्च कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि इस फंड का इस्तेमाल गैर-जरूरी चीजों पर किया गया.
गैर-जरूरी चीजों की लिस्ट देख लीजिए
- फुट मसाजर
- जैकेट
- फर्नीचर
- महंगी
- क्रॉकरी
- किचन का सामान
- इलेक्ट्रॉनिक
- उपकरण
- लैपटॉप
डॉ. अजय केंद्र सरकार से पूछा कि कहां है रेलवे का जीरो एक्सीडेंट टारगेट वाला सुरक्षा ‘कवच’ ?- आखिर रेलवे का KAVACH कहां है और यह रेल यात्रियों की सुरक्षा के काम क्यों नहीं आ पा रहा है. दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कवच एंटी-कोलिजन सिस्टम को पूरे भारत में सभी मार्गों पर शीघ्रता से स्थापित किया जाना चाहिए ? उन्होंने कहा कि हाल में जितने भी एक्सीडेंट हुए हैं सब में सरकार एक ही रट लगा रही है- कवच नहीं था, अरे भाई! मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के ₹1,08,000 करोड़ के आगे सभी ट्रेन में सुरक्षा कवच की लागत सिर्फ ₹63,000 करोड़ है. तो फिर मोदी सरकार (डेरियल सरकार) इसमें देरी क्यों कर रही है ?
कवच तो लग नहीं रहा..बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रहे हैं
डॉ. अजय ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मोदी जी स्टेशन सुंदर बनवा रहे हैं लेकिन ड्राइवर के पास वॉकी-टॉकी तक की सुविधा नहीं, वाह मोदी सरकार! राहुल गांधी जी ने लोको पायलटों से मुलाकात की थी और उन्होंने उनके सामने आने वाली समस्या को सरकार के सामने उठाया था लेकिन मोदी जी ने अनसुना कर दिया. उन्होंने कहा कि स्टेशन सुंदर बनाओ, और वरिष्ठ नागरिकों और मीडियाकर्मियों का टिकट रियायत खत्म कर दो.
आज तो हर एक मध्यम वर्ग और गरीब लोग ट्रेन में चढ़ने से पहले दो बार सोचते हैं. ऐसा लगता है कि ट्रेन पर चढ़े तो भाई! जिंदा मंजिल तक पहुंचेंगे या नहीं. और और केवल सोशल मीडिया पर दिखावा और शून्य जवाबदेही” का काल रहा है. अगस्त 2021 से ट्रेन दुर्घटनाओं और सुरक्षा मुद्दों के कारण 329 लोगों की जान चली गई.
पिछले 10 सालों में हुए कुछ बड़े रेल हादसे
- 26 मई, 2014 गोरखधाम एक्सप्रेस
- 25 लोगों की मौत
- 50 से ज्यादा चापल
- 20 मार्च 2015 जनता एक्सप्रेस 58 लोगों की मौत 150 से ज्यादा चापल
- 20 नवंबर, 2016 इंदौर-पटना एक्सप्रेस 150 लोगों की मौत 150 से ज्यादा धापत
- 21 जनवरी 2017 हीराखंड एक्सप्रेस 41 लोगों की मौत 68 से ज्यादा धापत
- 18 अगस्त 2017 पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस 23 लोगों की मौत 60 घायल
- 23 अगसा 2017 कैफियत एक्सप्रेस 70 लोग घायल
- 2 जून 2023 बालासोर रेल हादसा 296 लोगों की मौत 900 से ज्यादा चापत
- 17.जून, 2024 कंचनजंगा एक्सप्रेस 15 लोगों की मौत 60 से ज्यादा पापत
- 18 जुलाई 2024 डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस 4 लोगों की मौत, कई घायल
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